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प्रथम चरण के लोकसभा चुनाव से पहले लालू को लग रहे झटका पर झटका, अशफाक करीम, देवेन्द्र यादव के बाद पूर्व सांसद बुलो मंडल ने दिया इस्तीफा

प्रथम चरण के लोकसभा चुनाव से पहले लालू को लग रहे झटका पर झटका, अशफाक करीम, देवेन्द्र यादव के बाद पूर्व सांसद बुलो मंडल ने दिया इस्तीफा

BHAGALPUR : लोकसभा चुनाव के बीच रण में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद को झटके पर झटका लगता जा रहा है। बताते चलें की वरिष्ठ आरजेडी नेता देवेन्द्र प्रसाद यादव के बाद अब बुलो मंडल ने भी आरजेडी से इस्तीफा दे दिया है। अब वे गुरुवार को जेडीयू का दामन थामेंगे। जानकारी के मुताबिक कल यानी गुरुवार को जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाएंगे। इस मौके पर पार्टी कार्यालय में जेडीयू के कई बड़े नेता भी मौजूद रहेंगे। बता दें की बुलो मंडल भागलपुर से आरजेडी के सांसद रह चुके हैं। ऐसे में राष्ट्रीय जनता दल के लिए यह बड़ा झटका है। माना जा रहा है कि भागलपुर लोकसभा सीट से टिकट नहीं मिलने के कारण बुलो मंडल नाराज हैं। इस बार यह सीट कांग्रेस के हिस्से में गई है। बुलो मंडल 2014 में इस सीट से लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। हालांकि 2019 में उनको अजय मंडल से हार का सामना करना पड़ा था। इस बार भी वह चुनाव लड़ना चाहते थे। इससे पहले पूर्व राज्यसभा सांसद अशफाक करीम भी जेडीयू में शामिल हुए थे।

गौरतलब है कि आज लालू प्रसाद यादव को लगातार झटके पर झटका लग रहा है। बुलो मंडल से पहले आज ही राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष देवेंद्र प्रसाद यादव ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। देवेन्द्र प्रसाद यादव ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को पत्र लिखकर इस्तीफे की घोषणा की है और कहा है कि मैं पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं। उन्होंने कहा है कि वे पार्टी द्वारा मनमाने तरीके से उम्मीदवारों के चयन से नाखुश हैं लिहाजा वे पार्टी को अलविदा कह रहे हैं।

इसके साथ ही देवेन्द्र प्रसाद यादव ने कहा है कि परम आदरणीय राष्ट्रीय अध्यक्ष जी, राष्ट्रीय जनता दल, राजद में जो राजनीति चल पड़ी है, केवल 'राज' के लिए नीति जबकि राज और नीति दोनों का सामंजस्य होना लाजिमी था। उन्होंने लिखा है कि मैं ऐसा महसूस करने लगा हूं कि इस तरह की राजनीति से नीति पूरी तरह नदारद हो चली है। यानी सिद्धान्त के बिना राजनीति मतलब आत्मा के बिना मात्रा शरीर। यदि किसी भी समाजवादी विचारधारा वाला कार्यकर्ता को पार्टी महागठबंधन के तहत झंझारपुर का या अन्य आधे दर्जन जगहों में जो उम्मीदवारों का आयात किया गया है। वैसे जगहों में पार्टी के मान्य विचारधारा वाले पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ता या समर्पित नेता को पार्टी का टिकट दिया जाता तो मुझे कोई शिकवा शिकायत नहीं हो सकती थी। परन्तु सांम्प्रदायिक शक्ति के पोषक दलों से पैराशूट से एक दिन में उतारकर उम्मीदवार बनाने की जो कार्य संस्कृति पनप गई है, उससे पूरी तरह घुटन महसूस कर रहा हूं और आश्चर्यचकित भी हूं।

लिखा की मेरी अंतरात्मा कह रही है कि अब राजद में एक क्षण भी बना रहना असहज सा हो गया है। खास कर सांम्प्रदायिक शक्तियों के पोषक दलों के हाथ में मेरे द्वारा पांच बार सींचे गए समाजवादी धरती को नीलाम किया जा रहा है। मैं अपनी ऐतिहासिक कर्मभूमि व जन्मभूमि झंझारपुर की समाजवादी धरती के साथ छल नहीं कर सकता। अतः समाजवादी आन्दोलन को पुनःजीवित करने साथ ही राजनीति में राज और नीति दोनों का सामंजस्य बनाने के पक्ष में राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद से व केन्द्रीय संसदीय बोर्ड की सदस्यता और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से स्वेच्छा से त्याग-पत्र दे रहा हूं।

भागलपुर से अंजनी कश्यप की रिपोर्ट 

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