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शराब घोटाले में मनीष सिसोदिया पर कसा क़ानूनी शिकंजा, अदालत ने न्यायिक हिरासत की अवधि 22 नवंबर तक बढ़ाई

शराब घोटाले में मनीष सिसोदिया पर कसा क़ानूनी शिकंजा, अदालत ने न्यायिक हिरासत की अवधि 22 नवंबर तक बढ़ाई

DESK. शराब घोटाले में क़ानूनी शिकंजे में फंसे दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को एक बार फिर से कोर्ट से झटका लगा है. दिल्ली दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को उत्पाद शुल्क नीति मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 22 नवंबर तक बढ़ा दी। ईडी ने तिहाड़ जेल में पूछताछ के बाद 9 मार्च को सीबीआई की एफआईआर से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सिसौदिया को गिरफ्तार किया था। तब से वे लगातार जेल में हैं. 

इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय से कहा कि अगर दिल्ली की उत्पाद शुल्क नीति में बदलाव के लिए कथित तौर पर दी गई रिश्वत एक विशेष अपराध का हिस्सा नहीं है, तो संघीय जांच एजेंसी के लिए पूर्व डिप्टी सीएम के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप साबित करना मुश्किल होगा। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में सिसौदिया की दो अलग-अलग नियमित जमानत याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

प्रवर्तन निदेशालय से कहा कि वह इस धारणा से नहीं चल सकता कि रिश्वत दी गई है, चाहे जो भी सुरक्षा हो। अभियुक्त को कानून के तहत जो आनंद मिलता है उसे प्रदान किया जाना चाहिए। पीठ की यह टिप्पणी तब आई जब सिसौदिया की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि आप नेता के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) मामले के तहत रिश्वत का कोई आरोप नहीं है। सिसोदिया को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 26 फरवरी को 'घोटाले' में उनकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया था। तब से वह हिरासत में हैं।


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