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अनंत चतुर्दशी पर बाबा गरीब स्थान मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता, जानिए अनंत चतुर्दशी का महत्व

अनंत चतुर्दशी पर बाबा गरीब स्थान मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता, जानिए अनंत चतुर्दशी का महत्व

अनंत चतुर्दशी के पावन पर्व पर उत्तर बिहार का देवघर कहे जाने वाले मुजफ्फरपुर के बाबा गरीब स्थान मंदिर में विशेष पूजा अर्चना किया गया. हजारों लोगों ने बाबा गरीबनाथ को जल अभिषेक कर पूजा अर्चना की.अनंत चुतर्दशी के अवसर पर  बाबा गरीब नाथ मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. अलसुबह ही लोग कतार में लगा कर अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे.श्रद्धालुओं ने कतारबद्ध होकर जलार्पण करके मंगलकामना किया.जलार्पण के बाद श्रद्धालु मंदिर परिसर में विभिन्न अनुष्ठान संपन्न कराए.

वहीं अनंत चतुर्दशी को लेकर बड़ी संख्या में महिलाओं ने पूजा-अर्चना कर कथा श्रवण किया. शास्त्रों के अनुसार महाभारत में युधिष्ठिर ने श्री कृष्ण से कष्टों के निवारण के संबंध में पूछा था. इसके जवाब में भगवान ने अनंत चतुर्दशी के अवसर पर व्रत पूजा और कथा सुनने को कहा।.उसी समय से यह परंपरा चली आ रही है. इस दिन महिला और पुरुष व्रत रखकर कथा सुनते हैं. वहीं हाथ पर अनंत डोरा बांधा जाता है. कहते हैं कि दस दिनों तक डोरा बांधने सभी तरह के कष्टों का निवारण हो जाता है और इच्छा पूरी होती है.

अनन्त सागर महासमुद्रेमग्नान्समभ्युद्धर वासुदेव.

अनंत रूपेविनियोजितात्माह्यनन्तरूपायनमोनमस्ते.

बता दें अनंत चतुर्दशी के दिन पूजा के बाद बाजू में बांधे जाने वाले अनंत सूत्र में 14 गांठे हैं. पुराणों  के अुनसार ये चौदह गांठों वाला अनंत सूत्र 14 लोकों  भूर्लोक, भुवर्लोक, स्वर्लोक, महर्लोक, जनलोक, तपोलोक, ब्रह्मलोक, अतल, वितल, सतल, रसातल, तलातल, महातल और पाताल लोक का प्रतीक होते हैं.  वहीं अनंत सूत्र की हर गांठ हर लोक का प्रतिनिधित्व करते हैं.इसके अलावा पुराणों के अनुसार अनंत चतुर्दशी के दिन बांधें जाने वाले रक्षासूत्र की 14 गांठे भगवान विष्णु के 14 रूपों अनंत, ऋषिकेश, पद्मनाभ, माधव, वैकुण्ठ, श्रीधर, त्रिविक्रम, मधुसूदन, वामन, केशव, नारायण, दामोदर और गोविन्द का प्रतीक भी मानी जाती है.

मान्यता है कि इस दिन अनन्त भगवान की पूजा करके संकटों से रक्षा करने वाला अनन्तसूत्रबांधा जाता है. सनातन धर्म के अनुसार जब पाण्डव द्युत क्रीड़ा में अपना सारा राज-पाट हारकर वन में कष्ट भोग रहे थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अनन्तचतुर्दशी का व्रत करने की सलाह दी थी. धर्मराज युधिष्ठिर ने अपने भाइयों और द्रौपदी के साथ पूरे विधि-विधान से यह व्रत किया और अनन्तसूत्रधारण किया. अनन्तचतुर्दशी-व्रत के प्रभाव से पाण्डव सब संकटों से मुक्त हो गए.

 बहरहाल अनन्तचतुर्दशी-व्रत के अवसर पर सूबे के मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देवालयों में देखी जा रही है. लोग अनन्तचतुर्दशी-व्रत के उवसर पर उपवास कर पूजा अर्चना कर रहे हैं. सूबे में अनन्तचतुर्दशी-व्रत विधि विधान से मनाया जा रहा है.

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