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कैसे स्थापित होगा सुशासन? 'अफसर' से गुंडागर्दी करने वाले 'लोजपा' नेता की अब तक नहीं हुई गिरफ्तारी, दाउदनगर पुलिस भूल 'गई केस'

कैसे स्थापित होगा सुशासन? 'अफसर' से गुंडागर्दी करने वाले 'लोजपा' नेता की अब तक नहीं हुई गिरफ्तारी, दाउदनगर पुलिस भूल 'गई केस'

पटनाः चिराग पासवान की पार्टी के एक नेता प्रकाश चंद्रा पर अंचलाधिकारी ने हथियार के बल पर अपहरण की कोशिश करने का केस दर्ज कराया था। सीओ ने बड़ी मुश्किल से भागकर जान बचाई थी।औरंगाबाद के वरीय अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद गुंडागर्दी करने वाले उस नेता के खिलाफ 17 जून को केस दर्ज किया गया था। मामला औरंगाबाद के दाउदनगर अंचलाधिकारी से जुड़ा है। केस दर्ज हुए अब एक महीने होने को हैं, लेकिन आरोपी लोजपा नेता पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।दाउदनगर पुलिस ने केस दर्ज कर चुप्पी साध ली या फिर केस को ही भूल गई है। बता दें, अंचलाधिकारी से गुंडागर्दी करने वाला नेता 2020 के विधानसभा चुनाव में ओबरा से लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुका है। 

लोजपा नेता की गुंडागर्दी 

दाउदनगर अंचलाधिकारी विजय कुमार ने 17 जून को लोजपा (रामविलास) के नेता प्रकाश चंद्रा के खिलाफ दाउदनगर थाने में केस दर्ज कराया था। पुलिस ने आरोपी नेता प्रकाश चंद्र व बॉडीगार्ड के खिलाफ धारा 341, 323, 353, 504, 506,186,189 और 427 के तहत केस दर्ज किया था. अपराध सरकारी कार्य में बाधा डालने की है। सीओ विजय कुमार ने दाउदनगर पुलिस को दिये आवेदन में कहा था कि प्रकाश चंद्रा व उनके हथियारबंद बदमाशों ने दफ्तर से जबरन उठाने का प्रयास किया। सीओ ने आवेदन में बताया कि 15 जून को वे अपने कार्यालय में बैठकर काम कर रहे थे. इसी बीच मेरे निजी मोबाइल पर प्रकाश चंद्रा का फोन आया. हम फोन नहीं उठा पाये, क्योंकि मैं ऑफिशियल नंबर पर किसी दूसरे व्यक्ति से बात कर रहा था. इसी बीच अंचल अमीन के मोबाइल से मेरे सरकारी नंबर पर फोन आया. मुझे बताया गया कि प्रकाश चंद्र बात करना चाहते हैं. जब मैंने बात करनी शुरू की तो प्रकाश चंद्रा गाली गलौज करने लगा. साथ ही मुझे अपने ऑफिस में बुलाया.

दाउदनगर थाने में केस दर्ज 

दाउदनगर सीओ ने कहा है कि फोन कटने के 5 मिनट के अंदर ही प्रकाश चंद्रा के हथियारबंद गुंडे मेरे दफ्तर पहुंच गए. वे लोग मेरे साथ बदतमीजी करने लगे.इतना ही नहीं वे लोग हमें जबरन उठाकर ले जाने का प्रयास करने लगे. इस दौरान हाथापाई होने लगी. अंचल गार्ड की सहायता से किसी तरह से हमारी जान बची. इसके बाद मुझे धमकी देते हुए और हथियार लहराते हुए सभी भाग गए. इस दौरान कई आवश्यक कागजातों को भी नष्ट कर दिया गया है. इस संबंध में हमने तत्काल इसकी जानकारी औरंगाबाद डीएम को दी है. सीओ ने थानेदार से आग्रह किया इन सभी व्यक्तियों के खिलाफ केस दर्ज कर कठोर कानूनी कार्यवाही की जाये। सीओ के आवेदन पर प्रकाश चंद्रा, चिंटू मिश्रा, मनीष कुमार व 3 अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज हुआ। 

क्या कहते हैं पुलिस अधिकारी

इस संबंध में दाउदनगर के थानाध्यक्ष से पूछा गया। थानेदार ने जवाब दिया कि इस मामले में क्या कार्रवाई हुई इसकी जानकारी नहीं है। वे अभी छापेमारी में हैं। थाना जाने पर ही पता चलेगा कि इस केस में क्या कार्रवाई हुई है। बड़ा सवाल यही है कि दाउदनगर की पुलिस एक महीने के भीतर ही सरकारी अधिकारी के केस को भूल सकती है तो फिर आम आदमी के केस का क्या होगा? क्या दाउदनगर थाने की पुलिस आरोपी को बचाने में जुटी है? बताया जाता है सरकारी कार्य में बाधा डालने के आरोप में नामजद या अज्ञात में से किसी अभियुक्त को गिरफ्तार करने में पुलिस विफल रही है।

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