चिराग पर पशुपति पारस की पार्टी का बड़ा हल्लाबोल,कहा - उनके पिता ही उन पर नहीं करते थे भरोसा, इसलिए हाजीपुर नहीं दिया

PATNA : LJP(R) के आए दिन बयानों को देखकर लगता है उन्होंने अपने ही मूंह मिया मिठू बनने की सभा शुरू कर दी है। जहां पहले बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट के नारे लगाते नहीं थकते थे। वही आज की तारीख में चिराग फर्स्ट कुर्सी फर्स्ट करते नही थक रहे। भाई लेटर मिला तो क्या हो गया? पहली बार मिला है क्या इस तरह का लेटर? चलिए बधाई हो कमसे कम मिला तो सही।
अब देखना ये होगा कि आपके भारी भरकम शब्द जो आप बड़े शान से अपने भाषण में इस्तेमाल करते है वो सच कब होंगे ? अपनी ही प्रसिद्धि का ढिंढोरा पीटता रहना तो कोई LJP(R) से सीखे ।
अभी आप सब अंदाजा लगा सकते है कि चिराग कुमार पासवान जी की कोई भी मुहीम सफल क्यों नही होती, क्यूंकि वो मेहनत करने में नहीं अपनी प्रसिद्धि का ढिंढोरा पीटने में लगे रहते है ।
जिन लोगो की ये मनसा है कि माननीय मंत्री पशुपति कुमार पारस जी से हाजीपुर सीट छीनकर चिराग कुमार पासवान जी को दे दिया जाए। वो कही न कही स्वर्गीय रामविलास पासवान जी के विचारों को कभी समझ ही नही पाए। देश के दूसरे अंबेडकर पद्म भूषण स्वर्गीय रामविलास पासवान जी द्वारा पारिवारिक बंटवारे के समय पशुपति कुमार पारस जी को हाजीपुर से राजनीतिक उतराधिकारी बनाया गया था और चिराग को जमुई भेजा गया था। लेकिन चिराग को कभी जमुई की चिंता नहीं हुई। वह वहां नहीं जाते। सच्चाई यह है कि रामविलास पासवान जी भी चिराग पर भरोसा नहीं करते थे।
उसका सिर्फ यही कारण था कि माननीय मंत्री जी उसके योग्य थे और आज भी वैसे कई सीटों के योग्य है । जिनको लगता है की इस तरह के अफवाहों से माननीय मंत्री जी का राजनीतिक वध किया जा सकता है तो उनको मैं बता दूं कि जिस तरह प्रसिद्धि इंसान से नही उसके किए कर्मो से होती है। ठीक उसी प्रकार हक मांगने से नही उसके योग्य खुद को साबित करने से मिलता है और ये है सब जानते है किसने खुद को साबित किया है ।