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दम तोड़ रही नल जल योजना, लापरवाही का नतीजा भुगत रहे गांव वाले, बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे लोग

दम तोड़ रही नल जल योजना, लापरवाही का नतीजा भुगत रहे गांव वाले, बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे लोग

Lakhisarai : गंगासराय में लोगों को पेयजल की समस्या से पिछले 7 महिनों से जूझना पड़ रहा है. सबसे बुरा हाल वार्ड संख्या 11 का है। जहां मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट हर घर नल का जल योजना (Nal Jal Yojna) भी पूरी तरह से फेल साबित हो रही है। करोड़ों रुपए की लागत से शुरू की गई यह नल जल योजना देख रेख के अभाव और संवेदक की लापरवाही से 7 महीनों से पूरी तरह से बंद पड़ी है और लोगों को बूंद बूंद पानी के लिए जूझना पड़ रहा है।

कागज पर काम पूरा

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक यहां हर घर नल का जल योजना का काम पूरा हो चुका है. हर वार्ड में पानी की टंकी लगाई जा चुकी है. हर घर तक पानी के लिए पाइप बिछ चुका है और पानी के लिए नल लगाए जा चुके हैं. लेकिन जब हमने यहां की तस्वीर देखी तो चौकाने वाले खुलासे हुए।

2 साल का बीत गया वक्त

पंचायत की महिलाओं ने बताया कि इलाके में कुछ ही जगहों पर नल जल योजना का लाभ मिल रहा है. पानी के लिए पाईप और नल बिछाए गए हैं. लेकिन नल से पानी अभी तक सुचारू ढंग से शुरु नहीं हो पाया है। जब व्यवस्था शुरू की गई थी तब कुछ दिन तक पानी आया उसके बाद से पानी की आस में वो बैठी हैं. नल के पानी के इंतजार में 7 महिनों से उपर का वक्त बीत चुका है।


कागजों में 2020 में पूरा हुआ काम

संवेदक की मानें तो गंगा सराय में घर का नल का जल योजना साल 2018 में शुरू हुई. साल 2020 में योजना का काम पूरा हो चुका है। योजना के तहत लोगों के घरों तक आर्सेनिक मुक्त पीने का साफ पानी पहुंचाया जा चुका है. योजना पीएचईडी विभाग ने पूरा किया है. जिस पर करोड़ो की राशी खर्च की गई है एवं 5 वर्षों तक पेयजल आपूर्ति और रखरखाव की जिम्मेदारी संवेदक की है।

केंद्र ने भी अपनाई योजना

बिहार सरकार की इस योजना से प्रभावित होकर केंद्र सरकार ने भी 2019 में जल जीवन मिशन की शुरुआत की है. केंद्र सरकार 2022-23 में इस योजना के लिए पूरे देश में 60 हजार करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है. जिसमें 3.8 करोड़ परिवारों तक साफ पानी पहुंचाया जाएगा।

3 लाख 60 हजार करोड़ रुपये खर्च करने की योजना

वैसे केन्द्र सरकार का भी दावा है कि बीते दो सालों में 5.5 करोड़ घरों तक नल का जल पहुंचाया जा चुका है. कुल मिलाकर केन्द्र सरकार जल जीवन मिशन के तहत 3 लाख 60 हजार करोड़ रुपए खर्च करने की योजना पर काम कर रही है. जिसके तहत 55 लीटर पानी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन देने की योजना है।

 कागजों पर काम पूरा लेकिन जमीन पर अधूरा

अब बड़ा सवाल ये है कि जहां काम हुआ है वहां के लोगों को ही योजना का फायदा नहीं मिल रहा तो योजना का फायदा आखिर किसे मिला। गंगासराय के वार्ड नंबर 11 में जब हमारी टीम हकीकत जानने पहुंची तो तस्वीरें और डरावनी थीं. नल जल योजना के तहत किया गया बोरिंग 7 महिनों से फैल था। बोरिंग बनाने के नाम पर संवेदक द्वारा गड्ढ़ा कर के छोर दिया गया है जो कि दुर्घटना को आमंत्रण दे रहा है।

जल घोटाले का जिम्मेदार कौन?

कहीं पाइप लगी है तो टोंटी नहीं, कहीं टोंटी लगी तो पाइप नदारद, कहीं पानी की टंकी लगी है तो मोटर खराब, कहीं सब कुछ लगा है तो घटिया समाग्री योजना को मुंह चिढ़ाता नजर आ रहा है। ऐसे में हैंडपंप का गंदा पानी ही इनलोगों के लिए एक मात्र जीने का साधन बना हुआ है. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर इस जल घोटाले का जिम्मेवार कौन है और क्या उसे कभी सजा मिल पाएगी?

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