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लोकसभा चुनाव 2024 :इंडिया महागठबंधन, एनडीए में जगह नहीं मिलने पर तीसरे मोर्चे की कवायद, ये दल मिल कर बना सकते हैं थर्ड फ्रंट

लोकसभा चुनाव 2024 :इंडिया महागठबंधन, एनडीए में जगह नहीं मिलने पर तीसरे मोर्चे की कवायद, ये दल मिल कर बना सकते हैं थर्ड फ्रंट

लोकसभा चुनाव की रणभेरी बजने में भले हीं कुछ महीने शेष हों लेकिन चुनाव की बिसात तो बिछनी शुरु तो हीं हो गई है. पहले इंडिया महागठबंधन ने साकार रुप लिया तो वहीं एनडीए और इंडिया गठबंधन से दूर एक तीसरे विकल्प की बात भी जोरों से चल रही है. अभी के हिसाब से तो ऐसा ही लग रहा है. बिहार में एक तीसरा मोर्चा की चर्चा ने जोर पकड़ लिया है.

चुनाव हो और  बिहार में जाति की बात न हो तो चर्चा ही बेमानी है. जैसे-जैसे चुनावी माहौल बन रहा है जातीय गोलबंदी तेज होती जा रही है.  हो भी क्यों न, बिहार में चुनाव लड़ने वाली दो प्रमुख राष्ट्रीय पार्टियों भाजपा और कांग्रेस को छोड़ दें तो सभी पार्टियों की अपनी एक जाति की राजनीति है.  बिहार में सत्ता का रास्ता जाति की चौखट से होकर जाता है. अगर कुर्सी चाहिए तो जाति का समीकरण बिठाना आना ही चाहिए. बिहार की राजनीति में एक नया फ्रंट बनाने की तैयारी है. यह मोर्चा इंडिया और एनडीए विलग होगा. इस मोर्चा में पप्पू यादव की पार्टी जाप, मायावती की पार्टी बसपा, ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम और मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी के शामिल होने की चर्चा जोरो पर हैं. बसपा सुप्रीमो मायावती ने साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी लेकिन बसपा के प्रदेश अध्यक्ष शंकर महतो ने कहाकि  छोटी-छोटी पार्टियां हमारे साथ अगर आना चाहती है तो इस पर फैसला बहन मायावती करेंगी.

बिहार की राजनीति में  जाप सुप्रीमो पप्पू यादव और वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी अलग थलग पड़े हुए हैं.जाप सुप्रीमो पिछड़ा जाति से तो वहीं मुकेश सहनी अतिपिछड़ा समाज से आते हैं, दोनों की जातियों का वोट बैंक मजबूत है. वहीं जाप के प्रदेश अध्यक्ष राघवेंद्र सिंह का कहना है कि भाजपा की सरकार को रोकना उनकी रणनीति है. उन्होंने कहा कि जाप की वैचारिक पृष्ठभूमि और राजनीतिक विचारधारा इंडिया गठबंधन के काफी करीब है.उन्होंने कहा कि जाप इंडिया गठबंधन की ओर जाना चाहती है.तीसरे मोर्चे के प्रश्न पर राघवेंद्र सिंह ने कहा कि  छोटी पार्टियों के नेता हमारे संपर्क में हैं. एआईएमआईएम, बसपा, वीआईपी के नेताओं से हमारी बात हो रही है,  हम लोग अभी महागठबंधन के निर्णय का इंतजार कर रहे हैं.

तो वहीं अपनी जाति को साधन में जुटी एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान कहते हैं कि हम फिरकापरस्त ताकतों को रोकना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा को गद्दी से उतारने के लिए एक गठबंधन की जरूरत है. इंडिया महागठबंधन जो बनाया है, उसमें दलितों और मुस्लिमों को नजरअंदाज किया गया है. उन्होंने कहा कि इंडिया महागठबंधन वाले हमें अपने साथ लेने को तैयार नहीं है. अब हमारी मजबूरी हो गई है कि बिहार में छोटी पार्टियों का गठबंधन बनाया जाए.

वहीं निषाद के मान्य नेता मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी के प्रवक्ता देव ज्योति कहते हैं कि उनकी पार्टी निषाद आरक्षण की लड़ाई लड़ रही है. नरेंद्र मोदी आरक्षण की मांग को पूरा करते हैं तो हम भी नरेंद्र मोदी जिंदाबाद करेंगे. तीसरे मोर्चे के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि कि इसका फैसला हमारे नेता मुकेश सहनी करेंगे.

बिहार की राजनीति जाति के गणित के साथ ही चलती नजर आ रही है. हर गठबंधन अपने साथ जाति के बड़े खिलाड़ियों के साथ ही छोटे दलों को भी जोड़ने में लगा है. ऐसे में  एनडीए और महागठबंधनों से पप्पू यादव की पार्टी जाप, मायावती की पार्टी बसपा, ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम और मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी की दूरी बिहार में तीसरे मोर्चे के जन्म की ओर ठोस इशारा कर रहा है,जिससे जातिगत समीकरण को साधने में इनको सफलता मिल सके.



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