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सुपौल में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पर बच्चों को दवा खिलाने के अभियान की हुई शुरुआत, 1.75 हज़ार बच्चों को दिया जाएगा एल्बेन्डाजॉल

सुपौल में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पर बच्चों को दवा खिलाने के अभियान की हुई शुरुआत, 1.75 हज़ार बच्चों को दिया जाएगा एल्बेन्डाजॉल

SUPAUL : राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के अवसर पर प्रखंड में एक से 19 साल के बच्चों व किशोरों को कृमि मुक्ति की दवा खिलाये जाने का अभियान सोमवार को आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 39 शुरू हुआ। कार्यक्रम में अस्पताल उपाधीक्षक. अस्पताल मैनेजर आबीद हमीद, सीडीपीओ पुजा कुमारी, (बीएम) रवि कुमार सहित आसा ,एएनएम उपस्थित थे। 

अस्पताल मैनेजर आबीद हमीद ने कहा सरकार की गाइड लाइन के अनुसार 1 से 19 तक सभी बच्चे को आज स्कूलों एवं आंगनबाड़ी केंद्रो में कृमि मुक्ति की दवा एल्बेन्डाजॉल खिलाया गया।  छुटे हुए बच्चे को 11 नवंबर को खिलाया जाएगा। उन्होंने बताया की प्रखंड अंतर्गत कुल एक लाख पचहत्तर हजार 1 से 19 वर्ष तक के बच्चे को टेबलेट खिलाया जाएगा। इसके निवारण के लिए कृमि मुक्ति कार्यक्रम का आयोजन वर्ष में दो बार किया जाता है। 

मैनेजर ने बताया की बच्चे अक्सर कुछ भी उठाकर मुंह में डाल लेते हैं या फिर नंगे पांव ही संक्रमित स्थानों पर चले जाते हैं। इससे उनके पेट में कीड़े विकसित हो जाते हैं। इसलिए एल्बेन्डाजॉल खाने से यह कीड़े पेट से बाहर हो जाते हैं। अगर यह कीड़े पेट में मौजूद हैं तो बच्चे के आहार का पूरा पोषण कृमि हजम कर जाते हैं। इससे बच्चा शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर होने लगता है। बच्चा धीरे-धीरे खून की कमी (एनीमिया) समेत अनेक बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है। 

कृमि से होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए यह दवा एक बेहतर उपाय है। जिन बच्चों के पेट में पहले से कृमि होते हैं उन्हें कई बार कुछ हल्के प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं। जैसे हल्का चक्कर, थोड़ी घबराहट, सिर दर्द, दस्त, पेट में दर्द, कमजोरी, मितली, उल्टी या भूख लगना। इससे घबराना नहीं है। दो से चार घंटे में स्वतः ही समाप्त हो जाती है। आवश्यकता पड़ने पर आशा या आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की मदद से चिकित्सक से संपर्क करें। उन्होंने बताया कि कृमि मुक्ति दवा बच्चे को कुपोषण, खून की कमी समेत कई प्रकार की दिक्कतों से बचाती है।

सुपौल से पप्पू आलम की रिपोर्ट

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