जमुई की जनता किस राजनीतिक घराने को देगी आशीर्वाद!अजय होंगे विजय या विजय होंगे परास्त या फिर गोल्डन गर्ल को मिलेगा गच्चा

PATNA : बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर रणभूमि सज चुकी है। रणभूमि में अपनी किस्मत आजमाने को लेकर योद्धा भी मैदान में उतर चुके हैं। इन सबों के बीच जोर-आजमाइश का दौर अपने सबाब पर है। बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग द्वारा प्रथम चरण में 71 रणभूमि को तैयार किया गया है।
तीन राजनीतिक घरानों की प्रतिष्ठा लगी है दांव पर
सबकी नजरें टिकी है जमुई विधामसभा की रणभूमि पर। जहां तीन राजनीतिक घरानों की प्रतिष्ठा इस बार दांव पर लगी है। अब देखना है किस राजनीतिक घराने की हवेली 14 नवंबर को दिपावली में जग-मग करती है या वहां अंधेरा छाया रहता है। जमुई का पहला और राजनीतिक घराना है बिहार के समाजवादी नेता लोहिया और लोकनायक जयप्रकाश के अनुयायी बिहार के नेता वे पूर्व स्वास्थ्य व कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह का, जिन्होंने न सिर्फ जमुई से राजनीतिक ताल्लुकात रखा। बल्कि जमुई को अपने धड़कनों में जगह भी दे रखा है। दूसरा घराना है लालू प्रसाद यादव के वफादार सिपाही व मंत्री जयप्रकाश नारायण यादव का और तीसरा घराना है, राजा-महाराजा के घरानों से ताल्लुकात रखने वाले व 1990 में पहली बार राज्यसभा सांसद बनकर चंद्रशेखर की सरकार में केन्द्र में मंत्री बनने वाले स्व. दिग्विजय सिंह का। इन तीनों घरानों की प्रतिष्ठा इस बार होने वाले विधानसभा चुनाव में जमुई विधानसभा क्षेत्र में दांव पर लगी है।
यहां यह उल्लेख करना जरुरी है कि जमुई जिला की राजनीति इससे पहले तक दो घरानों के इर्द-गिर्द घूमती रही है। वो घराना है प्रखर समाजवादी नेता नरेन्द्र सिंह और लालू यादव के खासमखास जय प्रकाश नारायण यादव का। लेकिन इस बार स्व. दिग्विजय सिंह के घराने ने भी जमुई की राजनीति में इंट्री मारी है। जिसको लेकर मामला रोचक हो गया है। इन तीन घरानों में से एक घराने से एक दिग्गज समाजवादी राजनेता नरेंद्र सिंह, जिन्होंने जमुई को जिया है। उनके पुत्र अजय प्रताप सिंह जो स्वयं भी मंझे हुए राजनेता हैं, दूसरे के भाई और तीसरे घराने की बेटी योद्धा है। इन तीनों योद्धाओं में अंतर ये है कि चुनावी समर में दो पहले से कई बार युद्ध लड़ चुके हैं और उन्हें युद्ध लड़ने का गुर सिखाने वाले भी पर्दे की पीछे से युद्ध लड़ने का गुर सिखाने को खड़े हैं। लेकिन तीसरा पहली बार चुनावी समर में अपना किस्मत आजमा रही हैं। जिसके पास राजनीतिक अनुभव न के बराबर है।
अनुभवी रालोसपा प्रत्याशी अजय प्रताप सिंह कहते हैं कि जमुई की जनता का मान और सम्मान ही हमारी पहचान है।जमुई का विकास मेरी जिंदगी का लक्ष्य है। बिहार के मानचित्र पर जमुई जगमगाता रहे। यह यही मेरा ध्येय है। जमुई मेरे लिए सिर्फ राजनीति करने की जगह नहीं बल्कि मेरा जीवन है। जमुई की जनता समझती है कि जमुई के प्रति किस नेता के दिल मे संवेदनशीलता है। जनता से जुड़कर रहने की कला मुझे विरासत में मिली है। रात हो दिन सदा मैं जनता के सेवक के तौर पर उपलब्ध रहता हूँ जिसे जमुई आजमा भी चुका है। बाकी लोगों की छवि के बारे में जमुई और जमुई की जनता बखूबी जानती है। क्या हैं क्या किया है उन्होंने उससे जनता वाकिफ है।
समय बताएगा कि जमुई की जनता किस घराने की झोली को वोट के चोट से भर देती है
गौरतलब है कि फैसला जमुई के 2,93587 मतदाताओं को करना है। जिसमें 1,55782 पुरुष और 1,37,794 महिला शामिल हैं। परिणाम तो 10 नवंबर को आएंगे लेकिन उससे पहले युद्ध की तिथि 28 अक्टूबर तक तीनों योद्धाओं के बीच शह-मात का खेल चलता रहेगा। इससे इंकार नहीं किया जा सकता। लेकिन इतना तय है कि तीन घरानों में से दो घरानों की राजनीतिक विरासत का तिलिस्म टूटेगा। देखना यह होगा कि अजय को मिलेगा विजय,या विजय को मिलेगा शिकस्त या गोल्डन गर्ल को मिलेगा गच्चा।