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Pitru Paksh 2024: बांग्लादेशी हिंदूओं ने गया में अपनी पहचान छुपाकर किया पिंडदान, शेयर की अपनी पीड़ा

Pitru Paksh 2024: बांग्लादेशी हिंदूओं ने गया में अपनी पहचान छुपाकर किया पिंडदान, शेयर की अपनी पीड़ा

गया में हम पिंडदान करने आए हैं. ये बात अगर मेरे देश में रह रहे लोगों को पता चला तो वे हमारे परिवार को मार देंगे.  घर पर उपद्रवियों का हमला हो जाएगा. प्लीज हमारी पहचान किसी को नहीं मत बताना.'बांग्लादेश से पिंडदान के लिए बिहार के गया  आए चार हिंदू युवकों ने ये बातें कही.चारों इतने डरे थे कि अपनी पहचान बताने से इन्कार कर रहे थे. मीडिया के सामने आने से भी बच रहे थे.उनको डर से गया के लोगों को इसकी भनक लग गई. पहले तो लोगों को इस बात की शंका हुई ये कहीं उपद्रवी तो नहीं हैं. ये हमला तो करने नहीं आए हैं. 


चारों ने प्रेतशिला की पिंडवेदियों पर पूर्वजों की मृत आत्मा की शांति के लिए पिंडदान व तर्पण का कर्मकांड किया. बांग्लादेश से पिंडदान करने आए  चारों लोगों में दो चटगांव के रहने वाले हैं.इन लोगों का कहना था कि बांग्लादेश में चटगांव में काफी संख्या में हिंदू रहते हैं. वे अपने पूर्वजों का पिंडदान व तर्पण करने के लिए गयाजी आते हैं. चटगांव के हिंदुओं के गयाजी के पंडा गोपेश बारिक ने बताया कि शुक्रवार की दोपहर चटगांव से दो तीर्थयात्री आये थे. उन्होंने अपने भाई की आत्मा की शांति के लिए प्रेतशिला वेदी पर पिंडदान किया. पिंडदान के दौरान पहचान उजागर होने से वे काफी डरे थे. उन्हें अपने घर-परिवार की चिंता सता रही थी. खुलकर वे अपने बारे में किसी से कोई बातचीत नहीं कर रहे थे. काफी विश्वास के बाद पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर ऑफ द रिकॉर्ड इन लोगों ने प्रेस के सामने अपनी पीड़ा शेयर किया.


कोलकाता में व्यापार करने के नाम पर वीजा लिया

गया में पिंडदान करने आए ये लोग कोलकाता में व्यापार करने के नाम पर वीजा लिया. इनके अनुसार बांग्लादेश में हिंदुओं के लिए स्थिति अभी भी शांत नहीं है. इनके भाई की मौत जनवरी में हुई थी. इधर, श्रीविष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति के सदस्य व गया पाल पंडा जी मणिलाल बारिक ने कहा कि बांग्लादेश व भारत में रहने वाले हिंदू बांग्लादेशी पितृपक्ष मेले के साथ-साथ आम दिन भी अपने पूर्वजों के पिंडदान के लिए आते रहते हैं.शुक्रवार को भी बांग्लादेश के चटगांव के तीर्थयात्री अपनी पहचान को छुपाते हुए अपने एक भाई के साथ गयाजी जाकर प्रेतशिला वेदी पर अकाल मृत्यु में मारे गये अपने भाई का पिंडदान किया.

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