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चिकित्सा शिक्षा नियामक ने एक साल के लिए टाला एमबीबीएस सीटों का सीमा निर्धारण

चिकित्सा शिक्षा नियामक ने एक साल के लिए टाला एमबीबीएस सीटों का सीमा निर्धारण

डेस्क- राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने तमिलनाडु, कर्नाटक और पुडुचेरी जैसे राज्यों के विरोध के बाद एमबीबीएस सीटों की संख्या प्रति 10 लाख की आबादी पर 100 तक सीमित करने के अपने फैसले को एक साल के लिए टाल दिया है.  केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा एक नवंबर को चिकित्सा नियामक को राज्यों में प्रति 10 लाख आबादी पर 100 एमबीबीएस सीटों के अनुपात के प्रावधानों पर फिर से विचार करने के लिए कहे जाने के बाद यह फैसला लिया गया. एनएमसी के 16 अगस्त को अधिसूचित दिशानिर्देश में मेडिकल कॉलेजों में अधिकतम 150 सीटें निर्धारित की थीं.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा एक नवंबर को चिकित्सा नियामक को राज्यों में प्रति 10 लाख आबादी पर 100 एमबीबीएस सीटों के अनुपात के प्रावधानों पर फिर से विचार करने के लिए कहे जाने के बाद यह फैसला लिया गया.आयोग ने कहा, 'यह सूचित किया जाता है कि 'अंडरग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड' राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग द्वारा एक निर्णय लिया गया है, जिसमें नए मेडिकल संस्थानों की स्थापना के तहत स्नातक-पूर्व पाठ्यक्रमों के लिए दिशानिर्देशों के अध्याय-1 के तहत नए मेडिकल पाठ्यक्रमों की शुरुआत, मौजूदा पाठ्यक्रमों के लिए सीटों की वृद्धि और मूल्यांकन और रेटिंग विनियम, 2023 (16 अगस्त, 2023 को यूजीएमईबी द्वारा अधिसूचित) शैक्षणिक वर्ष 2025-26 से लागू किया जाएगा.'

एनएमसी के, 16 अगस्त को अधिसूचित दिशानिर्देश में कहा गया था कि आगामी अकादमिक सत्र से स्थापित मेडिकल कॉलेजों में अधिकतम 150 एमबीबीएस सीटें होंगी. दिशानिर्देश के अनुसार, 10 लाख की आबादी पर 100 एमबीबीएस सीटें होंगी. एनएमसी के अनुसार, इस नियमों के आधार पर सीटों की सीमा तय करने से स्वास्थ्य पेशेवरों की उपलब्धता के मामले में क्षेत्रीय असमानता दूर होगी. 16 अगस्त को जारी अधिसूचना का तमिलनाडु, कर्नाटक और पुडुचेरी जैसे राज्यों ने विरोध किया था, जहां बड़ी संख्या में मेडिकल कॉलेज हैं.



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