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"मोदी नाम केवलम"!...चाल, चरित्र और चेहरा की बात करने वाली भाजपा को जिन चेहरों ने मेहनत कर किया स्थापित,उनको ही सिरे से कर दिया खारिज..अब इन लोगों पर भी गिरि गाज...

"मोदी नाम केवलम"!...चाल, चरित्र और चेहरा की बात करने वाली भाजपा को जिन चेहरों ने मेहनत कर किया स्थापित,उनको ही सिरे से कर दिया खारिज..अब इन लोगों पर भी गिरि गाज...

Patna- चाल, चरित्र और चेहरा की राजनीति करने वाली भाजपा में बदलाव तब साफ दिखने लगा था जब पार्टी के संस्थापकों में शुमार लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को किनारे कर दिया गया. साल 2014 में जब प्रधानमंत्री की कुर्सी पर नरेंद्र मोदी काबिज हुए तब से भाजपा में बदलाव की बयार तेज बह रही है. साल 2019 के चुनाव में कई पुराने भाजपाइयों का टिकट काट दिया गया और उनकी जगह पर नए चेहरे को लाया गया. 

दूसरे दलों को  छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले नेताओं को तरजीह दी  जाने लगी वहीं पुराने कार्यकर्ताओं को घर बैठा दिया गया. यहीं नहीं वरिष्ठ नेताओं के रहते हुए नए लोगों को मुख्यमंत्री बनाया गया. भाजपा में मोदी के पहले संगठन का काफी महत्व होता था.अब संगठन गौड़ हो गया है. असम , त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश में सीएम दूसरे दलों से आए नेताओं को बनाया गया.कभी भाजपा के विरोधी रहे बाबू लाल मरांडी को झारखंड का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया तो सुनील कुमार जाखड़ को पंजाब में पार्टी की कमान सौंपी गई जो कांग्रेस से भाजपा में आए थे. बंगाल में शुभेंदु अधिकारी भाजपा विधायक दल के नेता हैं, पहले वह टीएमसी में थे.

 यहीं नहीं भाजपा पर विपक्षी आरोप भी लगा रहे हैं कि भाजपा में शामिल होते हीं दूसरे दल के नेताओं के पाप,आरोप धुल जाते हैं क्योंकि उसके पास वाशिंग मशीन है जो सारे आरोप धो देती है. कांग्रेस से भाजपा में आए असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा अपनी आक्रामकता के कारण  भाजपा नेताओं के प्रिय हैं. वहीं उनपर भाजपा का कांग्रेसीकरण करने का आरोप हैं. इससे  असम भाजपा के पुराने नेताओं में गहरी नाराजगी देखी जा सकती है.

 राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया, त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री विप्लव कुमार देव, मध्य प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन,  कैलाश मेघवाल, पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद मेनका गांधी, महाराष्ट्र में पंकजा मुंडे, हरियाणा में पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी वीरेंद्र सिंह, दिल्ली में पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल जैसे कद्दावर नेता भाजपा में लगातार हो रही अपने उपेक्षा से नाराज हैं. उमा भारती ने तो इतना तक कह दिया है कि वह अभी राजनीति में पूरी तरह से सक्रिय रहेंगी उन्होंने कहा कि किसी में हिम्मत नहीं है जो उसे अगला चुनाव लड़ने से रोक सके.

 मोदी जब गुजरात के सीएम थे तब से उनकी नीति रही है कि नेताओं के नाम प्रत्याशियों के नाम से अलग कर दिया जाता है. इस बार भी भाजपा अपने कई नेताओं के साथ मंत्रियों तक का पत्ता काट सकती है.ऐसे में नए चेहरों के नाव पर सवारी करने में माहिर मोदी लोकसभा चुनाव से पहले कई नेताओं के नाम काटकर दूसरे नेताओं को आगे कर चुनाव लड़ सकती है. पुराने नेता मोदी की कुछ नीतियों के बारे में बोलते थे उनके साइड लाइन होते हीं भाजपा में केवल जय जय मोदी.


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