पटना- बिहार में 1990 का दशक..साल 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद राजनीति बदलने लगी थी. बिहार में भागलपुर समेत देश के कई हिस्सों में भयंकर सांप्रदायिक दंगे हुए. अक्टूबर, 1990 में लालू यादव ने बिहार के समस्तीपुर में लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार करवा लिया. उस दौर में लालू यादव ने राजनीति में शहाबुद्दीन का साथ लेकर एक गठजोड़ बनाया..तस्लीमुद्दीन और अब्दुल बारी सिद्दीकी का साथ लिया. शहाबुद्दीन और तस्लीमुद्दीन अब रहे नहीं.
यादवों और मुसलमानों का मजबूत गठजोड़ एम-वाई समीकरण
मुस्लिम यादव का समीकरण...बिहार में जातीय समीकरणों के सहारे चुनावी वैतरणी पार करना कोई नई बात नहीं है. जाति की ताकत तो 90 के दशक के पहले भी था, लेकिन तब पार्टी के नीति-सिद्धांत, नेताओं की छवि महत्वपूर्ण होता था. जनता दल से अलग होकर राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) बनाने वाले लालू यादव ने मंडल आंदोलन के दौरान पिछड़ी और दलित जातियों को गोलबंद किया .यादवों और मुसलमानों का मजबूत गठजोड़ एम-वाई समीकरण बनाया. इस गठजोड़ के बल पर 15 साल तक बिहार की सत्ता पर लालू यादव के साथ उनके परिवार ने शासन किया.
बगावती सुर बुलंद
अब चुनावी मैदान में उतरे पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी आरजेडी को लालू का समीकरण दरकने का डर सता रहा है. बात करें सीवान की तो मरहूम शहाबुद्दीन की पत्नी हेना शहाब ने लालू से किनारा कर लिया है. राजद के वरिष्ठ नेता पूर्व राज्यसभा सांसद अशफाक करीम ने पार्टी से पल्ला झाड़ लिया है. दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री तस्लीमुद्दीन के बेटे पूर्व सांसद सरफराज आलम इस बार टिकट न मिलने से लालू से नाराज हैं. नवादा में राजद के दो विधायक निर्दलीय उम्मीदवार को जिताने में लगे हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे देवेंद्र प्रसाद यादव ने पार्टी से बगावत कर दिया है.
राजद से शहाबुद्दीन का परिवार नाराज
प्रशासन के लिए वह भारी आफत और उनके साये में फलने-फूलने वालों के लिए मसीहा माने जाने वाले शहाबुद्दीन की पत्नी हेना शहाब ने इस बार निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. उन्हें मनाने के लिए राजद ने सिवान से अभी तक अपने उम्मीदवार की घोषणा भी रोक रखी है. राद अपने विधायक और विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी को उम्मीदवार बनाने की तैयारी कर रखी थी. तेजस्वी को यह उम्मीद नहीं थी कि शहाबुद्दीन के निधन के बाद हेना शहाब निर्दलीय भी चुनाव लड़ने को तैयार हो सकती है. जब हिना ने अपना जनसंपर्क अभियान शुरू कर दिया, तब तेजस्वी के कान खड़े हुए. हेना को मनाने की राजद ने कोशिश भी की, लेकिन वे नहीं मानीं. शहाबुद्दी की मौत के बाद से उनका परिवार तेजस्वी यादव से बेहद नाराज बताया जा रहा है.
अशफाक करीम ने लालू पर खड़ा किया सवाल
लालू ने बिहार में सामाजिक न्याय और मुस्लिम-यादव समीकरण साधा था. इसके बल पर अभी तक राजद की राजनीति चल रही थी लेकिन इसमें अब कहीं न कहीं दरार पड़ता दिख रहा है. हेना शहाब, अशफाक करीम,पूर्व सांसद सरफराज आलम के खुल्लमखुल्ला दर्द-ए-दिल के इजहार से दरार चौड़ा दिखने लगा है. अशपाक करीब तो बकायदा राजद पर मुसलमानों की उपेक्षा का आरोप लगा रहे हैं. करीम का कहना है कि जाति सर्वेक्षण में जब मुसलमानों की आबादी 18 प्रतिश निकली तो उन्हें प्रतिनिधित्व भी उसी अनुपात में मिलना चाहिए. अपने कोटे की 23 सीटों में राजद ने 14 प्रतिशत यादव आबादी वाले यादव को लोकसभा की आठ सीटें दी हैं, जबकि 18 फीसद मुसलमानों के लिए सिर्फ दो सीट मिली है.
तस्लीमुद्दीन के बेटे सरफराज आलम एक सभा में फफक कर रो पड़े
पूर्व केंद्रीय मंत्री तस्लीमुद्दीन के बेटे और पूर्व सांसद सरफराज आलम का टिकट कटा तो वे एक सभा में फफक कर रो पड़े और अपनी दर्द का इजहार कर दिया. अररिया में मुसलमानों की संख्या ज्यादा है. ऐसे में सरफराज आलम का गुस्सा राजद के लिए भारी पड़ सकता है.
साथ छोड़ रहे पुराने नेता
देवेंद्र प्रसाद यादव ने बी राजद से बगावत कर दिया है. उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि आरजेडी चुनाव जीतने के लिए टिकट नहीं बांट रहा है.यादव पूर्णिया में पप्पू यादव का समर्थन कर रहे हैं. आरजेडी के पुराने नेताओं में वृषिण पटेल ने साथ छोड़ दिया है. नवादा में तो राजद के दो विधायक ही तेजस्वी का विरोध कर रहे हैं. जेल में सजा काट रहे पूर्व मंत्री राजबल्लभ यादव की विधायक पत्नी विभा देवी और विधायक प्रकाश वीर निर्दलीय उम्मीदवार विनोद यादव के समर्थन में प्रचार कर रहे हैं. राजद को लेकर उनके नेताओं का गुस्सा और मायूसी अब सामने आने लगा है.
बहरहाल सबसे बड़ा सवाल है कि क्या लालू का मुस्लिम -यादव समीकरण दरकने लगा है?