PATNA : बिहार की जातीय सर्वे की पूरी रिपोर्ट सामने आ गई है। जिसमें बिहार की सभी जातियों की आय से लेकर उनकी शैक्षणिक स्थिति व जातिवार सरकारी नौकरी करनेवालों के आंकड़े भी जारी किए गए हैं। रिपोर्ट मे पिछड़ी जातियों में सबसे अधिक कुर्मी जाति के लोग सरकारी नौकरी में हैं। नीतीश राज में विपक्ष बार बार यह सवाल उठाते रहा है की बिहार में सरकारी नौकरी में नालंदा मॉडल हावी है। नालंदा मुख्यमंत्री का गृह जिला है।
बिहार में पहले से ही इस बात की चर्चा होती रही है कि नीतीश राज में सरकारी नौकरियों में नालंदा मॉडल हावी है। जिले के कुर्मी जाति के लोगों को खूब नौकरी मिली है। आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं। जिसमें पिछड़ी जातियों में सबसे अधिक आबादी वाले यादव जाति से 2 लाख 89 हजार 538 लोग सरकारी नौकरी में हैं, जो कि उनकी जाति की संख्या का 1.55 फीसदी है। माना जा रहा है कि सत्ता से कई सालों से दूर होने के कारण यादवों को सरकारी नौकरियों में कम जगह मिली।
जबकि 18 साल से सत्ता में नीतीश कुमार के होने के कारण कुर्मी जाति की आबादी कम होने के बावजूद यहां सबसे अधिक नौकरी करनेवाले मिले हैं। रिपोर्ट में कुर्मी जाति से 1,17,171 लाख लोग सरकारी नौकरी कर रहे हैं। जो कि पिछड़ी जाति से नौकरी पानेवालों में 3.11 फीसदी है। यह पिछड़ी जाति में सबसे अधिक है और किसी जाति से 2.5 फीसदी लोग भी सरकारी नौकरी में नहीं हैं।
रिपोर्ट में में कुशवाहा जाति से 1,12,106 लाख सरकारी नौकरी कर रहे हैं। जो कि कुल नौकरी करनेवालों का 2.04 फीसदी है।
पिछड़ी जाति में किन्हें सबसे ज्यादा नौकरी
यादव : 2 लाख 89 हजार 538, 1.55 फीसदी
कुशवाहा : 1 लाख 12 हजार 106, 2.04 फीसदी
कुर्मी : 1 लाख 17 हजार 171, 3.11 फीसदी
बनिया : 59 हजार 286, 1.96 फीसदी
सुरजापुरी मुस्लिम : 15 हजार 359, 0.63 फीसदी
भांट : 5 हजार 114, 4.21 फीसदी
मलिक मुस्लिम : 1 हजार 552, 1.39 फीसदी
कुल पिछड़ी जातियों में 6 लाख 21 हजार 481, 1.75 फीसदी