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जब विधायक हेमंत शाही के हत्यारे को CM लालू यादव ने बताया था 'महान' समाजसेवी,जयमंगल राय के शव पर जाकर किया था माल्यार्पण...

जब विधायक हेमंत शाही के हत्यारे को CM लालू यादव ने बताया था 'महान' समाजसेवी,जयमंगल राय के शव पर जाकर किया था माल्यार्पण...

PATNA: तारीख 28 मार्च 1992..... जब सफेद रंग की जिप्सी वैशाली के गोरौल अंचलाधिकारी कार्यालय की तरफ चली आ रही थी. दरअसल वह जिप्सी हेमंत शाही की थी. उस समय शाम के 4:00 बज रहे थे. हेमंत शाही उजले रंग की जिप्सी से अपने गांव से वापस पटना लौट रहे थे. मुन्ना सहनी नामक शख्स जब नीले रंग की जिप्सी को देखा तो लपक कर आगे बढ़ा और हाथ बढ़ाकर गाड़ी को रूकवाया। हेमंत ने मुन्ना से पूछा क्या बात है? तो मुन्ना ने हेमंत शाही को बताया, ''इनायतनगर घाट की बंदोबस्ती के लिए जय मंगल राय, उसका भाई अरुण राय एवं अन्य बंधुओं को अन्य हथियारों से लैस होकर अंचलाधिकारी के कार्यालय में जमा हुआ है. जय मंगल JE/ का नाम हेमंत शाही के लिए सुपरिचित था. 4 माह पहले हुए अपने विधानसभा चुनाव में हेमंत को जय मंगल राय से काफी मुखालफत झेलनी पड़ी थी. जय मंगल राय उप चुनाव में जनता दल के समर्थन में जुटान कर रहा था.चुनाव में अपने मित्र विनोद राय की हत्या से वह बेहद तिल मिलाया हुआ था.


अचानक सीओ दफ्तर पहुंच गए थे हेमंत शाही

बहरहाल मुन्ना सहनी के अनुरोध पर हेमंत शाही अपनी गाड़ी से उतर कर चंद कदम पर स्थित अंचलाधिकारी कार्यालय की तरफ बढ़े. वे समझे की वहां जाकर वे तनाव को सुलझा देंगे. हेमंत शाही की पीछे गाड़ी में बैठा उनका अंगरक्षक चल पड़ा. हेमंत का ड्राइवर श्रीवास्तव गाड़ी में यह सोच कर बैठा रहा था कि हेमंत तुरंत लौट कर आएंगे और पटना के लिए चल पड़ेंगे. कुछ ही देर के बाद जब ईश्वर ने गोलियों की तड़तड़ाहट और फिर चीख पुकार सुनी तो बिना एक पल का विलंब किए वह अंचलाधिकारी कार्यालय की तरफ भागा. जब वहां पहुंचा तो उसने देखा कि हेमंत गोली खाकर खून से लथपथ दफ्तर के दरवाजे के पास गिरे हुए थे और उनका अंगरक्षक सत्येंद्र खून से लथपथ घायल होने के बावजूद हेमंत को अपनी ओट में सुरक्षा की दृष्टि से लेकर फायर कर रहा था.

गोली लगने से छटपटा रहे थे शाही

दफ्तर के दरवाजे के बाहर एक और व्यक्ति गोली खाकर खून से लथपथ गिरा हुआ था. दफ्तर के भीतर भी कुछ लोग छटपटा रहे थे. यह दृश्य देख हेमंत के ड्राइवर श्रीवास्तव के मुंह से चीख निकल गई. पर हिम्मत कर आगे बढ़ा था ताकि घायल हेमंत व सतेंद्र को किसी तरह लेकर वहां से निकल जाएं. मुन्ना साहनी उसके साथ के लोगों ने इसमें उसकी मदद की थी. इस तरह हेमंत व सतेन्द्र को आनन-फानन में जिप्सी में लादकर महज 11 मिनट में मुजफ्फरपुर के नामी चिकित्सा डॉ वीरेंद्र किशोर के नर्सिंग होम में पहुंच गया.यह खबर पलक झपकते आग की तरह फैल गई थी कि हेमंत शाही पर जानलेवा हमला हुआ है .इस खबर के बाद तनाव की स्थिति पैदा हो गई.

