बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

कर्नाटक चुनाव: नमो के सहारे भाजपा, सत्ता विरोधी लहर के भरोसे कांग्रेस, बढ़े वोट प्रतिशत कर सकते हैं बड़ा खेल

कर्नाटक चुनाव: नमो के सहारे भाजपा, सत्ता विरोधी लहर के भरोसे कांग्रेस, बढ़े वोट प्रतिशत कर सकते हैं बड़ा खेल

PATNA : कर्नाटक विधानसभा चुनाव का नतीजा शनिवार को आ जाएगा. हालाँकि चुनाव के पूर्व आये एग्जिट पाल ने कांग्रेस को भाजपा से बढ़त और त्रिशंकु जनादेश की भविष्यवाणी की है, लेकिन रिकॉर्ड तोड़ मतदान प्रतिशत ने पोलिटिकल पंडितों को भी उलझा सा दिया है।

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में हुए रिकॉर्ड तोड़ मतदान ने चुनावी तस्वीर को उलझा सा दिया है. कांग्रेस को सत्ता विरोधी के भरोसे है तो भाजपा को कर्नाटक में नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और चमत्कार पर भरोसा है. मतदान से जुड़े तीन अहम तथ्य हैं जिनकी व्याख्या कांग्रेस, भाजपा और जेडीएस अपने- अपने हिसाब से कर रहे हैं. पहला, इस बार बीते सभी चुनावों के मुकाबले अधिक मतदान हुआ है. दूसरा, शहरी क्षेत्रों के मुकाबले ग्रामीण और कम आय वाले क्षेत्रों में अधिक लोग मतदान केंद्रों पर पहुंचे हैं,  तीसरा, राज्य के मुसलिम बहुल इलाकों में दूसरे इलाकों की तुलना में अधिक वोट पड़े हैं.

मतदान प्रतिशत बढ़ने का अर्थ 

कर्नाटक में मतदान प्रतिशत का बढ़ना हमेशा सत्ता परिवर्तन की ओर इशारा करता रहा है. कर्नाटक में अब तक 14 चुनाव हुए हैं. इनमें आठ बार पिछले चुनावों की तुलना में ज्यादा मत पड़े हैं. मतदान प्रतिशत बढ़ने पर आठ में से सात बार सत्ता परिवर्तन हुआ था. इस बार के चुनाव में सबसे अधिक मतदान हुआ है.

चुनाव बाद सर्वेक्षणों में जातीय समीकरण

सभी एग्जिट पोल के औसत विश्लेषण से अनुमान होता है कि भाजपा लिंगायत में तो कांग्रेस कुरबा और मुसलमानों में, जबकि जेडीएस वोक्कालिगा में पुरानी पैठ कायम रखने में कामयाब रही है. विश्लेषण से पता चलता है कि भाजपा को लिंगायत, वोक्कालिगा, एससी, एसटी, ओबीसी के क्रमश: 76, 18, 40, 32, 52 फीसदी, कांग्रेस को मुसलमानों, कुरबा, वोक्कालिगा, एससी, ओबीसी और एसटी के क्रमश: 78, 76, 17, 41, 36 और 43 फीसदी वोट मिले हैं.

कांग्रेस की उम्मीद

कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि इस बार पार्टी को सत्ता विरोधी लहर, जेडीएस के कमजोर प्रदर्शन, मुसलमानों के मिले एकमुश्त वोट के साथ कुरबा जाति, एससी- एसटी, ओबीसी में अपनी पुरानी पैठ बनाए रखने का लाभ मिल सकता है. रणनीतिकारों का यह भी मानना है कि शहरी क्षेत्र के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक मतदान ने भी उनकी जीत की संभावनाओं को मजबूती दी है.

भाजपा का दावा

भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि कर्नाटक के शहरी क्षेत्र में कम मतदान प्रतिशत नई बात नहीं है. एग्जिट पोल में भी ग्रेटर बंगलूरू, सेंट्रल बंगलूरू, तटीय कर्नाटक और बॉम्बे कर्नाटक में भाजपा की मजबूत पकड़ की बात स्वीकार की गई है. पार्टी को हैदराबाद- कर्नाटक क्षेत्र और दक्षिण कर्नाटक में जेडीएस, कांग्रेस के मुकाबले न्यूनतम सीटें करीब सौ में महज 13 सीटें दी गई हैं. यहीं तस्वीर बदलेगी.

चूंकि पार्टी की लिंगायत पर पुरानी पकड़ बरकरार है, पार्टी ने एससी- एसटी- ओबीसी में आधार बढ़ाया है, जबकि कम आय वाले क्षेत्र में अधिक मतदान हुआ है. ऐसे में इस बार बीते 38 साल से हर चुनाव में सत्ता परिवर्तन की परंपरा टूटेगी

Suggested News