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नीतीश सरकार ने अब 'करप्शन' से भी किया समझौता ! JDU कोटे वाले विभाग ने भ्रष्टाचार के आरोपी को फिर से 'फील्ड पोस्टिंग' देकर किया उपकृत, हुजूर...कहां गई आपकी जीरो टॉलरेंस की नीति ?

नीतीश सरकार ने अब 'करप्शन' से भी किया समझौता ! JDU कोटे वाले विभाग ने भ्रष्टाचार के आरोपी को फिर से 'फील्ड पोस्टिंग' देकर किया उपकृत, हुजूर...कहां गई आपकी जीरो टॉलरेंस की नीति ?

PATNA: मुख्यमंत्री ने ट्रिपल C ( क्राइम,करप्शन और कम्यूनलिज्म)  में एक C (करप्शन) से समझौता कर लिया है. ऐसा इसलिए क्यों कि अब धड़ाधड़ भ्रष्टाचार के आरोपी अफसरों की फील्ड पोस्टिंग शुरू हो गई है. कुछ समय पहले तक भ्रष्टाचार मामले में निगरानी द्वारा दर्ज केस के आरोपियों की फील्ड पोस्टिंग नहीं दी जा रही थी. लेकिन समय के साथ सरकार ने भ्रष्टाचार के आरोपियों से समझौता कर लिया है. राजद कोटे के मंत्रियों की बात छोड़ दीजिए, जेडीयू कोटे वाले विभाग में भी भ्रष्टाचार के आरोपियों की फील्ड पोस्टिंग देने का काम शुरू हो गया है. मद्ध निषेध विभाग ने ऐसा कर अपने ही आदेश को पलट दिया.  

भ्रष्टाचार केस में पोस्टिंग को लेकर अपनी नीति को विभाग ने बदला 

बात मद्ध निषेध व निबंधन विभाग की कर लेते हैं. केके पाठक के समय तक विभाग की अधिसूचना में ही यह उल्लेख कर दिया जाता था कि जब तक कोर्ट का निर्णय नहीं आ जाता है, भ्रष्टाचार केस के आरोपी अफसरों की फील्ड पोस्टिंग करना उचित नहीं है. तब वैसे अफसरों को निलंबन मुक्त कर फील्ड की बजाय दूसरा काम अलॉट किया जाता था. अन्य विभागों में भी ऐसा ही होते आया है. लेकिन मद्ध निषेध विभाग की 15 जनवरी को जारी अधिसूचना में अपनी ही नीतियों की धज्जियां उड़ा दी गई है. मद्ध निषेध विभाग ने 15 जनवरी को बड़ी संख्या में पदाधिकारियों का स्थानांतरण-पदस्थापन किया है. इनमें से दो ऐसे अधिकारी हैं जिन पर भ्रष्टाचार के गंभीर केस हैं. विभागीय कार्यवाही संचालित है, फिर भी फील्ड पोस्टिंग देकर प्रशस्ति पत्र दे दिया गया. पदस्थापन की प्रतीक्षा में रहे अविनाश प्रकाश को एक बार फिर से उत्पाद अधीक्षक का पद देकर फील्ड में भेज दिया गया. डीए केस के आरोपी अविनाश प्रकाश को सिवान का उत्पाद अधीक्षक बनाया गया है. वहीं, निगरानी केस के दूसरे अधिकारी सुरेन्द्र प्रसाद को ई.आई.बी मुख्यालय के पद पर पदस्थापित किया गया है. यह काफी महत्वपूर्ण जिम्मा है. 

जिस अफसर को महत्वपूर्ण जगह दी उनके खिलाफ भी निगरानी का गंभीर केस 

मद्ध निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग ने 29 अक्टूबर को अपने 7 अधिकारियों को  मद्ध निषेध उपायुक्त में प्रोन्नत्ति दी थी. इनमें से एक हैं सुरेंद्र प्रसाद. अब इन्हें 15 जनवरी की अधिसूचना से उपायुक्त ई.आई.बी. मुख्यालय बनाया गया है. यह बिहार में इकलौता पद होता है. बता दें, सुरेंद्र प्रसाद 2007 में समस्तीपुर में एक्साइज इंस्पेक्टर के पद पर तैनात थे. तभी इन्हें निगरानी ने रिश्वत लेने का केस दर्ज किया था. सुरेंद्र प्रसाद के खिलाफ 20 अप्रैल 2007 को ट्रैप केस दर्ज हुआ था, केस नंबर है 53/2007. निगरानी ब्यूरो की तरफ से दागियों और उनके केस का जो अपडेट दिया गया है उसमें सुरेन्द्र प्रसाद के खिलाफ CS-95/07 18.06.07 दर्ज है. इनका भ्रष्टाचार का केस पेंडिंग है. 

