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कांग्रेस के हथियार से हीं कांग्रेस को पीएम ने किया घायल, परिसीमन का उत्तर बनाम दक्षिण विवाद, जितनी आबादी-उतना हक के मुद्दे पर विपक्ष को मोदी ने उनके ही चाल में ऐसे फंसाया..?

कांग्रेस के हथियार से हीं कांग्रेस को पीएम ने किया घायल, परिसीमन का उत्तर बनाम दक्षिण विवाद, जितनी आबादी-उतना हक के मुद्दे पर विपक्ष को मोदी ने उनके ही चाल में ऐसे फंसाया..?

दिल्ली-  निज़ामाबाद में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण दक्षिणी राज्यों के लोगों के लिए एक बड़ी राहत के रूप में आना चाहिए. ऐसी आशंकाएं थीं कि निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन, जैसा कि अगली जनगणना के बाद किया जाना प्रस्तावित है, के परिणामस्वरूप लोकसभा में अधिक आबादी वाले उत्तरी राज्यों की तुलना में दक्षिणी राज्यों का प्रतिनिधित्व कम हो जाएगा.

प्रधानमंत्री ने निज़ामाबाद में संकेत दिया कि निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्निर्धारण केवल जनसंख्या के आधार पर नहीं किया जा सकता है. उन्होंने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया कि यह उन दक्षिणी राज्यों के साथ “घोर अन्याय” होगा जो जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने में सफल रहे हैं.निज़ामाबाद में बोलते हुए मोदी ने अपनी बात रखने के लिए जितनी आबादी, उतना हक वाक्यांश का इस्तेमाल किया. कुछ ऐसा ही  कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में कर्नाटक विधानसभा चुनावों में जाति जनगणना पर दबाव डालने के लिए किया था. दक्षिणी राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण में  प्रगति हासिल की है, लेकिन कांग्रेस के नए विचार के कारण उन्हें भारी नुकसान होगा. पीएम मोदी ने कहा कि दक्षिण भारत को 100 लोकसभा सीटों का नुकसान होगा. क्या दक्षिण भारत इसे स्वीकार करेगा? क्या दक्षिण भारत कांग्रेस को माफ करेगा? मैं कांग्रेस नेताओं से कहना चाहता हूं कि वे देश को मूर्ख न बनाएं.' यह स्पष्ट करें कि वे यह खेल क्यों खेल रहे हैं.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के “जितनी आबादी, उतना हक (जनसंख्या के अनुपात में अधिकार)” के नारे पर चुटकी लेते हुए, मोदी ने कहा: “ऐसी सोच दक्षिण भारत के साथ घोर अन्याय है…आजकल देश में अगले परिसीमन पर चर्चा हो रही है. आप जानते हैं, 25 साल बाद संसद की सीटों की संख्या क्या होगी, यह न्यायपालिका तय करती है. इस कारण जहां आबादी कम है वहां सीटें कम हो जाती हैं और जहां ज्यादा है वहां सीटें बढ़ जाती हैं. दक्षिणी भारत के सभी राज्यों ने जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करके देश की बहुत मदद की है. कांग्रेस का नारा ऐसा है कि कांग्रेस दक्षिण भारत के सांसदों की संख्या कम करने का नाटक करने जा रही है…क्या दक्षिण भारत कांग्रेस को माफ करेगा?”पीएम ने इंडिया गठबंधन और कांग्रेस दोनों से यह स्पष्ट करने के लिए कि क्या वे दक्षिण भारत के खिलाफ है. मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि यह नई सोच (जितनी आबादी, उतना हक) दक्षिण भारत के साथ अन्याय है. राजनीतिक रूप से खतरनाक कदम होने के बावजूद, बीजेपी सूत्रों ने कहा कि यह पीएम द्वारा अच्छी तरह से योजनाबद्ध है, पार्टी अतिरिक्त समय के साथ उस क्षेत्र में जमीन तैयार कर रही है, जहां उसके पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है. उत्तर पार्टी का पारंपरिक गढ़ बना हुआ है, और यह मानना सुरक्षित है कि परिसीमन का मतलब वहां भाजपा के लिए लाभ है.

मोदी के निज़ामाबाद संबोधन से एक बात ये जरूर निकली कि दक्षिणी राज्य अब परिसीमन को लेकर ज्यादा आशंकित नहीं हों. राजनीतिक हलकों में साजिश देखने वालों की कमी नहीं है. उनमें से एक साजिश ये थी कि भाजपा लोकसभा में उनकी सीटों की हिस्सेदारी कम करके और उत्तरी राज्यों, जहां पार्टी का वर्चस्व है, का प्रतिनिधित्व बढ़ाकर केंद्र में सरकार गठन में दक्षिण भारतीय राज्यों को लगभग अप्रासंगिक बनाने की योजना बना रही थी. . खैर, अभी के लिए, मोदी ने जनसंख्या नियंत्रण में दक्षिणी राज्यों के योगदान को स्वीकार करके और यह बयान देकर मामला सुलझा लिया है कि उनकी संसद सीटें कम करना उनके साथ गंभीर अन्याय होगा. इससे यह भी पता चलता है कि भाजपा दक्षिण भारत में अपनी विस्तार योजनाओं को छोड़ने वाली नहीं है, भले ही 2024 के लोकसभा चुनावों में संभावनाएं इतनी उज्ज्वल नहीं दिख रही हैं.

