PATNA : अग्निपथ योजना की घोषणा के बाद पिछले तीन दिन से बिहार सहित (Protest on Agnipath Scheme in Bihar) पूरे देश जमकर बवाल हो रहा है। वहीं बिहार में इस पर जमकर राजनीति की जा रही है। जहां योजना के विरोध में खुद बीजेपी की सहयोगी पार्टियां जदयू और हम ने इस स्कीम पर विचार करने की मांग की है। वहीं दूसरी तरफ अग्निपथ का विरोध कर रहे सेना अभ्यर्थियों के समर्थन में राजद खुलकर सामने आ गई है। जिसकी कमान खुद लालू प्रसाद ने संभाल ली है। शुक्रवार को लालू प्रसाद ने योजना को गरीब बच्चों के साथ अन्यायपूर्ण करार देते हुए केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठा दिए। उन्होंने मोदी सरकार पर जमकर हमला करते हुए योजना को अगले 72 घंटे (Lalu ultimatum to centre on agneepath) में वापस लेने का अल्टीमेटम दिया है।
युवाओं को लोकतांत्रिक एवं शांतिपूर्ण तरीके से अपनी माँगों को रखना चाहिए। केंद्र सरकार अविलंब अग्निपथ योजना को वापस लें।
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) June 17, 2022
भाजपा सरकार की पूँजीपरस्त और युवा विरोधी नीतियों के कारण बेरोजगारी बढ़ी है। क्या यह ठेकेदारों द्वारा थोपी गयी सरकार है जो सेना की नौकरी भी ठेके पर दे रही है?
ठेके पर दे रही सेना की नौकरी
आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने शुक्रवार को अग्निपथ योजना को लेकर सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने ट्विट कर लिखा- ''केंद्र सरकार अविलंब अग्निपथ योजना को वापस लें. भाजपा सरकार की पूँजीपरस्त और युवा विरोधी नीतियों के कारण बेरोजगारी बढ़ी है. क्या यह ठेकेदारों द्वारा थोपी गयी सरकार है जो सेना की नौकरी भी ठेके पर दे रही है?'
तेजस्वी ने की मनरेगा से तुलना
तेजस्वी यादव ने क्या कहा? : इससे पहले, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने अग्निपथ योजना के तहत बहाल अग्निवीरों की छुट्टी को लेकर भी सवाल उठाया है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा- 'क्या इन लोगों को नियमित सैनिकों की तरह ही 90 दिनों की छुट्टियां मिलेंगी? अग्निपथ योजना अगर न्यायसंगत है तो इसमें ठेके पर अफसरों की भर्ती क्यों नहीं? केवल ठेके पर सैनिकों की ही भर्ती क्यों? क्या यह शिक्षित युवाओं के लिए मनरेगा है?'
जदयू ने भी छोड़ा बीजेपी का साथ
बिहार में एक साथ गठबंधन की सरकार चला रही जदयू ने भी इस स्कीम पर बीजेपी का साथ छोड़ दिया है। जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने केंद्र सरकार से मांग की है कि वह अग्निपथ योजनाओं पर पुनर्विचार करें। पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने भी योजना को वापस लेने की मांग केंद्र सरकार से की है।
वहीं, बीजेपी के तेजतर्रार नेता केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, "किसान आंदोलन के दौरान जिस तरह से भ्रम की स्थिति पैदा हुई और उन्हें केंद्र की योजनाओं का लाभ नहीं मिला, इसी तरह अब छात्रों में भ्रम की स्थिति पैदा की जा रही है. वे अग्निपथ और अग्निवीर योजना के लाभों को नहीं जानते हैं."
इस बात की है छात्रों में नाराजगी
दरअसल, 2020 से आर्मी अभ्यर्थियों की कई परीक्षाएं हुई थी. किसी का मेडिकल बाकी था तो किसी का रिटेन. ऐसे सभी अभ्यर्थियों की योग्यता एक झटके में रद्द कर दी गई। पहले ये नौकरी स्थाई हुआ करती थी। मतलब सरकारी नौकरी का ख्वाब इससे नौजवान पूरा करते थे. नई स्कीम की तहत बताया गया कि अब चार साल की नौकरी होगी. इसमें सिर्फ 25 प्रतिशत अग्निवीरों को स्थाई किया जाएगा. 75 प्रतिशत चार साल बाद रिटायर हो जाएंगे। उनको पेंशन समेत बाकी सुविधाएं नहीं मिलेंगी। बिहार जैसे राज्य में जहां ज्यादातर युवाओं का एक ही लक्ष्य कह लीजिए या सपना सरकारी नौकरी होता है, ऐसे में सपना टूटता देख छात्र सड़कों पर उतर गए।