हथियार लेकर सीओ दफ्तर पर पहुंचे थे तब के गुंड़े

जब हेमंत शाही अँचलअधिकारी कार्यालय पहुंचे थे वहां उन्होंने देखा कि एक युवक हथियार लेकर चल कर रहा है.वे सीओ दफ्तर में तनाव के इरादे से तो गए नहीं थे।  अगर उन्हें ऐसा करना होता तो वे मात्र एक अंगरक्षक के साथ नहीं जाते.बहरहाल अंचलअधिकारी कार्यालय के दरवाजे पर जब हेमंत ने दोनाली बंदूक लिए उस लड़के को देखा तो एक हलकी चपत झड़ते हुए पूछा कि सरकारी दफ्तर में इस तरह बंदूक लेकर क्यों खड़ा हो? इस पर तिलमिलाएं युवक ने कहा था कि यह बंदूक लाइसेंसी है. हेमंत ने उसे कहा,फिर भी सरकारी दफ्तर में इस तरह बंदूक लेकर घूमना ठीक बात नहीं. यह कहते हुए हेमंत ने उस युवक के हाथ में कसी बंदूक की नली पकड़ ली थी, बंदूक थामे युवक का नाम था अरुण राय. अंचलाधिकारी के कमरे में बैठा अरुण राय का बड़ा भाई जयमंगल राय इसी बातचीत के दौरान झटकते हुए आया और बंदूक के कुंदे को पीछे से झटका देते हुए बंदूक की नली को अचानक हेमंत के सीने पर सटा दिया. हेमंत के हाथ में बंदूक की नली अब भी था और बंदूक अरुण राय के हाथ में ही थी। बंदूक के कुंदे को अचानक झटका देकर जयमंगल राय ने हेमंत के सीने पर नलली सटा दिया और फिर जय मंगल राय ने ट्रिगर दबा दिया था. इतने करीब से गोली लगने के कारण हेमंत नीचे गिर पड़े थे. उनके नीचे गिरते ही जयमगल ने एक और गोली चलाई. इस स्थिति के लिए हेमंत का अंगरक्षक तैयार नहीं था पर तत्काल उसने अपना सर्विस रिवाल्वर निकाल दिया था. उसे रिवाल्वर निकालते हमलावरों ने उस पर भी गोलियां चलाई, लेकिन अंगरक्षक अपने कोकाबू में कर लगातार फायरिंग कर रहा था. उसने कुल 12 गोलियां दागी. फायरिंग से अरुण राय उसके साथ आया शख्स वहीं ढेर हो गया, तथा जय मंगल राय भी गंभीर रूप से घायल हो गया था. इस फायरिंग के दौरान अंचलाधिकारी राजेंद्र प्रसाद अपने कार्यालय कक्ष में टेबल के नीचे घुसे रहे. पल भर में चारों तरफ सनसनी मच गई .

मारने वाले भी हो गए थे ढेर

स्थानीय थाना प्रभारी अरुण कुमार मिश्र दौड़े हुए घटना स्थल पर पहुंचे थे और अरूण राय तथा सरयू साहनी की लाश थी उसे शिनाख्त कराई थी, तथा 3 घायलों जय मंगल रा,य रामजी साहनी व जियालाल राय को तत्काल चिकित्सा के लिए पटना भेजा.कुछ ही देर बाद घायल जय मंगल राय की भी मौत हो गई. स्थानीय थाना प्रभारी अरुण कुमार मिश्र ने इस हादसे की जानकारी वैशाली के जिला अधिकारी रामजीत प्रसाद तथा आरक्षी अधीक्षक ताज हसन को भेजी थी. इन वरिष्ठ अधिकारियों के पहुंचने के बाद थाना प्रभारी अरुण मिश्र को कर्तव्य हीनता के आरोप में निलंबित कर दिया गया था.

जिसने हेमंत की हत्या की उसको लालू ने बताया था सामाजिक कार्यकर्ता

इस गोलीकांड के बाद मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव गौरौल पहुंचे थे.लालू यादव ने हेमंत शाही के हत्यारा जो खुद मारा गया था उसके शव पर माल्यार्पण किया था. तब लालू यादव ने जय मंगल राय को एक समर्पित सामाजिक कार्यकर्ता बताया था. अपने भाषण में लालू यादव ने हेमंत शाही पर ही गंभीर आरोप लगाए थे. हालांकि जय मंगल राय पर कई आपराधिक मामले पहले से ही दर्ज थे। वैशाली से लेकर गौरौल थाने तक में जयमंगल राय पर कई आपराधिक मामले दर्ज थे. यही वजह थी कि जय मंगल राय को बंदूक का लाइसेंस अपने नाम से नहीं मिल सका था. लिहाजा जनता दल के अपने दिग्गजों की मदद से अपने अनुज अरुण राय के नाम से बंदूक का लाइसेंस लिया था. 28 मार्च 1992 को सोनेलाल को इनायतनगर डाक में बाधा डालने के इरादे से अंचलाधिकारी कार्यालय गया था.




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