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पटना हाई कोर्ट ने बिहार में मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधा पर केंद्र सरकार से मांगा फंड का हिसाब

पटना हाई कोर्ट ने बिहार में मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधा पर केंद्र सरकार से मांगा फंड का हिसाब

पटना. पटना हाईकोर्ट ने बिहार राज्य में मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाओं से सम्बंधित मामलें पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने आकांक्षा मालवीय की जनहित याचिका पर सुनवाई  की। कोर्ट ने केंद्र सरकार को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े स्कीम और फंड के सम्बन्ध में जानकारी देने को कहा। पिछली सुनवाई में कोर्ट को बताया गया था कि राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकार का गठन कर दिया गया है। चीफ सेक्रेटरी ने हलफनामा दायर कर जानकारी दी कि राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकार का गठन कर दिया गया है।

आज याचिकाकर्ता की अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने कोर्ट को बताया कि बिहार की आबादी लगभग बारह करोड़ हैं। उसकी तुलना में राज्य में मानसिक स्वास्थ्य के लिए बुनियादी सुविधाएँ नहीं के बराबर हैं। अस्पताल, मनोचिकित्सक और नर्स पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि आम लोगों के मानसिक स्वास्थ्य और उसके समाधान के लिए राज्य में कोई व्यवस्था नहीं है। जो केंद्र सरकार के स्कीम और फंड है, उसका भी राज्य में सही ढंग से उपयोग नहीं हो रहा है।

पिछली सुनवाई में  अपर महाधिवक्ता एस डी यादव ने  कोर्ट को जानकारी दी कि कोइलवर स्थित मानसिक आरोग्यशाला में 272 बेड का अस्पताल बनाया जाना हैं। इसकी लागत 129 करोड़ रुपए होगी और 3 माह में निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा। 

सुनवाई के दौरान कोर्ट को अपर महाधिवक्ता एस डी यादव ने बताया था कि राज्य के इकतीस जिलों मे ज़िला मानसिक स्वास्थ्य प्रोग्राम प्रारम्भ हो गया हैं। साथ ही शेष आठ जिलों में इसे स्थापित करने के लिए केंद्र सरकार की सहमति मिल गई है। उन्होंने कोर्ट को बताया था कि मानसिक रोगियों के ईलाज के लिए 61 डॉक्टरों व 47 नर्सों को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया हैं। इस मामलें पर अगली सुनवाई 27 जुलाई, 2022 को होगी।


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