Patna : जदयू के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता नवल शर्मा ने सीएम नीतीश कुमार पर शिक्षकों के लिए लाए गए सेवाशर्त को लेकर निशाना साधा है। नवल शर्मा ने कहा है कि बिहार के चार लाख नियोजित शिक्षकों के साथ सेवाशर्त के नाम पर हमारे प्रिय नेता नीतीश जी ने छलावा किया है। नीतीश कुमार ने 2015 चुनाव के दरम्यान नियोजित शिक्षकों से सातवें वेतन का लाभ देने का वादा किया था। लेकिन 2020 चुनाव के ठीक पहले सेवाशर्त लाकर नियोजित शिक्षकों के मंसूबों पर पानी फेर दिया।
उन्होंने कहा है कि नियोजित शिक्षकों को अपनी मांगों के लिए अनेक बार हड़ताल करनी पड़ी है। इसी साल फरवरी महीने से राज्य भर के शिक्षकों ने 70 दिनों से भी अधिक की लम्बी हड़ताल की थी । इसमें 70 से अधिक शिक्षकों ने अपनी जानें गवायी हैं। नवल शर्मा कहते हैं कि नीतीश जी के आश्वासन पर ही शिक्षक हड़ताल से वापस लौटे थे। लेकिन सीएम ने सेवाशर्त में इनके साथ धोखा किया।
नवल शर्मा ने कहा है कि नियोजित शिक्षकों की पंचायती राज से अलग करने की पुरानी मांगें रही हैं। जबकि इस सेवाशर्त में इनकी सेवा को पंचायती राज से अलग करने की जगह इन पर पंचायती राज का शिकंजा पहले से भी अधिक कस दिया गया है। दुर्भायपूर्ण तरीके से प्रधानाध्यापक, लिपिक और आदेशपाल जैसी सेवा को अंततः नियोजनवाद के हवाले कर दिया गया। यह नियोजनवाद मूलतः निजीकरण को मजबूत करता है। स्थान्तरण के जो नियम बनाये गये हैं उनसे बहुत कम शिक्षकों को लाभ मिल सकेगा।
उन्होंने कहा है कि सेवा शर्त में प्रधानाध्यापक से अवकाश स्वीकृति के पूर्व के अधिकार भी छीन लिए गये हैं। इस नियम से अब महिला शिक्षिकाओं को भी अपनी छुट्टी के लिए नगर परिषद और नगर निगम आदि के कार्यपालकों के दफ्तरों का चक्कर काटना पड़ेगा। मुझे लगता है इस सेवाशर्त का स्वरूप ही प्रताड़नामूलक है । शिक्षक किसी भी समाज के मेरुदंड होते हैं। नीतीश जी को चाहिए था कि चुनाव से पहले नियोजित शिक्षकों की इस सेवाशर्त को रद्द करते हुए इन पर पुरानी सेवाशर्त लागू करते हुए इन्हें राज्यकर्मी का दर्जा दे देते । नहीं तो बिहार के चार लाख नियोजित शिक्षकों का आक्रोश क्या गुल खिलायेगा , समझना मुश्किल नहीं है ।