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यूपी विधानसभा चुनाव अपने दम पर लड़ेगी मायावती, जानिये इसके पीछे क्या है मास्टर प्लान

यूपी विधानसभा चुनाव अपने दम पर लड़ेगी मायावती, जानिये इसके पीछे क्या है मास्टर प्लान

लखनऊ. 2022 में होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियां शुरू हो गयी है. बसपा सुप्रीमो मायावती ने अतिपिछड़ा वर्ग, मुस्लिम समाज और जाट समुदाय के पार्टी के नेताओं की बैठक ली और उन्हें इन वर्ग के वोट जुटाने की जिम्मेदारी दी. इसके बाद मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया. इसमें उन्होंने योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ये सरकार फर्जी मुकदमे लगाकर खास समाज के लोगों को उत्पीड़न कर रही है. नए कानूनों से दहशत फैलाई जा रही है. इसमें बीजेपी का सौतेलापन साफ झलकता है. साथ ही इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार से जातिगत गणना कराने की भी मांग की.

मायावती ने कहा कि जब बसपा की सरकार थी. तो जाटों मुस्लिमों की तरक्की जान माल की सुरक्षा का हमेशा ख्याल रखा गया. उन्होंने कहा कि सरकार आने पर फिर से इस वर्ग के लोगों का विशेष ख्याल रखा जाएगा. वहीं मायावती ने असदुद्दीन ओवैसी, चंद्रशेखर आजाद (रावण) आदि किसी से भी बात करने या गठबंधन करने से इनकार किया और कहा कि बसपा अकेले चुनाव लड़ेगी. साथ ही राज्यसभा में 12 सांसदों के निलबंन पर कहा कि संसद को इतना कड़ा रुख अख्तियार नहीं करना चाहिए और उनसे बात करनी चाहिए.


नेताओं को अपने वर्ग के वोट जुटाने की जिम्मेदारी

मायावती ने विधानसभा चुनाव को लेकर अतिपिछड़ा वर्ग, मुस्लिम समाज और जाट समुदाय के पार्टी के नेताओं की बड़ी बैठक लखनऊ में बुलाई है. इस बैठक में उन्‍होंने नेताओं को अपने-अपने समाज के लिए रिजर्व सीटों पर पार्टी का आधार मजबूत करने का जिम्‍मा सौंपा. इस मौके पर आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में बसपा सुप्रीमो ने एक बार फिर यूपी की सभी 403 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया और भरोसा जताया कि प्रदेश में 2007 की तरह एक बार फिर पूर्ण बहुमत की बसपा सरकार बनेगी.

जाट और मुस्लिमों को साधने की तैयारी

बता दें कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने चुनाव को लेकर दलितों ब्राह्मणों के साथ-साथ जाट और मुस्लिमों को जोड़ने की तैयारी भी शुरू कर दी है. इस दौरान उन्होंने कहा कि बसपा हमेशा जाटों मुस्लिमों के लिए सम्मान और तरक्की पर काम करती रही है. मायावती ने कहा कि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने ओबीसी, दलित वर्ग के लोगों के लिए सरकारी नौकरी में सुविधाएं व शिक्षा की व्यवस्था की, लेकिन अब केंद्र व राज्यों की जातिवादी सरकारें नए नियम कानून बनाकर इन्हें प्रभावहीन करने का प्रयास कर रही हैं. दलितों व आदिवासियों पर जुल्म हो रहा है.


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