लखनऊ. यूपी में वीआइपी की ओर से आयोजित निषाद जनचेतना रैली में वीआईपी सुप्रीमो और बिहार सरकार में मंत्री मुकेश सहनी ने कहा कि अपने परिवार की ही भलाई सोचने वाले निषाद नेताओं ने समाज के लिए कुछ नहीं किया. साथ ही उन्होंने कहा कि याचक नहीं शासन सत्ता का हिस्सेदार बनकर समाज की भलाई के लिए काम करने के लिए निषाद समाज को अपने वोट की ताकत को पहचानना होगा.
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में 16 प्रतिशत से अधिक आबादी होने के बाद भी निषाद समाज के साथ दोयम दर्जे का बर्ताव किया जा रहा है. इसके लिए निजस्वार्थ प्रेरित नेता दोषी हैं. निषाद समाज को राजपाट दिलाने का झूठा सपना दिखाकर एक नेता ने अपने परिवार के हित के लिए ही जुटा हुआ है. भोले भाले निषाद समाज की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहा है.
मुकेश सहनी ने कहा कि वीआईपी पार्टी का उदय 2018 में निषाद आरक्षण आंदोलन से हुआ, जिसका मुख्य उद्देश्य निषाद समाज की जातियों को अनुसूचित जाति का आरक्षण और उनका अधिकार दिलाना है. 2020 में राजग गठबंधन के रूप में वीआईपी अपने चुनाव चिन्ह नाव पर चुनाव लड़कर 4 विधायक बनाई. बिहार में जितना महत्व 74 विधायकों का है, उतना ही 4 विधायकों का भी हैं, किसी हमे चंदा व निषादराज की आरती का पैसा नहीं,आपका तन मन से सहयोग चाहिए.
रैली को संबोधित करते हुए सहनी ने कहा कि पश्चिम बंगाल, दिल्ली, उड़ीसा में निषाद जातियों को अनूसूचित जाति का आरक्षण मिलता है, तो उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड के निषाद, मल्लाह, केवट, बिंद, गोडिया आदि को क्यों नहीं. सहनी ने कहा की उत्तरप्रदेश में सरकार निषाद जातियों के साथ सामाजिक राजनीतिक अन्याय कर रही है. उन्होंने मझवार, तुरैहा, गोंड, बेल्दार, खैरहा, खोरोट की तरह निषाद मछुआरा जातियों के आरक्षण व परंपरागत पुश्तैनी पेशों की बहाली की मांग की.
वहीं वीआईपी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता देव ज्योति निषाद जन चेतना रैली को संबोधित करते हुए कहा कि निषाद कटपीस नहीं, थान वाली जातियों का समूह है. उत्तर प्रदेश की 403 में 169 सीटों पर 40 हजार से 1.20 लाख निषाद, कश्यप, बिंद मतदाता हैं. वीआइपी पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ेगी.