DESK. वर्ष 1993 में हुए सिलसिलेवार ट्रेन बम धमाकों के मुख्य आरोपी सैयद अब्दुल करीम टुंडा (81) को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है. राजस्थान में अजमेर की टाडा (आतंकवादी एवं विघटनकारी गतिविधियां अधिनियम) अदालत ने 1993 में हुए धमाकों के मामले में गुरुवार को अपना फैसला सुनाया. धमाकों के 21 वर्ष बाद आए टाडा अदालत के फैसले को लेकर कहा गया है कि सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है. दो दशकों तक चले क़ानूनी कार्यवाही और जांच के बाद भी किसी प्रकार का ऐसा सबूत नहीं मिला जिससे 81 वर्षीय सैयद अब्दुल करीम टुंडा को दोषी माना जाता.
वकील शफकत सुल्तानी ने कहा, ''अब्दुल करीम टुंडा निर्दोष है, आज कोर्ट ने यह फैसला सुनाया. अब्दुल करीम टुंडा को सभी धाराओं और सभी अधिनियमों से बरी कर दिया गया है.'' सीबीआई अभियोजन टाडा, आईपीसी, रेलवे अधिनियम, शस्त्र अधिनियम या विस्फोटक पदार्थ अधिनियम में अदालत के समक्ष कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर सका। उन्होंने कहा कि हम शुरू से कह रहे थे कि अब्दुल करीम टुंडा निर्दोष है...इरफान और हमीदुद्दीन को दोषी ठहराया गया है।''
वहीं इसी मामले में इरफान उर्फ पप्पू और हमीरुद्दीन के रूप में पहचाने गए दो अन्य आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। टुंडा को ड्रग माफिया और आतंकवादी दाऊद इब्राहिम का करीबी माना जाता है। उसे वर्ष 1993 में हुए सिलसिलेवार ट्रेन बम धमाकों के मुख्य आरोपी बनाया गया था. अब अजमेर की टाडा अदालत ने 21 वर्ष के बाद सैयद अब्दुल करीम टुंडा को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है.
गौरतलब है कि वर्ष 1993 में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में जान माल का भारी नुकसान हुआ था. उसके बाद इस मामले की जांच के लिए अलग अलग एजेंसियां सक्रिय थी. मामला आतंक संबधी मामलों की सुनवाई करने वाली टाडा की अदालत में गई. लेकिन अब सबूतों के अभाव में मुख्य आरोपी को बरी कर दिया है.