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RLSP में किनारे लगा दिये गये नागमणि, क्या फिर बदलेंगे ठिकाना

 RLSP में किनारे लगा दिये गये नागमणि, क्या फिर बदलेंगे ठिकाना

PATNA: कुर्ते की तरह पार्टियां बदलने के लिए मशहूर नागमणि एक बार फिर ठिकाना बदलने की तैयारी में हैं? सियासी गलियारे में फिर ये सवाल उठने लगा है। खबर ये है कि उपेंद्र कुशवाहा के साथ एक साल उनका साथ टूटने वाला है। सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर इसके संकेत मिल गये। नागमणि नये ठिकाने की तलाश में हैं लेकिन वो मिल नहीं रहा है।

RLSP से किनारे कर दिये गये नागमणि

पटना में आज सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती में इसका संकेत मिल गया। युवा RLSP ने सरदार पटेल की जयंती का आयोजन किया था। इसमें उपेंद्र कुशवाहा मौजूद थे। लेकिन पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नागमणि को बुलाय़ा तक नहीं गया। न्यूज फॉर नेशन ने जब नागमणि से पूछा तो उन्होंने स्वीकार किया कि उन्हें कार्यक्रम की सूचना तक नहीं दी गयी थी। मजेदार बात ये कि वैसे इस कार्यक्रम में पार्टी के एक और कुशवाहा नेता श्रीभगवान सिंह कुशवाहा को बुलाया गया था। मंच पर उनके नाम की कुर्सी भी लगी थी। RLSP के पटेल जयंती समारोह से साफ हो गया कि पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नागमणि किनारे कर दिये गये हैं।

क्यों हुआ नागमणि का ये हाल

RLSP सूत्रों की माने तो नागमणि लोकसभा चुनाव लड़ने को बेताब थे। अपने टिकट के लिए वे NDA का साथ छोड़ने के लिए माहौल बनाने में लगे थे। उन्हें लग रहा था कि उपेंद्र कुशवाहा NDA में रहे तो ज्यादा से ज्यादा तीन सीटें मिलेंगी। पार्टी के दो सांसद पहले से हैं, दोनों कुशवाहा हैं। तीसरी सीट मिली भी तो वहां से भी कुशवाहा उम्मीदवार कतई नहीं दिया जायेगा। अगर उपेंद्र कुशवाहा RJD-कांग्रेस के साथ जाते तो वहां ज्यादा सीटें मिलने की संभावना थी। ज्यादा सीटें मिलतीं तो नागमणि का चांस भी बनता। ऐसे में वे NDA के खिलाफ लगातार बयानबाजी कर रहे थे। लेकिन उपेंद्र कुशवाहा फिलहाल NDA में ही बने रहने के मूड में हैं लिहाजा नागमणि का बड़बोलपन उन्हें रास नहीं आ रहा था।

न नाग रहे न मणि

अपने अच्छे दौर में नागमणि कहा करते थे कि वे ही नाग हैं और वे ही मणि। नाग और मणि जहां रहेगी, सत्ता उसके पास ही रहेगी। लेकिन पिछले 8-9 साल में बिहार की सियासत में ढ़ोरवा सांप बन कर रह गये। उनके पतन की कहानी 2009 में शुरू हुई जब लोकसभा के टिकट के फेरे में उन्होंने नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल से इस्तीफा कर दिया था। उसके बाद वे नये नये ठिकाने तलाशते रहे लेकिन किस्मत फूटी की फूटी रही। पिछले साल उन्होंने अपनी समरस समाज पार्टी की विलय उपेंद्र कुशवाहा की RLSP में कर दिया था। उसके बाद उन्हें राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था। हालांकि पार्टी के नीति निर्धारण में उनकी कोई भूमिका नही थी। अब देखना होगा कि नागमणि कौन सा नया ठिकाना तलाशते हैं।

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