अविनाश प्रकाश के खिलाफ 2021 में दर्ज हुआ था डीए केस..कई ठिकानों पर हुई थी रेड 

अब दूसरे अधिकारी अविनाश प्रकाश जिन्हें सिवान का उत्पाद अधीक्षक बनाया गया है. 15 जनवरी की अधिसूचना के तहत अब ये सिवान के अधीक्षक हैं. इनके बारे में जान लें. इनका केस केस महत 2 साल पुराना है. मोतिहारी में उत्पाद अधीक्षक रहते अविनाश प्रकाश के ठिकानों पर विशेष निगरानी इकाई ने केस दर्ज कर छापेमारी की थी. रेड मोतिहारी से लेकर पटना तक हुआ था. दावा किया गया था कि अविनाश प्रकाश के खिलाफ आय से काफी अधिक संपत्ति का पता चला है. विशेष निगरानी इकाई ने 7 दिसंबर 2021 को मोतिहारी के तत्कालीन उत्पाद अधीक्षक अविनाश प्रकाश के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का केस (05/21) दर्ज कर छापेमारी की थी. इस केस की जांच अभी भी जारी है. इधर विभाग ने उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही प्रारंभ किया है.विभागीय कार्यवाही का फलाफल क्या निकला..इसके पहले ही मद्ध निषेध विभाग ने भ्रष्टाचार के आरोपी अफसर को एक बार फिर से फील्ड में पोस्टिंग देकर अपने ही आदेश को पलट दिया. साथ ही भ्रष्टाचार को लेकर नीतीश सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति की हवा निकाल दी. 

निगरानी ने उत्पाद विभाग के 10 लोगों के खिलाफ दर्ज किया है केस 

निगरानी की तरफ से जो जानकारी दी गई है उसमें 2007 से लेकर अब तक उत्पाद विभाग के 10 सरकारी सेवकों के खिलाफ डीए और ट्रैप केस दर्ज किया गया है. उनमें हैदर अली, सरोज कुमार, महेंद्र चौधरी, सुजीत कुमार सिंह, (प्रियंका कुमारी वाल्मीकि सिंह-प्राईवेट आदमी) संजय कुमार, सुरेंद्र प्रसाद, विजय कुमार चौरसिया, राधे कृष्णा सिंह और सीताराम महतो शामिल हैं. इसके अलावे विशेष निगरानी इकाई ने 7 दिसंबर 2021 को मोतिहारी के तत्कालीन उत्पाद अधीक्षक अविनाश प्रकाश के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का केस (05/21) दर्ज कर छापेमारी की थी. इस केस की जांच अभी भी जारी है. इधर विभाग ने उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही प्रारंभ किया है. विशेष निगरानी इकाई की तरफ से ही यह जानकारी सार्वजनिक की गई है.

दागियों की महत्वपूर्ण व फील्ड पोस्टिंग से नीतीश की यूएसपी को लगेगा धक्का 

बड़ा सवाल यही है कि क्या सीएम नीतीश कुमार ने जो व्यवस्था बना रखी है, उसमें कोर्ट से बिना क्लीन चिट मिले दागियों को राजधानी में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है ? दूसरे को फील्ड में उत्पाद अधीक्षक जैसे महत्वपूर्ण जगह पर पोस्टिंग दी जा सकती है ? वो भी तब जब उत्पाद विभाग खुद जेडीयू के कोटे में है. ऐसा करने सीएम नीतीश की यूएसपी को गहरा धक्का लगा है. वैसे बता दें, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दागियों को फील्ड पोस्टिंग देने पर परिवहन विभाग के आदेश को पलटवा दिया था. अब देखना होगा कि इस मामले में सरकार का क्या रूख होता है. 

मद्ध निषेध विभाग का भ्रष्टाचार के आरोपियों को फील्ड पोस्टिंग से दूर रखने का आदेश देखिए....

अपने ही आदेश को विभाग ने पलटा..यह भी सबूत देखिए...

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