PATNA. राजधानी पटना में बुधवार को जिलाधिकारी डॉ. चन्द्रशेखर सिंह ने समाहरणालय स्थित सभाकक्ष में बैठक आयोजित किया। इस बैठक में डीएम ने आपदा प्रबंधन के पदाधिकारियों को संबोधित किया। साथ ही उन्हें कई निर्देश भी दिए। डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि राज्य में मार्च से जून तक भीषण गर्मी होती है। इस अवधि में पछुआ हवा का प्रवाह भी तीव्र गति से होता है। ऐसी स्थिति में अगलगी की घटनाओं में वृद्धि देखी जाती है। गाँव में अगलगी की घटना होने पर खेत, खलिहान, खड़ी फसल आदि में जान-माल की क्षति होती है। ऐसी स्थिति में आग लगने की घटनाओं की रोकथाम हेतु सुरक्षात्मक उपाय किया जाए। साथ ही कही आगलगी की घटना घटित होती है तो पीड़ितों को 24 घंटे के अंदर अनुमान्य सहाय्य उपलब्ध कराई जाए।
इसके साथ ही उन्होंने आम जनता से भी अग्नि-सुरक्षा हेतु निर्धारित मापदंडों का पालन करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि, आग लगने की हर छोटी-बड़ी घटना की सूचना क्षेत्रीय पदाधिकारी वरीय पदाधिकारियों को तुरत दें। ग्रीष्मकाल में विभिन्न क्षेत्रों में अग्निकांड की संभावना बढ़ जाती है। आग की छोटी-सी लौ भी एक क्षण में पूरी तरह से अनियंत्रित होकर बड़ी आग में परिवर्तित हो सकती है। अतः हर व्यक्ति के स्तर पर अपेक्षित सतर्कता आवश्यक है।
डीएम ने कहा कि सरकार की नीति के अनुरूप अग्निकांड की सूचना प्राप्त होते ही जिला एवं अंचल के आपदा प्रबंधन के उत्तरदायी पदाधिकारी एवं उनकी टीम घटना स्तर पर शीघ्रातिशीघ्र पहुँचेंगे और त्वरित गति से पीड़ितों को सहाय्य प्रदान करना सुनिश्चित करेंगे। भीषण अग्निकांड होने पर संबंधित अनुमण्डल पदाधिकारी स्वयं घटनास्थल पर शीघ्रातिशीघ्र पहुँच कर सहाय्य की व्यवस्था करेंगे।
वहीं, जिला अग्निशाम पदाधिकारी द्वारा बताया गया कि पटना जिला में अग्निशमन विभाग की 80 गाडियाँ क्रियाशील है। जिसमें 36 गाड़ियाँ 400 लीटर तथा 44 गाड़ियाँ 4,500 लीटर से अधिक क्षमता की हैं। जिला में 10 फायर स्टेशन है। जिसमें 06 शहरी क्षेत्रों में तथा 04 ग्रामीण क्षेत्रों में है। 09 अनुमडण्ल स्तरीय अग्निशामालय पदाधिकारी कार्यरत हैं।
बता दें कि, डीएम ने अग्निशामालयों और थानों में प्रतिनियुक्त सभी अग्निशामक वाहनों को ड्राइवर और अन्य संसाधनों सहित 24X7 मुस्तैद रखने का निदेश दिया ताकि आवश्यकता की घड़ी में इसे तुरत घटना स्थल पर भेजा जाए। अग्निशामक वाहनों एवं पंपों में खराबी आने पर अतिशीघ्र उसे नियमानुसार मरम्मति करा कर चालन की स्थिति में रखें। डीएम डॉ. सिंह ने विद्युत कार्यपालक अभियंताओं को भी बिजली के तारों को सुरक्षित ऊँचाई (12 फीट से अधिक) पर व्यवस्थित करने का निदेश दिया। ताकि फायर ब्रिगेड की गाड़ियों को आवश्यकता पड़ने पर गली-कूचियों में सुगमतापूर्वक पहुँचाया जा सके।
डीएम डॉ. सिंह ने जिले के सभी पंचायतों में अग्नि कांड के हिसाब से अतिसंवेदनशील जगहों का रूट चार्ट को नियमित तौर पर अद्यतन करने का निदेश दिया। उन्होंने सभी अग्निशामालयों से अग्निशामक वाहनों में उपलब्ध वितंतु सेट और मोबाइल सेट को सदैव कार्यरत रखने का निदेश दिया।
