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नीतीश मिश्रा ने तेजस्वी से पूछे 7 सवाल- न्यायपालिका के फैसले को जातिगत चश्में से देखकर समाज को बांटना कहां तक उचित ?

नीतीश मिश्रा ने तेजस्वी से पूछे 7 सवाल- न्यायपालिका के फैसले को जातिगत चश्में से देखकर समाज को बांटना कहां तक उचित ?

PATNA : बीजेपी नेता एवं पूर्व मंत्री नीतीश मिश्रा ने चारा घोटाला मामले में न्यायपालिका पर उठाए गए आपत्ति पर सवाल दागें हैं। पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्रा के पुत्र और बिहार के पूर्व मंत्री नीतीश मिश्रा ने सवाल पूछा है कि तेजस्वी यादव एवं राजद के अन्य नेता लगातार डॉ. जगन्नाथ मिश्र को चारा घोटाले में मिले जमानत पर आपत्ति दर्ज कराते हैं। साथ ही न्यायपालिका को जातिगत चश्मे से देखकर समाज को जाति के नाम पर विखंडित करने का भी प्रयास करते रहे हैं।

  1. नीतीश मिश्रा ने पूछा है कि जून 1997 में चारा घोटाले में जगन्नाथ मिश्र को पटना हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत दी थी .क्या किसी अभियुक्त को इस मामले में अग्रिम जमानत मिल पायी है,उस दौरान केंद्र में किसकी सरकार थी ?
  2. सीबीआई निदेशक जोगिंदर सिंह  के द्वारा जब जगन्नाथ मिश्र पर आरोप लगाए गए तो उन्होनें दिल्ली हाईकोर्ट में मानहानि का मुकदमा दर्ज किया था।बताइए चारा घोटाले के किसी अन्य अभियुक्त नें जांच अधिकारी के खिलाफ इस तरह का मुकदमा दर्ज कराया ?
  3. 2013 में केस संख्या-आरसी 20 ए में रांची हाईकोर्ट के द्वारा डा. मिश्रा को जमानत मिली थी।जबकि लालू प्रसाद को नहीं,उस समय केंद्र में आखिर किसकी सरकार थी ?
  4. जुलाई 2014 में हाईकोर्ट रांची ने डा. मिश्रा के खिलाफ झारखंड में चल रहे सभी चार मामलों को क्या निरस्त नहीं किया गया था ?
  5. सीबीआई की विशेष अपील पर रांची हाईकोर्ट के जुलाई 2014 के निर्णय के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट नें अपील को स्वीकार करते हुए रांची हाईकोर्ट के आदेश को खारिज करके डा. मिश्र पर सीबीआई की विशेष अदालत को ट्रायल चलाने का आदेश दिया गया था।वहीं दो मामलों में सीबीआई की विशेष अदालत नें जगन्नाथ मिश्र को बरी कर दिया।
  6. क्या डा. मिश्र के साथ राजद नेता विद्धासागर निषाद को दो मामलों में बरी नहीं किया गया..उसके बावजूद बार-बार डा. मिश्रा को तो जिक्र किया जाता है लेकिन विधासागर निषाद के बारे में कुछ नहीं बोला जाता ?
  7. आईआरसीटीसी घोटाले में खुद आप लालू-राबड़ी को पटियाला कोर्ट के विशेष जज अरूण भारद्वाज द्वारा जमानत दी गई है.

कुल मिलाकर नीतीश मिश्रा नें तेजस्वी सहित राजद के नेताओं पर न्यायपालिका एवं उसके फैसले को जातिगत चश्में से देखना का आरोप लगाते हुए उपरोक्त सवाल उदाहरण के तौर पर पेश किए हैं।ताकि यह देखा जा सके कि कैसे समान्य वर्ग से आने वाले न्यायधीशों ने कई मामलों में लालू परिवार सहित राजद नेताओं को बरी किया है। 

विवेकानंद की रिपोर्ट

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