DESK : भारत में बारिश या कोहरे के कारण विमानों के लेट होने या कैंसिल होने के मामले सामने आते रहे हैं। लेकिन शायद ही कभी यह सुना गया हो कि मौसम साफ रहने और गर्मी के कारण फ्लाइट रद्द कर दी जाए। भारत की सबसे ऊंचाई पर स्थित लद्दाख में ऐसी ही घटना हुई है। गर्मी में भी इंसान को जमा देने वाली सर्दी के लिए मशहूर लद्दाख में इन दिनों आग बरस रही है। भीषण गर्मी के चलते इसी हफ्ते के शुरुआत में भारतीय एयरलाइंस को दर्जनों उड़ानें रद करनी पड़ीं।
गर्मी के कारण लेह-लद्दाख में इतने बड़े पैमाने पर फ्लाइट कैंसिल करने का यह पहला मामला है। ऐसे में यह जानना जरुरी है कि क्यों ऐसा हुआ। आम तौर पर किसी शहर में गर्मी के कारण विमानों को रद्द नहीं किया जाता है. लेकिन लेह-लद्दाख इस मामले में अलग है।
लेह स्थिति कुशोक बकुला रिम्पोछे एयरपोर्ट समुद्र तल से 10,682 फीट की ऊंचाई पर है। यह दुनिया के सबसे ज्यादा ऊंचाई पर स्थित हवाई अड्डों में से एक है। यहां पर उड़ान भरने और फ्लाइट उतारने के लिए पायलटों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है।
एयरबस उड़ानेवाले एक पायलट ने बताया कि लेह जितनी ऊंचाई पर A320 Neo एयर प्लेन का उड़ान भरने के लिए 33 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान चाहिए होता है। इससे ज्यादा तापमान पर इस एयरप्लेन की उड़ानें प्रभावित होती हैं। जबकि हाल के दिनों में यहां का तापमान 30 से 36 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है। इस कारण ये कई उड़ानें प्रभावित हुईं।
वहीं स्पाइसजेट की ओर से बताया गया कि लेह हवाई अड्डे पर बोइंग 737 के टेक-ऑफ और लैंड करने के लिए 32 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान चाहिए।
रन-वे की लंबाई
लेह जैसी जगहों पर उच्च तापमान के कारण विमानों को उड़ान भरने के लिए अधिक लंबी रन-वे की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए यदि विमान को 20 डिग्री सेल्सियस पर 6,500 फीट रनवे की आवश्यकता होती है तो 40 डिग्री सेल्सियस पर उसे 8,200 फीट रनवे की आवश्यकता होगी।
बता दें कि लेह में 9434 फीट का रनवे है, लेकिन फ्लाइट के टेक-ऑफ करने के साथ ही पहाड़ों पर टकराने से बचने के लिए ऊंचाई पर जाना ले जाना होगा , जोकि तापमान बढ़ने पर मुश्किल हो जाता है। इसलिए लेह में तापमान बढ़ने पर विमान का उड़ान भरना असुरक्षित हो जाता है।