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न रहेगा बांस...न बजेगी बांसूरी ! भद्द पिटने के बाद CM नीतीश के जनता दरबार का लाईव प्रसारण बंद, ..जब वो भूल गए थे कि वे ही गृह मंत्री हैं..

न रहेगा बांस...न बजेगी बांसूरी ! भद्द पिटने के बाद CM नीतीश के जनता दरबार का लाईव प्रसारण बंद, ..जब वो भूल गए थे कि वे ही गृह मंत्री हैं..

PATNA: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का जनता दरबार शुरू हो चुका है. मुख्यमंत्री फरियादियों की शिकायत सुनकर अधिकारियों को फोन लगा रहे. लेकिन सबसे खास बात यह कि सीएम नीतीश के जनता दरबार का लाईव प्रसारण बंद कर दिया गया है. लास्ट जनता दरबार में आवाज को म्यूट कर दिया गया था, अब तो सरकार ने जनता दरबार को लाइव करने से ही तौबा कर लिया है. आखिर सरकार करे भी क्या..भद्द पिटने से अच्छा है कि लाईव प्रसारण ही बंद कर दो. न रहेगा बांस...न बजेगी बांसूरी. 

मुख्यमंत्री सचिवालय को जनता दरबार लाईव प्रसारण बंद करने की नौबत क्यों आई...इसके पीछे की वजह 4 सिंतबर 2023 का जनता दरबार है. जब नीतीश कुमार भूल गए थे कि वे ही बिहार के गृह मंत्री हैं. 4 सितंबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनता दरबार में थोड़ी देर के लिए अजीब हालात पैदा हो गई थी. अफसर भी ऊहापोह में फंस गए थे। दरअसल, किशनगंज से आए एक फरियादी उमेश दास ने सीएम नीतीश से कहा कि 2021 में FIR दर्ज कराई थी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। इतना सुनते ही मुख्यमंत्री ने फोन लगाने को कहा। फोन लगाने वाला कर्मी परेशान कि आखिर किसे फोन लगाएं? इसके बाद सीएम नीतीश ने कहा कि माननीय मंत्री को फोन लगाओ। कहा कि वहां माननीय मंत्री विजय चौधरी बैठे हैं उनको फोन लगाया गया. मुख्यमंत्री ने पूछा कि किसे फोन लगाए? फोन लगाने वाले ने कहा कि माननीय मंत्री विजय चौधरी जी को। इसके बाद तो थोड़ी देर के लिए अफसर एक-दूसरे को देखते रहे। फोन किसे लगाया जाए, इसी कन्फ्यूजन में नीतीश कुमार ने कहा कि उनको लगा दिए, इस विभाग के वही मंत्री हैं? तब तक मंत्री विजय चौधरी भी हंसने लगे। आखिर में गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव को फोन लगाया गया। 

वीडियो सामने आने के बाद मुख्यमंत्री विपक्ष के निशाने पर आ गए. भाजपा ने कहा कि अब तो वे गृह मंत्री भी हैं,नीतीश कुमार को यह भी याद नहीं. अगले जनता दरबार में लाईव प्रसारण में ऑडिय़ो बंद कर दिय़ा गया. तब भी भारी किरकिरी हुई थी. अंत में आज के जनता दरबार का लाईव प्रसारण ही बंद कर दिया गया. इस संबंध में मुख्यमंत्री सचिवालय का कोई भी अधिकारी जानकारी देने को तैयार नहीं. अधिकांश अफसरों ने तो फोन उठाना भी मुनासिब नहीं समझा.

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