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पितृपक्ष में जीतन राम मांझी NDA में होंगे शामिल, पंडित जी ने कहा- शुभ काम करने से पूर्वजों की आत्मा होती है नाराज

पितृपक्ष में जीतन राम मांझी NDA में होंगे शामिल, पंडित जी ने कहा- शुभ काम करने से पूर्वजों की आत्मा होती है नाराज

PATNA: इस बार पितृपक्ष 02 सितम्बर से 17 सितंबर तक रहेगा। जिसके लेकर तमाम शुभ कार्य स्थगित किए जाते हैं। विश्व भर से लोग मोक्ष की नगरी गया में फल्गु नदी के तट पर पहुंचते हैं। ऐसे में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने बड़ा फैसले लेते हुए महागठबंधन छोड़ तीन सितम्बर को एनडीए में शामिल होने का फैसला लिया है। हम पार्टी के प्रवक्ता  ने ऐलान कर दिया है। गौरतलब है कि इससे पहले मांझी महागठबंधन के साथ थे लेकिन सीटों की सेटिंग और गेटिंग मन मुताबिक नहीं होने के बाद उन्होंने एनडीए में आकर आबाद होने का फैसला लिया है। हम पार्टी के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा है कि तीन सितम्बर को हम औपचारिक तौर पर महागठबंधन में शामिल हो जाएगी। बता दें कि इससे पहले कई दफा जीतनराम मांझी एनडीए में शामिल होने के मुद्दे पर सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात कर चूकें हैं। 

कितनी सीटें मिल सकती हैं

सूत्रों का कहना है कि जीतनराम मांझी हम के लिए नौ प्लस एक के फॉर्मूले पर राजी हैं लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या एनडीए और खाशकर नीतीश कुमार मांझी जी के इस फॉर्मूले को फिट मान रहे हैं या नहीं। चूकि कुल मिलाकर सीटों के लेनदेने पर ही बात बनेगी और बिगड़ेगी भी। कहा जा रहा है कि मांझी खुद इमामगंज से चुनावी ताल ठोकेंगे तो दूसरी तरफ उनके बेहद करीबी राष्ट्रीय प्रवक्ता धीरेन्द्र कुमार मुन्ना नवादा से , पूर्व विधायक अनिल कुमार टिकारी से तो मुख्य प्रवक्ता दानिश रिजवान भोजपुर के किसी सीट से चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि एनडीए मांझी के फॉर्मूले को कहां तक तबज्जो देता है। 

पितृपक्ष का लोचा

हिन्दू धर्म के अनुसार यह मान्यता रही है कि पितृपक्ष में कोई भी शुभकाम की शुरूआत नहीं की जाती है। यह काल पूर्वजों के लिए श्राद्ध और तर्पण का है, देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग गया में अपने पूर्वजों का पिण्डदान करने आते हैं। पिण्डदान और तर्पण के लिए गया सबसे प्रमुख स्थान माना गया है।  लेकिन गया के ही रहने वाले पू्र्व सीएम जीतन राम मांझी ने इतना बड़ा राजनैतिक फैसले पर अमल करने का निर्णय पितृपक्ष के शुरूआती दिन को ही ले लिया है। पंडित आचार्य अरूण कुमार कहते हैं कि पितृपक्ष में पूर्वजों को याद किया जाता है और आत्मा की शुद्धि के लिए पूजा की जाती है बताया जाता है कि इस काल में परिवार में एक तरह से शोकाकुल माहौल रहता है अतः धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कोई भी शुभ कार्य नही करनी चाहिए। नहीं तो पूर्वजों की आत्मा नाराज हो जाती है। 

गौतम की रिपोर्ट

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