मांझी का नया पैंतरा, पहले ब्राह्मण को गाली दी अब सफाई में खुद को बता रहे ब्राह्मणवाद का विरोधी
 
                    पटना. ब्राह्मण, हिंदू देवी-देवताओं और मुसहर भुइयां के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग करने वाले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने एक बार फिर सफाई दी है. उन्होंने मंगलवार को ट्वीट कर कहा कि पंडितों के खिलाफ बोले गए मेरे शब्द ”स्लिप ऑफ टंग” हैं, जिसके लिए मैं खेद प्रगट करता हूं.
हालाँकि खेद प्रकट करने की बात करने के बाद भी मांझी ने अब एक नई शिकायत है. उन्होंने कहा है, वैसे मैं ब्राम्हण नहीं ब्राम्हणवाद के खिलाफ हूं. ब्राम्हणवाद दलितों से नफरत करता है, दलितों को अछूत बताता है, गले में हडिया, कमर में झाडू, पैर में घूंघरू बंधवाया है. इनका विरोध जारी रहेगा.
मांझी के इस आरोप पर कई लोगों ने आपत्ति जताई है. ट्वीट कर कई लोगों ने कहा है कि यह एक नए किस्म से ब्राह्मणों को गाली देने का तरीका है. सामाजिक असमानता की परम्पराओं को किसी ब्राह्मणवाद कहना उचित नहीं है. इस तरह की उंच नीच और छुआछूत वाली परम्पराएँ कई अन्य जातियों में रही हैं लेकिन मौजूदा दौर में समाज में समानता का प्रभाव बढ़ा है. ऐसी परम्पराओं के खिलाफ क़ानूनी रूप से कार्रवाई करने का प्रावधान है. तो इसे ब्राह्मणवाद कहना उचित नहीं है.
एक यूजर ने मांझी को लिखा है, एक वक्तव्य जो आप देते हैं उसपर अडिग रहना कब सीखेंगे? एक बयान में आपने कहा कि आपने "हरामी" शब्द का इस्तेमाल अपने समाज के लोगों के लिए किया था। दूसरे बयान में आप इसे स्लिप आफ टंग अर्थात् जबान फिसलना बता रहे हैं। इससे आपकी वैचारिक अस्थिरता का पता चलता है। वहीं एक यूजर ने लिखा है, आप जिसके मसीहा बने फिर रहे हैं उसके लिए आपने क्या किया है , सिर्फ और सिर्फ दलितों के नाम पर राजनीति करने के बजाय.
 
                 
                 
                 
                 
                 
                                         
                                         
                             
                             
                     
                     
         
                     
                     
                     
                     
                    