PATNA: पटना हाईकोर्ट ने एक विस्तृत आदेश में बिहार सरकार को सुझाव दिया है कि वह जरुरत के मुताबिक कानून तैयार करे, जिसके आधार पर ठेकेदारों को काली सूची में डालने की प्रक्रिया का पालन हो। जस्टिस सी एस सिंह ने इस मामले पर सुनवाई की। हाईकोर्ट ने यह सुझाव ईएमएस इंफ़्राकॉन प्राइवेट लिमिटेड की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए दी है।
कोर्ट ने बुडको के चीफ इंजीनियर के उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें कि उन्होंने इस निजी कंपनी को काली सूची में डाल दिया था। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि मुंगेर के सीवेरज ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण से जुड़े 300 रुपये करोड़ के प्रोजेक्ट की तकनीकी निविदा को फिर से विचार किया जाए। उसमें इस निजी कंपनी को भी शामिल किया जाए।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि न्याय के हित को देखते हुए राज्य के विकास आयुक्त अब इस निविदा के कमिटी की अध्यक्षता करेंगें । साथ ही उसमे कम से कम एक सदस्य नमामि गंगे के तकनीकी निदेशक होंगे। हाईकोर्ट ने यह भी आदेश दिया की यह राज्य विकास आयुक्त फैसला लेंगे कि उन्हें बुडको के मुख्य अभियंता को तकनीकी निविदा के कमिटी का सदस्य रखना है या नहीं, क्योंकि कोर्ट ने अब तक उनके तीन काली सूची में डालने के अलग- अलग आदेशों को निरस्त कर दिया है।
पटना हाईकोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति के नौकरी से बर्खास्त होने पर नुकसान की भरपाई की जा सकती है, परन्तु किसी ठेकेदार को काली सूची में डालने से हुए नुकसान की भरपाई नहीं हो सकती। वहीं इस मामले पर पटना हाईकोर्ट ने आगामी 22 जुलाई तक तकनीकी निविदा पर फैसला कर लेने का आदेश दिया है।