PATNA : विश्व प्रसिद्ध बोधगया के महाबोधि मंदिर में तीन साल पहले हुए (Bodh Gaya Bomb Blast) बम ब्लास्ट के मामले में आज दोषियों को सजा सुनाएगी। मामले में एनआइए (NIA) के विशेष न्यायाधीश गुरविंद सिंह मल्होत्रा की अदालत में आज फैसला सुनाया जाएगा। बता कि महोबोधि मंदिर ब्लास्ट मामले में नौ लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिसमें बीते 10 दिसंबर को आठ लोगों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया था, इसके बाद अदालत ने उन्हें दोषी करार दिया था
एक को छोड़ सभी ने कबूला गुनाह
एनआईए की विशेष अदालत में न्यायाधीश गुरविंदर सिंह मल्होत्रा की कोर्ट में बोधगया के महाबोधि मंदिर के आरोपी अहमद अली उर्फ कालू, पैगंबर शेख, नूर आलम मोमिन, आदिल शेख उर्फ असद उल्लाह, दिलावर हुसैन, अब्दुल करीम उर्फ करीम शेख, मुस्तफिजुर रहमान और शाहीन और आरिफ हुसैन उर्फ अतातुर की ओर से याचिका दाखिल कर स्वेच्छा से अपना अपराध कबूल किए जाने की बात कही गई थी. वहीं इस मामले में नौवें आरोपी जाहिद उल इस्लाम ने अपना अपराध स्वीकार नहीं किया था. . फिलहाल सभी अभियुक्त राजधानी पटना के बेउर जेल में बंद हैं.
समाज में पुनः लौटना चाहते हैं आरोपी
जिन आरोपियों ने अपना गुनाह कबूला है, अब समाज में फिर से लौटना चाहते हैं। इन्होंने कोर्ट से किए गए निवेदन में कहा था कि वह लंबे समय से जेल में है. वे अपने परिवार, बच्चे, माता-पिता से काफी दिनों से मुलाकात नहीं कर पाए हैं। उनके निवेदन के बाद हुए सुनवाई और उसके बयान के आधार अदालत में सबको अलग-अलग धाराओं में दोषी करार दिया है। अब आज उन पर लगे आरोपों के आधार पर सजा तय की जाएगी।
ये थी प्लानिंग
दोषियों के मुताबिक म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों की कथित प्रताड़ना का बदला लेने के लिए ये साजिश रची गई थी। इसके लिए बांग्लादेश के बदनाम आतंकी संगठन जमाएल-उल-मुजाहिदीन के सरगना जाहिदुल इस्लाम उर्फ कौसर ने साजिश का खाका तैयार किया था।
दलाईलामा के प्रवचन के दौरान रची गई थी साजिश
ये मामला जनवरी 2018 का है। उस समय 19 जनवरी 2018 को बोधगया में बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा का प्रवचन चल रहा था। दोषियों ने तब दलाई लामा और बिहार के तत्कालीन राज्यपाल के दौरे के 19 जनवरी 2018 को मंदिर के कैम्पस में बम लगाए थे। इस मामले में पहला इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) कालचक्र मैदान के गेट नंबर 5 पर पाया गया था और इसे सुरक्षित करने के दौरान इसमें विस्फोट हो गया था. दो और आईईडी बाद में श्रीलंकाई मठ के पास और महाबोधि मंदिर के गेट नंबर 4 की सीढ़ियों पर पाए गए थे