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‘नीतीश सरकार है लंगड़ी सरकार’, सुधाकर की राह पर चले एक और राजद नेता के बयान से मचा बवाल

‘नीतीश सरकार है लंगड़ी सरकार’, सुधाकर की राह पर चले एक और राजद नेता के बयान से मचा बवाल

पटना. नीतीश सरकार पर हमला बोलने वाले राजद नेताओं की लिस्ट में अब उदय नारायण चौधरी का नाम भी जुड़ गया है. एक दौर में दशकों नीतीश कुमार की पार्टी में रहकर राजनीति करने वाले उदय नारायण चौधरी ने महागठबंध की मौजूदा सरकार को लंगड़ी सरकार कहा है. नीतीश पर राजद का निशाना जारी रखते हुए RJD के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष ने नीतीश सरकार को लंगड़ी सरकार बताया है. 

उन्होंने कहा है कि जब बिहार में तेजस्वी यादव आय़ेंगे तब विकास होगा. उनसे पूछा गया था कि तेजस्वी यादव ने सरकार बनते ही 10 लाख नौकरी देने का वादा किया था. इसी पर चौधरी ने कहा कि यह तब होगा जब तेजस्वी सत्ता में आएंगे. उन्होंने नीतीश कुमार की सरकार को लंगड़ी सरकार करार दिया है.

दरअसल, उदय नारायण चौधरी जमुई लोकसभा सीट से अगला लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं. इसकी तैयारी में वे अभी से ही क्षेत्र में घूम रहे हैं. इसी क्रम में चौधरी जमुई के सिमलतुला इलका में पहुंचे थे. वहां लोगों के साथ बैठक की तो स्थानीय लोगों ने सरकार की शिकायतों का अंबार लगा दिया. इसके बाद उदय नारायण चौधरी ने इसका ठीकरा नीतीश कुमार पर फोड़ दिया. साथ ही नीतीश सरकर को लंगड़ी सरकार बताकर नया विवाद खड़ा कर दिया है. 

उदय नारायण चौधरी दशकों तक नीतीश कुमार के खास नेताओं में रहे. 2005 में जब बिहार में नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने तो दलित समाज से आने वाले चौधरी को बिहार विधान सभा का अध्यक्ष बनाया गया. वे दस वर्ष यानी वर्ष 2005 से 2015 तक विधानसभा के अध्यक्ष रहे. बाद में जब नीतीश कुमार ने 2015 में भाजपा से नाता तोड़कर महागठबंधन की सरकार बनाई और फिर से 2017 में एनडीए में लौट गए तो उदय नारायण चौधरी ने उनका विरोध किया. वे जदयू छोड़कर राजद में चले गए. 

उन्हें जनता दल (यूनाइटेड) द्वारा 2014 के भारतीय आम चुनाव में जमुई लोकसभा क्षेत्र में अपने उम्मीदवार के रूप में भी मैदान में उतारा गया था। चौधरी को एक कट्टर नीतीश कुमार का वफादार माना जाता था क्योंकि उन्होंने अगस्त 2014 में 8 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करके जद (यू) में विद्रोह को विफल कर दिया था। फरवरी 2014 में राजद के 13 बागी विधायकों के जद (यू) में विलय की सुविधा के लिए हस्ताक्षरों की भौतिक पुष्टि किए बिना एक अलग इकाई के रूप में सूचित करने के उनके फैसले के लिए उन्हें व्यापक आलोचना झेलनी पड़ी थी. बाद में नीतीश ने वफादार ने उनका विरोध किया और वे राजद में चले आए. अब वे नीतीश सरकार को लंगड़ी सरकार बता रहे हैं. 


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