बेंगलुरु में नीतीश का हुआ इतना अपमान की प्रेस कांफ्रेंस छोड़ कर भागे, संयोजक भी नहीं बनाया, दर्द छुपाने के लिए कुछ ज्यादा ही मुस्कुरा रहे, सुशील मोदी

PATNA: लोकसभा चुनाव से पूर्व विपक्षी एकता की दूसरी बैठक के बाद से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेंगलुरु से जल्दी वापसी, उनके मुस्कुराने और लोगों से मिलने के कई मतलब सियासी गलियारे में निकाले जाने लगे हैं। इसी कड़ी में बुधवार को पूर्व उपमुख्यमंत्री और सांसद सुशील कुमार मोदी ने मुख्यमंत्री के हंसते हुए मीडिया से बात करने का कारण भी शायद ढूंढ लिया है। दरअसल, बुधवार को सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि बेंगलुरु बैठक में विपक्षी एकता के 'सूत्रधार' नीतीश कुमार को "इंडिया" नाम से बने नये मंच का संयोजक बनाने की चर्चा तक नहीं हुई और उनका इतना अपमान हुआ है कि उन्हें प्रेस कॉन्फ्रेंस में रहना तक भारी लगा।
सांसद सुशील मोदी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सलाह देते हुए कहा कि अब यदि मुंबई बैठक में संयोजक बनाया भी जाए, तो नीतीश कुमार को यह पद स्वीकार नहीं करना चाहिए। संयोजक न बनाये जाने की नाराजगी और मंच का अंग्रेजी नाम रखने से अपनी असहमति को छिपाने के लिए नीतीश कुमार इधर- उधर की बात कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भाजपा ने नीतीश कुमार के लिए दरवाजे बंद कर लिए हैं, इसलिए बेंगलुरु में मिले दर्द को झुठलाने के लिए उन्हें ज्यादा मुस्कुराना पड़ रहा है। नीतीश कुमार कोई सेवा विमान से नहीं गए थे कि उनकी फ्लाइट छूट रही थी, इसलिए पहले निकल लिए। वे तो चार्टर्ड प्लेन से गए थे फिर जल्दी क्या थी? जो व्यक्ति दिन में तीन बार मीडिया से बात करता हो, उसने बेंगलुरु में और फिर पटना लौटने पर प्रेस से परहेज क्यों किया? यह सब नाराजगी प्रकट कर सौदेबाजी करने का नीतीश कुमार का पुराना अंदाज है।
कांग्रेस ने नीतीश कुमार और शरद पवार को किनारे कर बेंगलुरु बैठक को पूरी तरह हाईजैक कर लिया। विपक्ष के फर्जी "इंडिया' में ऑल इज नॉट वेल है। बैठक में ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल को ज्यादा महत्व दिया गया, जबकि नीतीश कुमार को पोस्टर से भी गायब कर दिया गया था और उल्टे सुल्तानगंज पुल ढहने की फोटो के साथ नीतीश विरोधी पोस्टर भी लगाये गए थे।