डीएम ने कहा कि, अग्निकांड की सूचना प्राप्त होते ही आवश्यकतानुसार फायर ब्रिगेड की गाड़ियों को मौके पर रवाना करें। आवश्यकतानुसार जिला आपातकालीन संचालन केन्द्र (डीईओसी) की दूरभाष संख्या 0612-2210118 एवं ई-मेल आईडी [email protected] पर अविलंब सूचित किया जाए।
वहीं डीएम डॉ. चन्द्रशेखर सिंह ने कहा आगजनी से बचाव हेतु जनहित में ‘‘क्या करें, क्या नहीं करें’’ जारी किया गया है। आम जनता इसका अनुपालन कर अगलगी की घटनाओं को रोक सकती है। उन्होंने ‘‘क्या करें, क्या नहीं करें’’ का प्रचार-प्रसार गाँव-गाँव तक सुनिश्चित करने का निदेश दिया ताकि आम जनता को जागरूक किया जा सके।
क्या करेः स्टोव या लकड़ी, गोइठा आदि के जलावन वाले चूल्हे पर खाना बनाते वक्त सावधानी बरतें। हमेशा सूती वस्त्र पहनकर ही खाना बनायें। हवा तेज होने के पूर्व खाना बना लें। फूस एवं खपरैल के घरों में सुबह 8 बजे के पहले और रात्रि 7 बजे के बाद ही खाना बनाना अपेक्षित है। तेज हवा बहने की स्थिति में खाना तब तक नहीं बनाएं जब तक हवा की गति सामान्य न हो जाए।
गेहूँ ओसनी का काम हमेशा रात में तथा गाँव के बाहर खलिहान में जाकर करें। घर व खलिहान पर समुचित पानी व बालू की व्यवस्था रखें। खाना पकाते समय रसोईघर में वयस्क मौजूद रहें, बच्चों को अकेला न छोड़ें। खिड़की से स्टोव के बर्नर तक हवा न पहुंच पाए, इस बात की पूरी तसल्ली कर लें। तौलिये या कपड़े का इस्तेमाल सावधानी से गर्म बर्तन उतारने के लिए करें। तैलीय पदार्थ से लगी आग पर पानी न डालें। सिर्फ बेकिंग सोडा, नमक डालें या उसे ढंक दें। खिड़की के बाहर कोई चादर या तौलिया लटका दें ताकि बाहर लोगों को पता चल सके कि आप कहाँ हैं और आपको मदद चाहिए। गैस चूल्हे का इस्तेमाल करने के तुरंत बाद सिलिंडर का नॉब बंद कर दें। बिजली तारों एवं उपकरणों की नियमित जाँच करें।घर में अग्निशमन कार्यालय तथा अन्य आपातकालीन नंबर लिखा हुआ हो और घर के सभी सदस्यों को इन नंबरों के बारे में पता हो। आग लगने पर दमकल विभाग को फोन करें और उन्हें अपना पूरा पता बतायें, फिर दमकल विभाग जैसा कहें वैसा ही करें।
क्या न करेः बच्चों को माचिस या आग फैलाने वाले एवं अन्य सामानों के पास न जाने दें। बीड़ी, सिगरेट, हुक्का आदि पीकर जहाँ-तहाँ न फेंकें, उसे पूरी तरह बुझने के बाद ही फेंकें। चूल्हा, ढिबरी, मोमबत्ती, कपूर इत्यादि जलाकर न छोड़ें। अनाज के ढेर, फूस या खपड़ैल की झोपड़ी के निकट अलाव व डीजल इंजन नहीं चलाएं। सार्वजनिक स्थलों, ट्रेनों एवं बसों आदि में ज्वलनशील पदार्थ न ले जाएँ। आपके कपड़े में अगर आग लग जाए तो दौड़ना नहीं चाहिए बल्कि जमीन पर लेटकर गोल-गोल कर आग बुझायें। खाना बनाने के समय ढीले-ढाले कपड़े न पहनें। अग्नि दुर्घटना के दौरान कभी भी लिफ्ट का प्रयोग नहीं करें। गैस की दुर्गंध आने पर बिजली के स्वीच को न छुऐं। खाना पकाते समय रसोईघर में बच्चों को अकेला न छोड़े।