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तीन साल बाद भी कोर्ट में साक्ष्य नहीं प्रस्तुत कर सकी पुलिस, सबूत के अभाव में शराब तस्कर को मिली जमानत

तीन साल बाद भी कोर्ट में साक्ष्य नहीं प्रस्तुत कर सकी पुलिस, सबूत के अभाव में शराब तस्कर को मिली जमानत

DEHRI :  खबर रोहतास जिला के काराकाट से हैं। एक तरफ जहां बिहार सरकार शराब बंदी को सफल बनाने के लिए विशेष अभियान चला रही है। वहीं दूसरी ओर रोहतास पुलिस की सोची समझी लापरवाही के कारण बड़े-बड़े शराब माफियाओं को आसानी से जमानत मिल रहा है। 

 मामला काराकाट थाना से जुड़ा हुआ है। जहां की तात्कालिक सब-इंस्पेक्टर नेहा कुमारी के द्वारा न्यायालय में समय पर आरोप पत्र दाखिल नहीं करने पर एक शराब माफिया को लाभ मिल गया और उसे कोर्ट ने जमानत दे दी। बता दे कि वर्ष 2020 में काराकाट थाना क्षेत्र में एक ट्रक पर लदा 10 हज़ार लीटर शराब पकड़ा गया था। उस मामले में पटना के रहने वाले सुनील कुमार की गिरफ्तारी हुई थी। 

लेकिन गिरफ्तारी के बाद पुलिस की उदासीन रवैया के कारण 60 दिन के अंदर जब न्यायालय में पुलिस के द्वारा किसी प्रकार का कोई आरोप पत्र दाखिल नहीं किया गया तो धारा- 167 का लाभ देते हुए आरोपी शराब कारोबारी सुनील कुमार को सासाराम कोर्ट ने जमानत दे दी।

 काराकाट थाना में दर्ज की संख्या 26 / 2020 दर्ज किया गया था। जब भारी मात्रा में शराब पकड़ा गया था, तो रोहतास के तात्कालिक एसपी ने मामले में बहादुरीपूर्वक कम करने वाले पुलिस कर्मियों को सम्मानित भी किया था। लेकिन समय पर चार्ज शीट जमा नहीं करना पुलिस के कार्यशाली पर सवाल खड़ा करता है। 

वहीं दूसरी और आरोपी सुनील कुमार के अधिवक्ता आशुतोष कुमार चौबे ने बताया कि उनका मुवक्किल निर्दोष है। यही कारण है कि गिरफ्तारी के 60 दिनों के बाद भी उनके खिलाफ पुलिस आरोप पत्र दाखिल नहीं कर पाई। 

ऐसे में कानूनी प्रावधानों के अनुसार माननीय न्यायालय द्वारा सुसंगत धाराओं के अनुरूप उनके मुवक्किल को जमानत मिली हैं। बड़ा सवाल यह है कि एक तरफ जहां सरकार शराब माफियाओं पर नकल करने के लिए अभियान चला रही है। वहीं दूसरी और पुलिस के लापरवाही के कारण बड़े-बड़े शराब माफिया आसानी से जमानत लेकर बाहर घूम रहे हैं।

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