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अब गौतम अडानी NDTV के नए मालिक, प्रणॉय रॉय और राधिका रॉय ने छोड़ा डायरेक्टर का पद

अब गौतम अडानी NDTV  के नए मालिक, प्रणॉय रॉय और राधिका रॉय ने छोड़ा डायरेक्टर का पद

DESK : देश के सबसे पुराने न्यूज चैनलों में शामिल NDTV पर अब अडानी ग्रुप का अधिकार हो गया है।  जिसके बाद अब चैनल के प्रमोटर ग्रुप RRPRH के बोर्ड के डारयरेक्टर के पद से प्रणॉय रॉय और राधिका रॉय ने NDTV के प्रमोटर ग्रुप RRPRH के बोर्ड के डायरेक्टर पद से इस्तीफा दे दिया है। जिसके बाद अब सुदीप्त भट्टाचार्य, संजय पुगलिया और सेंथिल सिन्नैया चेंगलवारायण को तत्काल प्रभाव से RRPRH के बोर्ड में डायरेक्टर्स के रूप में नियुक्त किया गया है।

RRPR होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड के विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड (VCPL) को एक दिन पहले अपने 99.5% शेयर ट्रांसफर करने के बाद प्रणॉय रॉय और राधिका रॉय ने इस्तीफा दिया है। VCPL को बीते दिनों अडाणी ग्रुप ने अधिग्रहित कर लिया था जिस कारण उसे NDTV में लगभग 29.18% हिस्सेदारी मिल गई है।

ऐडिशनल 26% हिस्सेदारी के लिए ओपन ऑफर

इसके अलावा अडाणी ग्रुप ने बाजार से ऐडिशनल 26% हिस्सेदारी हासिल करने के लिए ओपन ऑफर भी निकाला है। 1.67 करोड़ शेयर का ये ओपन ऑफर 22 नवंबर को खुला है और 5 दिसंबर को बंद होगा। ऑफर के लिए 294 रुपए प्रति शेयर का प्राइस बैंड तय किया गया है।

अभी तक ओपन ऑफर में 53.28 लाख से ज्यादा शेयर टेंडर किए जा चुके हैं। अगर ये ओपन ऑफर पूरी तरह सब्सक्राइब हो जाता है, तो अडाणी ग्रुप की NDTV में टोटल हिस्सेदारी 55.18% हो जाएगी। इसका सीधा मतलब होगा कि NDTV के बोर्ड पर अडाणी ग्रुप का कंट्रोल हो जाएगा।

चेयरमैन गौतम अडाणी ने हाल में ही एक एक इंटरव्यू में कहा कि 'एनडीटीवी की खरीद उनके लिए एक 'व्यावसायिक अवसर' के बजाय एक 'जिम्मेदारी' थी।  साथ ही उन्होंने एनडीटीवी के मालिक-संस्थापक प्रणय रॉय को इसके प्रमुख बने रहने के लिए आमंत्रित किया है। उन्होंने इंटरव्यू में कहा कि 'स्वतंत्रता का मतलब है कि अगर सरकार ने कुछ गलत किया है, तो आप उसे गलत कहें, लेकिन साथ ही आपको ये भी हिम्मत रखनी चाहिए जब सरकार हर दिन सही काम कर रही हो तो आपको यह भी बताने होंगे.

वैश्विक समाचार ब्रांड बनाने की चाहत

अरबपति गौतम अडानी ने कहा है कि उनका समूह एक वैश्विक समाचार ब्रांड का निर्माण करना चाहता है. उन्होंने कहा कि 'आप स्वतंत्र होने और वैश्विक पदचिह्न रखने के लिए एक मीडिया हाउस का समर्थन क्यों नहीं कर सकते?' दरअसल अधिग्रहण की इस बोली ने देश में मीडिया स्वतंत्रता पर बहस शुरू कर दी है. अडाणी को मोदी सरकार के पक्ष में माना जाता है, जबकि एनडीटीवी हमेशा सरकार के खिलाफ मुद्दों को उठाता रहा है.'


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