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सवर्णों का सबसे बड़े विरोधी हैं नीतीश कुमार, वित्तरहित कॉलेजों का अनुदान रोकने को लेकर निर्दलीय एमएलसी ने सरकार की खोल दी पोल

सवर्णों का सबसे बड़े विरोधी हैं नीतीश कुमार, वित्तरहित कॉलेजों का अनुदान रोकने को लेकर निर्दलीय एमएलसी ने सरकार की खोल दी पोल

PATNA : बिहार की नीतीश सरकार पूरी तरह से सवर्ण विरोधी है। जिनका एक ही मकसद है कि सवर्णों का विरोध करें, ताकि दूसरी जातियों के वोट उन्हें मिल सके। जबकि हकीकत यह है कि इस सरकार ने किसी के लिए कुछ नहीं किया। यह कहना है सारण के निर्दलीय एमएलसी सच्चिदानंद राय का।

सच्चिदानंद राय ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर बड़ा हमला करते हुए कहा कि उन्हें सीरियस लेने की जरुरत नहीं है। वह आज जो बोलते हैं, कल उन्हें याद नहीं रहता है। आज विशेष राज्य पर बात कर रहे हैं, लेकिन यह उन्हें तभी याद आता है, जब वह राजद के साथ सरकार बनाते हैं। 2017-2022 तक वह बीजेपी के साथ सरकार में रहे, लेकिन इन पांच सालों में एक बार भी उन्होंने विशेष राज्य की मांग को लेकर कभी केंद्र सरकार से मांग नहीं की। जिस तरह जातीय सर्वे पर सर्वदलीय टीम बनाकर दिल्ली गए, उसी तरह विशेष राज्य के मुद्दे पर उन्होंने कोई कोशिश नहीं की है। 

केंद्र का पैसा नहीं खर्च पाती बिहार सरकार

सच्चिदानंद राय ने कहा विशेष राज्य का दर्जा मिल भी जाए तो भी यहां कुछ बदलनेवाला नहीं है। सरकार ने बिहार को ऐसी स्थिति में पहुंचा दिया है। सच्चाई यह है कि हर साल बिहार को केंद्र से मिलनेवाली राशि खर्च भी नहीं किया जाता है। पैसों का इस्तेमाल नहीं होने के कारण मार्च में यह राशि वापस चली जाती है। सरकार कभी नहीं चाहती कि स्थिति में सुधार हो।


सवर्णों के विरोधी हैं नीतीश कुमार

निर्दलीय एमएलसी ने मुख्यमंत्री को सवर्णों का विरोधी बताया। इस दौरान उन्होंने बिहार के वित्तरहित स्कूल-कॉलेजों का जिक्र करते हुए बताया कि इन कॉलेजों को सालों से कोई अनुदान नहीं दिया गया। जिसकी एक बड़ी वजह इन कॉलेजों को शुरू करनेवाले सवर्ण वर्ग से आते थे। आज स्थिति यह है इन कॉलेजों में न तो छात्रों से कोई फीस ली जा सकती है और न ही सरकार से कोई पैसा दिया जाता है। पैसे नहीं मिलने के कारण इन कॉलेजों के प्रोफेसर फटेहाल जिंदगी जीने को मजबूर हैं।

जातीय सर्वे में आ गई सच्चाई

आज 82 फीसदी परिवार ऐसे हैं, जिनकी मासिक आय 20 हजार से कम है। 3.9 फीसदी परिवार ही 50 हजार से अधिक कमाते है। 34 फीसदी परिवार ही 6000 से अधिक महीने में कमाते है। आज सरकार ने बिहार की ऐसे हाल में ला दिया है, जहां से किसी जाति या धर्म के लोगों का भला नहीं होनेवाला है। जो थोड़ा बहुत पढ़ लिख गए हैं और बाहर चले गए हैं, वही कुछ पैसे भेजते हैं, उन्हीं के घरों में खुशहाली देखने को मिलेगी। बाकि सभी को सरकार ने डूबो दिया है।




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