जाति जनगणना पर पीएम मोदी  उनकी पार्टी भाजपा को घेरने की विपक्ष की कोशिश का मुकाबला करने के लिए अपना खाका पीएम से पेश किया. दूसरे, उनके इस भाषण और अन्य हालिया भाषणों से पता चलता है कि मिजोरम को छोड़कर राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में आने वाले चुनावों में लोकसभा से पहले अगले साल चुनाव हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण अभियानों की चुनावी प्रभावकारिता को फिर से परखने के लिए एक प्रकार का ड्राइ रन होगा. भाजपा के ध्रुवीकरण अभियानों की चुनावी प्रभावशीलता पर बड़ा सवाल आता जा रहा है.

बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार ने जाति सर्वेक्षण जारी किया था जिसमें राज्य में 63 प्रतिशत पिछड़े वर्ग की आबादी का पता चला था. विपक्षी दलों ने राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना की अपनी मांग को दोहराते हुए इस पर जोर दिया – उनका उत्साह इस उम्मीद से उपजा था कि पिछड़े वर्गों की लामबंदी भाजपा की हिंदुत्व राजनीति के लिए एक मारक होगी. मोदी ने जितनी आबादी, उतना हक का नारा या जनसंख्या के अनुपात में अधिकार की अवधारणा को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया

न्यायमूर्ति रोहिणी आयोग की 2017 का गठन किया गया . इसके बाद, जैसे ही यादव और जाट जैसे प्रमुख ओबीसी ने मोदी को वोट देने के लिए झुकाव दिखाया, भाजपा ने इस रणनीति के साथ धीमी गति से काम किया, आयोग को 13 बार एक्सटेंशन दिया गया और उसने आखिरकार 1 अगस्त को अपनी रिपोर्ट सौंपी.कहा जा रहा है कि बीजेपी इसे ठंडे बस्ते में डालने की योजना बना रही है. हालांकि, विपक्ष की जाति जनगणना की राजनीति, जो बिहार सर्वेक्षण के बाद तेज हो गई है, ने मोदी को अपनी पार्टी की मूल रणनीति का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए प्रेरित किया . जनसंख्या-आधारित अधिकारों (कोटा) पर विपक्ष का आग्रह संभावित रूप से इसे प्रमुख ओबीसी के साथ जोड़ सकता है, जो अधिकांश आरक्षण लाभ ले रहे हैं. इससे कांग्रेस को क्या फायदा होगा यह प्रश्न बना हुआ है क्योंकि ये प्रमुख ओबीसी क्षेत्रीय दलों के साथ जुड़े हुए हैं.

निज़ामाबाद में, पीएम मोदी ने कहा कि स्टालिन के नेतृत्व वाली सरकार हिंदू मंदिरों पर नियंत्रण किये बैठे हैं लेकिन “अल्पसंख्यकों के पूजा स्थलों को छूने” के लिए तैयार नहीं. “अगर यह जितनी आबादी, उतना हक आपका (कांग्रेस का) मंत्र है, तो क्या आपके सहयोगी अल्पसंख्यकों के सभी पूजा स्थलों पर नियंत्रण कर लेंगे? नहीं  ऐसा नहीं करेंगे. कह कर  उन्होंने हिन्दुत्व का राजनीति पर चलने का इशारा कर दिया.

प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जाति जनगणना के खिलाफ थे, तो इंदिरा गांधी और राजीव गांधी जैसे प्रधानमंत्रियों ने मंडल आयोग की रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया था. भारत में आखिरी बार जाति जनगणना अंग्रेजों द्वारा कराई गई थी.साल 2011 में भी राजद जैसे कांग्रेस के सहयोगी ही थे जिन्होंने जाति जनगणना कराने के लिए यूपीए पर दबाव डाला, जिससे कांग्रेस की दशकों से ऐसा न करने की घोषित नीति की स्थिति पलट गई. 2011 में भी पी चिदंबरम, आनंद शर्मा और पवन कुमार बंसल जैसे वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने जाति जनगणना पर आपत्ति जताई थी और मंत्रियों का एक समूह (जीओएम) इस पर कभी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा.

बहरहाल निजामाबाद में पीएम मोदी ने कांग्रेस के हथियार से हीं कांग्रस को मारने का प्रयास किया तो उनके भाषण से भाजपा की आगामी चुनावी रणनीति का पता चल गया.पीएम मोदी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर उनके जितनी आबादी, उतना हक नारे पर पलटवार करते हुए अपनी रणनीति का खुलासा किया.चाहे जातीय जनगणना की रिपोर्ट हो परिसीमन का मामला उन्होंने कांग्रेस से सवाल कर प्रश्न उसकी हीं झोली में डाल दिया है.. अब देखना होगा कांग्रेस की अगली रणनीति क्या होती है.


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