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नीति आयोग की बैठक में पांच मिनट बोलने देने के ममता बनर्जी के आरोपों पर आयोग सीईओ ने दिया जवाब, बताया क्या है सच्चाई

नीति आयोग की बैठक में पांच मिनट बोलने देने के ममता बनर्जी  के आरोपों पर आयोग सीईओ ने दिया जवाब, बताया क्या है सच्चाई

NEW DELHI : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शनिवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित की गई नीति आयोग की बैठक को बीच में ही छोड़कर बाहर चली गईं। उन्होंने दावा किया कि बैठक में उन्हें बीच में ही रोक दिया गया। साथ ही माइक बंद करने का आरोप भी लगाया। जिसके बाद पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उनके आरोपों को गलत बताया। वहीं अब नीति आयोग के सीईओ बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम की ओर से भी सफाई सामने आई है। 

उन्होंने ममता बनर्जी के दावे को खारिज कर दिया है। नीति आयोग के सीईओ ने दावा किया कि हर मुख्यमंत्री को बोलने के लिए सात मिनट का समय दिया जाता है। जब ममता बनर्जी के बोलने का समय पूरा हो गया तो उन्होंने कहा कि मैं कुछ समय और बोलना चाहती थी, लेकिन अब नहीं बोलूंगी।

उन्होंने आगे कहा, ''हर मुख्यमंत्री को सात मिनट दिए जाते हैं और स्क्रीन के ऊपर सिर्फ एक घड़ी होती है जो आपको शेष समय बताती है। तो यह सात से छह, पांच, चार और तीन तक जाती है। उसके अंत में, शून्य दिखाती है और कुछ नहीं। इसके अलावा और कुछ नहीं हुआ...फिर उन्होंने कहा कि देखिए, मैं और समय बोलना चाहती थी, लेकिन मैं अब और नहीं बोलूंगी। बस इतना ही। और कुछ नहीं हुआ। हम सबने सुना। 

सीईओ ने कहा कि उन्होंने अपनी बातें रखीं और हमने सम्मानपूर्वक उनकी बातें सुनीं तथा नोट कीं।'' नीति आयोग के सीईओ ने यह भी बताया कि कई लोग ऐसे थे, जोकि आखिरी समय में बैठक में नहीं आए। कुछ राज्यों के भाषण भी थे, लेकिन भाग नहीं लिया जैसे झारखंड और पुडुचेरी। सभी लोग बहिष्कार की वजह से बाहर नहीं हुए। जो लोग नहीं आए, उनके लिए मैं हमेशा कहता हूं कि यह उनका नुकसान है।

बोलने नहीं दिया तो बैठक छोड़कर चली आई

नीति आयोग की सफाई से पहले ममता बनर्जी ने कोलकाता में कहा कि चंद्रबाबू नायडू को बैठक में बोलने के लिए 20 मिनट का समय मिला. असम, अरुणाचल, छत्तीसगढ़ और गोवा के मुख्यमंत्रियों ने भी 15-20 मिनट तक अपनी बात रखी. लेकिन मुझे सिर्फ 5 मिनट बोलने दिया गया. लोगों ने घंटी बजाकर मुझे रोकना शुरू कर दिया, मैंने कहा कि ठीक है आप बंगाल की बात नहीं सुनना चाहते और मैंने बैठक का बहिष्कार किया और चली गई

क्या था मीटिंग का एजेंडा?

बता दें नीति आयोग की मीटिंग का एजेंडा विकसित भारत था. जीवन को आसान बनाना, पेयजल स्वच्छता और भूमि को लेकर नीति आयोग की ओर से विजन डॉक्यूमेंट प्रस्तुत किया गया. उत्तराखंड, यूपी के पास विजन डॉक्यूमेंट हैं. जबकि एमपी, छत्तीसगढ़, असम, बिहार विजन डॉक्यूमेंट बनाने के लिए कतार में हैं. 

'तेज़ी से बूढ़ी होती आबादी के लिए योजना बनाना जरूरी'

नीति आयोग ने कहा कि राज्यों के पास इन विकासों पर नज़र रखने के लिए भारत सरकार जैसी व्यवस्था नहीं है, 2047 के बाद तेज़ी से बूढ़ी होती आबादी के लिए अभी से योजना बनाने की ज़रूरत है. कुछ राज्यों ने इस लिमिट को पार कर लिया है. शायद वे घटती हुई आबादी की ओर बढ़ रहे हैं, जनसांख्यिकी के प्रबंधन के बारे में सोचना कुछ ऐसा है, जिसके बारे में हमने 20 साल पहले कभी नहीं सोचा था. प्रधानमंत्री ने जीरो पॉवर्टी को लेकर बात की. अब हमारा टारगेट जीरो पॉवर्टी है, ऐसे में सवाल ये है कि क्या हम गांवों को जीरो पॉवर्टी घोषित कर सकते हैं।


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