महादलित विकास मिशन घोटाला : IAS रवि मनु भाई परमार की बढ़ी मुश्किलें, मिशन के कर्मी ने किये कई बड़े खुलासे

PATNA : बिहार महादलित विकास मिशन घोटाला मामले में वरिष्ठ आईएएस रवि मनु भाई परमार कि मुश्किलें दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। इस मामले में राज्य परियोजना प्रबंधक संचार बिहार महादलित विकास मिशन के कर्मी इम्तियाज अहमद हाशमी ने न्यायालय के समक्ष 164 धारा के तहत बयान दर्ज कराया है। 

इम्तियाज ने अपने बयान में कहा है कि रवि मनु भाई परमार, मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी सह सचिव एससीएसटीवेलफेयर डिपार्टमेंट की कार्यशैली पहले की कार्यशैली जैसी नहीं थी। इन्होंने मिशन से निकाले जाने वाले यूआई एवं एजेंसी से किए जाने वाले एग्रीमेंट की अनुबंधों को एक खास एजेंसी आई आई आई एम को फायदा पहुंचाने के लिए अपने निर्देशन में बनवाना प्रारंभ किया।

इसके साथ ही स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग में बिना निविदा के आई आई आई एम को एग्जामिनेशन एवं सर्टिफिकेशन का कार्य सौंपा गया, जबकि उसी ट्रेड एमएस ऑफिस के प्रशिक्षण हेतु श्रीराम न्यू होराइजन का चयन निविदा के माध्यम से हुआ था।

कर्मी ने अपने बयान में कहा है कि भुगतान में भी आईआईआईएम को आसानी से जबकि श्रीराम न्यू होराइजन का भुगतान कई बार संचिका बढ़ाने पर भी नहीं हो पाता था। लगभग एक साल तक श्रीराम न्यू होराइजन को करीब 1000000 जबकि कार्य नहीं करने के बावजूद भी आईआईआईएम को लगभग 6200000 का भुगतान किया गया। 

इम्तियाज ने अपने बयान में यह भी कहा है कि रवि मनु भाई परमार के जाने के बाद भी एस एम राजू के कार्यकाल में भी स्थितियां नहीं बदली और पहले से चल रही स्थिति बनी रहे एसपीएमएस को बहुत ज्यादा कार्य की वजह से सहायक मांगने पर मौखिक रूप से जेंसी के लोगों से ही संचिका तैयार करने एवं नोट शीट लिखने को कहा जाता था एवं दबाव देकर कार्य कराया जाता था।  

इम्तियाज के इस बयान के बाद आईएएस रवि मनु भाई परमार की मुश्किलें और बढ़ सकती है। 

बता दें कि महादलित विकास मिशन घाटाले मामले की जांच कर रही निगरानी विभाग की अधिवक्ता  आनंदी सिंह पहले भी बता चुकी है कि जांच में बहुत सी गड़बडिया सामने आई है। 

उन्होंने बताया कि जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस में पहली बार तत्कालीन मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी मनु भाई परमार के आदेश से मिशन निदेशक प्रभात कुमार ने परीक्षा एवं परमानंद के लिए एक अलग कंपनी आई आई आई एम लिमिटेड को बिना निविदा के ही 2 हजार प्रति प्रशिक्षणार्थी के दर से कार्य आदेश दिया गया। आई एम लिमिटेड के निदेशक शरद कुमार झा एवं मिशन निदेशक प्रभात कुमार के बीच परीक्षा एवं प्रमाणन के लिए एग्रीमेंट किया गया था। आईआईआईएम के निदेशक शरद कुमार झा का चयन प्रशिक्षण के लिए नहीं हो पाया था इसलिए उन्होंने बिना निविदा के परीक्षा एवं प्रमाणन का कार्य प्राप्त कर लिया। यह पूरी तरह से नियमों को ताक पर ऱखकर किया गया कार्य है।

उन्होंने बताया कि अभीतक के जांच में यह बात सामने आई है कि तत्कालीन मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी मनु भाई परमार द्वारा नियमों को ताक पर रखते हुए बिना टेंडर किये ही आईआईआईएम जिसका पहले चयन नहीं हुआ था उसे काम आवंटित कर दिया गया। आनंदी सिंह ने कहा कि परमार द्वारा किये गये इसी कार्य से महादलित विकास मिशन घोटाले की शुरुआत हुई।

कुंदन की रिपोर्ट