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मुजफ्फरपुर सुनीता किडनी कांड में मानवाधिकार आयोग सख्त, कमिशन ने बिहार के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव डीएम और एसएसपी को किया दिल्ली तलब

मुजफ्फरपुर सुनीता किडनी कांड में मानवाधिकार आयोग सख्त, कमिशन ने बिहार के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव डीएम और एसएसपी को किया दिल्ली तलब

मुजफ्फरपुर जिले के चर्चित सुनीता किडनी कांड की सुनवाई करते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव, जिले के डीएम व एसएसपी को आयोग के समक्ष सदेह उपस्थित होने का आदेश दिया है. साथ ही आयोग ने मुख्य सचिव और डीजीपी को आदेश का अनुपालन कराने को अधिकृत किया है.सुनीता सरकारी कुव्यवस्था की शिकार हुई हैं. झोलाछाप डॉक्टर के एक अस्पताल में अपनी दोनों किडनी गंवा चुकी सुनीता पिछले एक साल से अस्पताल के बेड पर जीवन काटने को मजबूर है. डायलिसिस और ऑक्सीजन सुनिता की जिंदगी के अहम अंग बन गए हैं.

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने प्रधान सचिव स्वास्थ्य विभाग से पीड़िता के किडनी प्रत्यारोपण पर चार सप्ताह के अंदर रिपोर्ट की माँग की थी. इसके साथ ही आयोग ने मुजफ्फरपुर के  एसएसपी और डीएम  से मामले की अद्यतन स्थिति से संबंधित रिपोर्ट की माँग की थी, जो आयोग को नहीं मिले .सुनीता को किडनी प्रत्यारोपित किए जाने की दिशा में भी प्रधान सचिव स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोई सकारात्मक पहल अबतक नहीं की गई है. इसको आयोग ने गंभीरतापूर्वक लेते हुए मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा- 13 के तहत नोटिस जारी कर 13 नवंबर 2023 को स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव और मुजफ्फरपुर जिले के डीएम और एसएसपी को आयोग के समक्ष सदेह उपस्थित होने का आदेश दिया है

मानवाधिकार मामलों के वकील  एस. के. झा ने बताया कि पीड़िता की हालत दिनों-दिन ख़राब होती जा रही है, लेकिन आयोग के आदेश के बावजूद उसे किडनी प्रत्यारोपित किए जाने हेतु प्रधान सचिव स्वास्थ्य विभाग द्वारा अबतक कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई है, जो मानवाधिकार उल्लंघन के अतिगंभीर कोटि का मामला है.

बता दें सुनीता का इलाज बरियारपुर के एक निजी क्लीनिक में 11 जुलाई 2022 से शुरू हुआ। यूटरस निकालने के लिए इलाज के नाम पर 20 हजार रुपये जमा कराए गए। तीन सितंबर को अल्ट्रासाउंड भी कराया गया। फिर इसी दिन वो निजी क्लीनिक में भर्ती हुई थी। चार सितंबर को डॉक्टरों ने आपरेशन के दौरान यूटेरस और दोनों किडनी निकाल ली। पांच सितंबर 2022 को ऑपरेशन के बाद तबीयत खराब होने पर सुनीता को एसकेएमसीएच लाया गया। सात सितंबर को जांच के दौरान पता चला कि उसकी दोनों किडनियां निकाल ली गई हैं।डॉक्टरों ने तुरंत ही उसे पटना पीएमसीएच रेफर किया गया। पटना पीएमसीएच में इलाज के दौरान दोनों किडनी निकाल लिए जाने कि पुष्टि हो गई। फिर उसे पीएमसीएच से वापस एसकेएमसीएच भेज दिया गया। उसके बाद परिवार ने फर्जी नर्सिंग होम और झोलाछाप डॉक्टर के खिलाफ प्राथमिक दर्ज कराई।सकेएमसीएच के अधीक्षक डॉ. दीपक कुमार ने बताया कि विभाग को किडनी ट्रांसप्लांट के लिए पत्र लिखा गया है। वहां से जो मार्गदर्शन आएगा उसका पालन होगा। अब सुनीता को इस बात का भय है कि जब उसकी हालत गंभीर हो जाएगी तो किडनी मिलने का भी फायदा नहीं होगा। सुनीता कहती है कि गरीब और अनुसूचित परिवार का होने से उसे भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है। अगर ऐसा नहीं होता तो उसे कब की किडनी लग जाती। आखिर गरीब का भगवान छोड़ अपना होता कौन है?

बहरहाल मानवाधिकार आयोग के सुनिता कांड को गंभीरता से लेने पर आस जगी है कि सुनिता का किडनी प्रत्यारोपम जल्दी ही हो पाएगा और वह सामान्य जीवन जी सकेगी.

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