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NATIONAL NEWS: COVID-19 के बाद अब आया डेंगू का D-2 वेरिएंट, बच्चों पर हो रहा हावी, तेज बुखार आते ही जाएं अस्पताल

NATIONAL NEWS: COVID-19 के बाद अब आया डेंगू का D-2 वेरिएंट, बच्चों पर हो रहा हावी, तेज बुखार आते ही जाएं अस्पताल

N4N DESK: 2019 में चीन के वुहान से फैले कोरोना वायरस ने लगभग दो साल से पूरे विश्व में आतंक मचा रखा है। अभी तक पूरा विश्व कोरोना के दूसरी लहर से उबरा ही नहीं था कि उत्तर प्रदेश के फिरेजाबाद में बच्चों में बढ़ते वायरल फिवर ने सबके होश उड़ा रखे हैं। यूपी की लगभग 15 दिनों से स्थिती बेहद ही खराब चल रही है। पिछले 15 दिनों में अस्पताल में भर्ती करने की जगह तक नही बचीं है। 

यही नहीं 50 से अधिकतम लोगों की जान भी जा चुकी है, जिनमें से ज्यादा बच्चे पाए गए हैं। इनमें भी प्रमुख रुप से फिरोजाबाद, आगरा और मथुरा में इसका असर ज्यादा दिखाई दे रहा है। वहीं ICMR के महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव ने बताया कि डेंगू बुखार से मरने वाले बच्चों और वयस्कों के टेस्ट से पता चला है कि उनमें डेंगू का Den 2 वैरिएंट पाया गया है। उन्होंने चेतावनी दी कि डेंगू का D-2 स्ट्रेन जानलेवा हैमरेज की कारण बन सकता है। इसलिए उन्होंने सलाह दी कि जैसे ही किसी को बुखार हो, वह तुरंत डॉक्टर के पास जाकर जांच कराए।

WHO ने डेल्टा वेरिएंट को बताया खतरनाक 

भारत में पहली बार पहचाना गया डेल्टा वेरिएंट ने आज पूरे विश्व मे आतंक मचा रखा है। वायरस के इस वेरिएंट ने भारत ही नही कई अन्य देशों की आबादी को भी प्रभावित किया है। बता दें कि पिछले वेरिएंट के तूलना में यह वेरिएंट टिकाकरण वाले लोंगो को अधिक संक्रमित करने में सक्षम रहा है। 

यही नही WHO ने भी डेल्टा वेरिएंट को चिंता के एक प्रकार के रूप में वर्गीकृत करते हुए कहा है कि यह वेरिएंट संक्रमण को फैलाने में और अधिक गंभीर बीमारी पैदा करने और टीकों से मिलने वाली सुरक्षा को हटाने में पूरी तरीके से सक्षम है। डेल्टा की सबसे बड़ी ताकत इसकी तेजी से संचरण होना है। चीनी शोधकर्ताओं ने पाया कि डेल्टा से संक्रमित लोगों की नाक में कोरोना वायरस के मूल वेरिएंट की तुलना में 1260 गुना अधिक वायरस होते हैं। जबकि कुछ अमेरिकी शोध में यह कहा गया है कि डेल्टा से संक्रमित होने वाली टीकाकरण वाले व्यक्तियों में वायरल लोड उन लोगों के बराबर है जिन्हें टीका नहीं लगाया गया है।

क्या हैं इस वायरस के लक्षण?

डॉक्टरों के मुताबिक डेंगू के डी-2 वेरिएंट के शुरूआत में मरीज को तेज बुखार होगा, शरीर में प्लेटलेट्स कि गिरावट होगी, रक्तस्रावी बुखार भी होगा। इसके अलावा अंग विफल होना और डेंगू शॉक सिंड्रोम जैसे लक्षण देखने को मिलेंगे। विशेषज्ञों द्वारा दावा किया गया है कि इस वायरल सीरोटाइप का 99 प्रतिशत इलाज संभव है लेकिन मरीज की अच्छे से देखभाल होगी तभी इसका इलाज सफल हो पाएगा। 

नीति आयोग के सदस्य डॉ विके पॉल ने भी बताया कि बेशक इस वेरिएंट का इलाज संभव है लेकिन इसके लिए सबसे जरूरी यह है कि लोगों को समय रहते अस्पताल जाकर अपना जांच करवाना होगा। अगर सामान्य बुखार भी हो रहा है तो फौरन अपने नीजी अस्पताल बिना देरी किए जाकर जांच करा लें।  इन दिनों मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार में इस डेंगू और वायरल फिवर के केस सामने आ रहे हैं। हाल ही में दिल्ली में भी डेंगू ने काफी कहर बरसाई थी। यह वेरिएंट चिंताजनक इसलिए भी है क्योंकि इसमें बच्चों की जान को बेहद ही खतरा है।

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