बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

NEWS4NATION EXCLUSIVE : बिहार में अपने गृह जिले को छोड़ काराकाट सीट क्यों बनी पवन सिंह की पसंद, इन आंकड़ों में छिपी है पूरी सच्चाई

NEWS4NATION EXCLUSIVE : बिहार में अपने गृह जिले को छोड़ काराकाट सीट क्यों बनी पवन सिंह की पसंद, इन आंकड़ों में छिपी है पूरी सच्चाई

PATNA : बिहार में पूर्णिया लोकसभा के बाद अब काराकाट लोकसभा सीट भी हॉट सीट बन गया है। इसकी बड़ी वजह है भोजपुरी फिल्मों के पावर स्टार पवन सिंह का यहां से निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा है। माना जा रहा है कि वह यहां पर एनडीए और इंडी गठबंधन के उम्मीदवारों को कड़ी टक्कर दे सकते हैं। ऐसे में सवाल यह है कि अपने गृह जिले आरा को छोड़कर पवन सिंह ने चुनाव लड़ने के लिए काराकाट सीट को ही क्यों चुना। न्यूज4नेशन ने इस पर पड़ताल की तो कई बातें सामने आई।

राजपूत वाली सीट में नहीं चाहते थे टकराव

न्यूज4नेशन की टीम ने पवन सिंह के काराकाट सीट चुनने को लेकर स्थानीय विधायकों, पत्रकारों और स्थानीय लोगों से बात की। जिसमें जो पहला कारण सामने आया है, वह है राजपूत वोटों का समीकरण। बिहार में पांच सीट ऐसी है. जो राजपूत है। यह सीटें हैं मोतिहारी, सारण, महाराजगंज, औरंगाबाद  और आरा। पवन सिंह इन पांचों सीटों में से किसी एक को चुन सकते थे। लेकिन परेशानी यह थी कि इन पांचों सीटों पर भाजपा ने अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं और सभी राजपूत जाति से आते हैं। जाहिर है कि पवन सिंह न तो सीधे-सीधे भाजपा को नुकसान पहुंचाना चाहते थे और न ही राजपूत प्रत्याशी से सीधा मुकाबला करना चाहते थे। 

घर के नजदीक की सीट

काराकाट सीट चुनने की दूसरी वजह भोजपुर में उनके घर से नजदीकी है। पवन सिंह यूं तो दुनिया भर में लोकप्रिय है। काराकाट के साथ वह यूपी में भी किसी सीट से चुनाव लड़ते तो उन्हें वोट मिलते। लेकिन यह वोट उनके फैंस फॉलोविंग के कारण मिलते। जबकि काराकाट का माहौल काफी हद तक उनके घर की तरह है। जहां वह आसानी से लोगों के बीच अपनी बात रख सकते हैं। साथ ही स्थानीय लोगों का पूरा सपोर्ट भी उन्हें मिल सकता है।

काराकाट में भाजपा का प्रत्याशी नहीं

पवन सिंह लंबे समय से भाजपा से जुड़े रहे हैं। भाजपा के स्टार प्रचारकों में शामिल रहे हैं। जब उन्होंने बिहार से चुनाव लड़ने का फैसला किया तो उनके गृह जिले आरा के आसपास के जिलों में सिर्फ काराकाट ही ऐसी सीट है, जहां भाजपा के उम्मीदवार नहीं हैं। आरा के सबसे नजदीकी जिलों में पटना के दोनो सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार है। उसी तरह से सारण और महाराजगंज में भी भाजपा ही सामने है। बक्सर और  औरंगाबाद में भी भाजपा के प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। पवन सिंह इनसे मुकाबला नहीं करना चाहते हैं। इन सबके बीच काराकाट ही ऐसी सीट है, जो एनडीए की तरफ रालोमो प्रत्याशी उपेंद्र कुशवाहा चुनाव लड़ रहे हैं। यहां भले ही पवन सिंह को भाजपा का समर्थन नहीं मिल रहा है, लेकिन उनसे सीधे भिड़ंत होने का डर भी नहीं है।

जातीय वोट का समीकरण

काराकाट में कुल 16 लाख के करीब वोटर्स हैं। जो मुख्य रूप से कुशवाहा-कुरमी बहुल जिला माना जाता है। यहां छह लाख वोट कुशवाहा जाति से हैं। ऐसे में दोनों प्रमुख गठबंधन एनडीए और इंडी गठबंधन से इस बार कुशवाहा जाति के उम्मीदवार को उतारने का फैसला लिया गया। जहां एनडीए से उपेंद्र कुशवाहा हैं,  वहीं  महागठबंधन से माले के राजाराम कुशवाहा चुनाव लड़ रहे हैं। दोनों प्रत्याशियों के एक जाति के होने के कारण यहां वोटों का बंटवारा होना तय माना जा रहा है। जबकि कुशवाहा के बाद दो लाख वोटर्स राजपूत के हैं। जो अब तक कोई विकल्प नहीं होने के कारण एनडीए की तरफ झुके हुए नजर आते थे। पवन सिंह ने इन्ही दो लाख वोटर्स पर ध्यान दिया है। पवन सिंह को यकीन है कि राजपूत वोट उनकी तरफ होंगे। पवन सिंह के भरोसे को लेकर काराकाट में न्यूज4नेशन ने कुछ एक्सपर्ट लोगों से बात  की तो उनका भी मानना है कि पवन सिंह के आने के बाद राजपूत वोट बुरी तरह से टूट रहे हैं. जिसका नुकसान एनडीए को होगा। 

पवन सिंह के फैंस का वोट भी बनेगा फैक्टर

भोजपुरी सिने जगत में पवन सिंह का नाम कितना बड़ा है। वह जहां भी कार्यक्रम करते हैं, लाखों की संख्या में उन्हें सुननेवाले लोग पहुंचते हैं। चार दिन पहले जब पवन सिंह ने काराकाट से सिर्फ चुनाव लड़ने की घोषणा की तो इस क्षेत्र में उनका जमकर स्वागत  किया गया। खासकर युवा वर्ग में अपने चहेते स्टार को चुनाव में अपने सामने देखना किसी बड़े सपने की तरह है। ऐसे में वोटर्स चाहे किसी जाति के हों, चुनाव में पवन सिंह का नाम ही उनके लिए अपना फैसला बदलने के लिए मजबूर कर सकता है। 

काराकाट का यह जातीय समीकरण

कुशवाहा-कुरमी - 6 लाख, यादव - 3.5 लाख, राजपूत - 2 लाख, भूमिहार - 50-60 हजार, बनिया -50-60 हजार, ब्राह्मण -60-70 हजार, मुस्लिम - 1.5 लाख, मल्लाह - 30 हजार, नोनिया - 70 हजार, पासवान - 60-70 हजार

बिहार के राजपूत बहुल वाले जिलों में प्रत्याशी -ः

मोतिहारी - राधामोहन सिंह, राजपूत

सारण - राजीव प्रताप रूडी, राजपूत

महाराजगंज -जनार्दन सिंह सिग्रिवाल, राजपूत

औरंगाबाद  सुशील कुमार सिंह - राजपूत

आरा - आरके सिंह, राजपूत

REPORT - DEBANSU PRABHAT

Editor's Picks