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विप में नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी ने लालू परिवार पर किया हमला, कहा आदतन भ्रष्टाचारी पीड़ित बनने का ढोंग बंद करें

विप में नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी ने लालू परिवार पर किया हमला, कहा आदतन भ्रष्टाचारी पीड़ित बनने का ढोंग बंद करें

PATNA : बिहार विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी ने ‘जमीन के बदले नौकरी देने के मामले में’ लालू प्रसाद से सीबीआई की पूछताछ और राबड़ी देवी के आवास पर छापेमारी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि आदतन भ्रष्टाचारी परिवार पीड़ित बनने का ढोंग बंद करें। केन्द्रीय जांच एजेंसियों को कोसने, केन्द्र की सरकार पर राजनीतिक विद्वेष से कार्रवाई करने का आरोप लगाने व जनता को झांसा देने के बजाय लालू प्रसाद व उनके परिवार को यह बताना चाहिए कि तीन दशकों के दौरान 141 भूखंड के अतिरिक्त 30 फ्लैट व आधे दर्जन मकानों के मालिक कैसे बन गए? आखिर ऐसी क्या योग्यता थी कि मात्र 33 वर्ष की उम्र में तेजस्वी यादव 52 से ज्यादा सम्पत्ति के मालिक बन गए?


उन्होंने कहा है कि राबड़ी देवी पटना शहर में 43 भूखंड के अलावा 30 से ज्यादा फ्लैटों की मालकीन हैं। तेज प्रताप 28 और मीसा भारती 23 से ज्यादा सम्पत्ति की मालकीन हैं। क्या यह सच नहीं है कि लालू प्रसाद ने भ्रष्टाचार से कमाए कालेधन को सफेद करने के लिए ही बीपीएल श्रेणी के ललन चैधरी, रेलवे के खलासी हृदयानंद चौधरी तथा भूमिहीन प्रभुनाथ यादव, चन्द्रकांता देवी, सुभाष चैधरी तक से नौकरी, ठेका या अन्य लाभ पहुंचाने के एवज में कीमती जमीन-मकान दान के जरिए हासिल कर लिया?

चौधरी ने कहा कि लालू परिवार को राजनीतिक विद्वेष के तहत कार्रवाई के आरोप लगाने से पहले यह बताना चाहिए कि 06 जनवरी, 1997 को जब चारा घोटाले के मामले में सीबीआई ने उनसे पहली बार पूछताछ की थी तब देश में किसकी सरकार थी? 25 जुलाई, 1997 को तो खुद लालू प्रसाद बिहार के मुख्यमंत्री थे, जब सीबीआई की विशेष अदालत ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी की थी और उन्हें मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था। पहली बार 30 जुलाई, 1997 को जब लालू प्रसाद चारा घोटाले के मामले में जेल गए थे, तब देश में किसकी सरकार थी?

उन्होंने कहा कि दरअसल, लालू प्रसाद आदतन भ्रष्टाचारी हैं। राजनीति और सत्ता को उन्होंने हमेशा अकूत नाजायज कमाई का जरिया बनाया। मुख्यमंत्री के तौर पर उन्होंने चारा घोटाला किया। जिसके पांच अलग-अलग मामलों में वे सजायफ्ता है और छठे मामले में सुनवाई चल रही है। रेलमंत्री के तौर पर उन्होंने रेलवे के होटलों और रेलवे में नौकरी देने के बदले जमीन हथियाई। ऐसे में केन्द्रीय एजेंसियों व केन्द्र की मौजूदा सरकार पर राजनीतिक पीड़ित बन कर आरोप लगा कर वे और उनका परिवार अपने गुनाह के दाग को मिटा नहीं सकते हैं।

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