DESK. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार जिस भावना से काम कर रही है वह देश में संसदीय लोकतंत्र की भावना को कमजोर कर देगा. लोकसभा से निलंबित कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने शनिवार को अपने निलंबन पर केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा कि यह एक नई घटना है जिसे हमने संसद में अपने करियर में पहले कभी अनुभव नहीं किया है. यह विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए सत्तारूढ़ दल द्वारा जानबूझकर अपनाई गई योजना है. यह संसदीय लोकतंत्र की भावना को कमजोर कर देगा.
इस बीच, चौधरी ने कहा है कि लोकसभा में अपने निलंबन के खिलाफ कोर्ट में चुनौती देने पर विचार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें अगर इसकी जरूरत लगेगी तो वे इसे कोर्ट में चुनौती देंगे. दरअसल, प्रधानमंत्री पर की अपनी टिप्पणी पर अधीर रंजन ने अपनी सफाई में कहा, अंधा राजा और नीरव मोदी जैसे शब्दों के इस्तेमाल में मुझे कुछ गलत नहीं लगता. मैंने इसका इस्तेमाल रूपक के तौर पर किया था. दूसरी तरफ से इटली इटली क्यों किया गया? शायद सरकार भगवा व्याकरण ले कर आ सकती है. आखिर नीरव का मतलब क्या है? अपने मन की बात करना क्या गलत है? किसी को ठेस पहुंचाने के लिए कुछ नहीं बोला. राई को पहाड़ बनाने की कोशिश हो रही है.
लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन ने कहा था, अविश्वास प्रस्ताव पेश होने के बाद विधेयक पास नहीं करवाए जाते. लेकिन परंपरा के विपरित सरकार ने विधेयक पारित करवाए, विपक्ष को अपनी बात कहने का मौका नहीं मिला. ऐसा संसदीय इतिहास में कभी नहीं देखा गया. पीएम ने जिस संसद को मंदिर समझ कर माथा टेका था उस मंदिर में उन्हें बुलाना पड़ गया. हमनें पहले ही कह दिया था कि अविश्वास प्रस्ताव का मकसद सरकार गिराना नहीं था. हम सदन में अपनी चिंता बताना चाहते थे.