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NSMCH बिहटा में बिहार युरोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इण्डिया के तत्वाधान में दो दिवसीय "बीयूसीकॉन-2023" संगोष्टी का आयोजन प्रारंभ

NSMCH बिहटा में बिहार युरोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इण्डिया के तत्वाधान में दो दिवसीय "बीयूसीकॉन-2023" संगोष्टी का आयोजन प्रारंभ

शनिवार को शाम बिहटा के अमहरा स्थित नेताजी सुभाष मेडिकल कॉलेज एन्ड अस्पताल में बिहार युरोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इण्डिया के तत्वाधान में दो दिवसीय "बीयूसीकॉन-2023" संगोष्टी का आयोजन किया गया.बीयूसीकॉन- 2023 संगोष्टी का उद्घाटन उड़ीसा विश्वविद्यालय हेल्थ साइंस के वाईस चांसलर डॉ दत्तेश्वर होटा,संस्था निदेशक कृष्ण मुरारी सिंह , बिहार युरोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इण्डिया प्रेसिडेंट डॉ महेंद्र सिंह,पूर्व प्रेसिडेंट डॉ अजय कुमार,सचिव डॉ खालिद महमूद, आयोजनकर्ता सचिव डॉ मोहमद सदाब ने संयुक्त रूप से दीपप्रज्वलन कर किया. इस मौके पर उड़ीसा विश्वविद्यालय हेल्थ साइंस के वाईस चांसलर डॉ दत्तेश्वर होटा ने कहा कि गुर्दे की सलामती के लिए खान-पान और पानी पीने से ज्यादा जरूरी है जांच. पेशाब और खून की मामूली जांचों से गुर्दे की गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है.उन्होंने कहा कि करीब 17 फीसदी आबादी किसी न किसी तरह गुर्दे की बीमारी की गिरफ्त में हैं.डॉक्टर की सलाह के दर्द निवारक दवाओं का सेवन नहीं करना चाहिए. अत्याधिक दवाओं का सेवन गुर्दे की बीमारी के लिए घातक साबित हो सकता है. गुर्दे की गंभीर बीमारी भी हो सकती है.

वहीं बिहार युरोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इण्डिया प्रेसिडेंट डॉ महेंद्र सिंह ने कहा कि ने बताया कि पेट की कुछ गंभीर बीमारियां होती हैं, जिसकी लोग अनदेखी करते हैं. घर पर ही अजवाइन खाकर ठीक होने का इंतजार करते हैं. जब देर हो जाती है तो वे बड़े अस्पताल जाते हैं. जबकि यह गंभीर बीमारियां होती हैं. यह ऐसी बीमारियां हैं, जो जानलेवा साबित हो सकती हैं.उन्होंने कहा कि किडनी की बीमारियों का सीरम क्रिएटिनिन, ब्लड यूरिया एवं ब्लड नाइट्रोजन जैसी सामान्य रक्त जांच से सही समय पर निदान किया जा सकता है.

 डॉ महेंद्र सिंह ने कहा कि गुर्दे और मूत्र मार्ग में पथरी को अल्ट्रासाउंड के माध्यम से निदान किया जा सकता है.वही आईजीएमएस युरोलॉजिस्ट विभागाध्यक्ष डॉ राजेश तिवारी ने मूत्र रोग विषय पर उपस्थित चिकित्सकों को विस्तार से ऑडियो एवं विजुअल माध्यम से जानकारी दी. इस क्रम में उन्होंने मूत्र रोग में होने वाले संक्रमण, पेशाव में जलन, बार बार पेशाब होना, पेशाब में रूकावट एवं पीड़ा होना, पूर्ण रूप से पेशाब का न होना, इसके प्रमुख लक्षण हैं. बुर्जुगों में प्रोस्ट्रेट संबंधित बीमारी होने की संभावना ज्यादा होती है.वही एनएसएमसीएच के प्रबंध निदेशक कृष्ण मुरारी सिंह ने इस पहल की प्रशंसा करते हुए कहा कि भविष्य में भी ऐसी संगोष्ठी का आयोजन किया जाएग.उन्होंने संगोष्टी में भाग लेने आए करीब 150 से ऊपर डेलीगेट्स चिकित्सको को स्मृति चिन्ह व अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया.उन्होंने कहा कि मेडिकल के छात्रों के लिये बेहतर से बेहतर अत्याधुनिक सुविधा प्रदान करने के लिये एनएसएमसीएच पूर्ण रूप से तैयार है.सितवाँतो देवी महिला सेवा संस्थान द्धारा संचालित संस्था मात्र चार सालों में उत्कृष्ट कार्य कर देश के मेडिकल कॉलेज में एक अपना स्थान स्थापित किया है. इस मौके पर आईजीएमएस के यूरोलॉजिस्ट डॉ विजय कुमार, डीन डॉ विश्वास, डॉ एपी सिन्हा,डॉ निर्मल कुमार सिन्हा,आदि ने अपने अपने विचार रखे.

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