NEWS4NATION DESK: आमतौर पर
भाजपा यह दिखाती है कि नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उसके प्रभाव में
बहुत तेजी से विस्तार हुआ है। लेकिन जो दिखाया जा रहा है दरअसल वह सच नहीं है।
कांग्रेस मुक्त भारत का नारा भी खोखला लगता है। 2015 से लेकर मई 2018 तक कुल 18
राज्यों में विधानसभा के चुनाव हुए हैं। इनमें सिर्फ 5 राज्यों में ही उसे पूर्ण
बहुमत मिला है। 6 राज्यों में उसने जोड़तोड़ कर सरकार बनायी है। बाकी 7 राज्यों
में भाजपा ने अन्य दलों के सहयोग से सरकार बनायी है। आज देश भर में भाजपा के नाम का जो डंका बज रहा
है उसमें सहयोगी दलों की बड़ी भूमिका है।
इस साल चार राज्यों मेघालय,
नगालैंड, त्रिपुरा और कर्नाटक में विधानसभा चुनाव हुए। भाजपा को केवल त्रिपुरा में
पूर्ण बहुमत मिला। मेघालय और नगालैंड में गठबंधन की सरकार बनानी पड़ी। जब कि
कर्नाटक में सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद भी सत्ता हाथ से फिसल गयी।
भाजपा गठबंधनवाली सरकारों की
संख्या तो बढ़ी है लेकिन उसके हिसाब से उसके विधायकों की संख्या नहीं बढ़ी है। देश
भर में विधानसभा की कुल 4139 सीटों में से उसका केवल 1516 सीटों पर ही कब्जा है।
यानी भाजपा के पास करीब 37 फीसदी ही विधानसभा की सीटें हैं।
अब इस साल के आखिर में राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में विधान सभा चुनाव होने हैं। इसमें केवल मिजोरम में कांग्रेस है। बाकी जगहों पर भाजपा
की सरकार है। अब देखना यह होगा कि क्या मौदी मैजिक से भाजपा राजस्थान, मध्य प्रदेश
और छत्तीसगढ़ में फिर सरकार बना पाती है या नहीं। इन चुनावों के बाद ही नरेन्द्र मोदी
के राजनीति कद का अंदाजा मिल पाएगा।
वैसे कहने के लिए भाजपा यह कहती है देश के
23 राज्यों में उसकी या उसके समर्थन से सरकार चल रही है। 15 राज्यों में उसके मुख्यमंत्री
हैं। ऊपर से देखने में ये आंकड़ा तो प्रभावशाली लगता है लेकिन भाजपा के निजी प्रभाव
में उस हिसाब से बढ़ोतरी नहीं हुई है। नरेन्द्र मोदी को अब कठिन चुनौतियां मिल रही
हैं।