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पश्चिम बंगाल में आपराधिक घटनाओं को दिया जा रहा है सियासी रंग, जांच एजेंसियों पर हमले को लेकर सियासत गरमाई, पीएम मोदी -सीएम ममता आमने-सामने

पश्चिम बंगाल में आपराधिक घटनाओं को दिया जा रहा है सियासी रंग, जांच एजेंसियों पर हमले को लेकर सियासत गरमाई, पीएम मोदी -सीएम ममता आमने-सामने

ब्यूरो - पश्चिम बंगाल में की राजनीति में आपराधिक घटनाओं को सियासी रंग देने का मामला कोई नया नहीं है. चाहें वामपंथियों का शासन रहा हो या कांग्रेस की सरकार रही हो या तृणमूल कांग्रेस की सत्ता हो एक बात सभी के शासन में एकरुपता रही है, यहां आपराधिक घटनाओं को राजनीतिक मुल्लमा चढ़ाते रहा गया है. पश्चिम बंगाल में केंद्रीय जांच एजेंसियों की टीमों पर हमले ने चुनावी माहौल को और गर्म कर दिया है.  इसे लेकर अब तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी आमने-सामने हैं. दोनों पार्टियां के बड़े नेता इस मुद्दे पर एक दूसरे को घेरने में जुटे हैं.  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तृणमूल कांग्रेस पर जबरन वसूली करने वालों और भ्रष्ट नेताओं को बचाने का आरोप लगाया तो प. बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने जांच एजेंसियों पर ठीक ऐसा ही आरोप लगाया। ममता ने कहा कि जांच एजेंसियां केंद्र के हथियार के रूप में काम कर रही हैं.

मेदिनीपुर क्षेत्र में शनिवार की सुबह एनआईए अधिकारियों पर हमला

पश्चिम बंगाल के ईस्ट मेदिनीपुर क्षेत्र में शनिवार की सुबह एनआईए अधिकारियों पर हमले का निष्कर्ष है कि राज्य के तंत्र ने विगत के घटनाक्रम से कोई सीख नहीं ली. बता दें इस साल की शुरुआत में संदेशखाली प्रकरण में भी प्रवर्तन निदेशालय की टीम भीड़ के हमले का शिकार बनी थी. फिर इस मुद्दे पर जमकर राजनीति हुई थी. एनआईए को जांच सौंपा गया. यह जांच कलकत्ता हाईकोर्ट के कहने पर कर रही है. मामला साल 2022 में हुए एक बम धमाके से जुड़ा है, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई थी, जिसकी जांच लंबे अर्से बाद उच्च न्यायालय द्वारा एनआईए को सौंपी गई. एजेंसियों ने पूछताछ के लिये आरोपियों को कई बार बुलाया था, जिसे नजरअंदाज कर दिया गया. 

केंद्रीय एजेंसी से जुड़े अधिकारियों पर हमला घातक

किसी मामले में केंद्रीय एजेंसी से जुड़े अधिकारियों पर हमला और कामकाज में अवरोध पैदा करना संघीय व्यवस्था के लिये घातक ही है. बता दें संदेशखाली में भी ईडी अधिकारियों पर हमला हुआ था,  लेकिन राज्य सरकार ने मुख्य आरोपी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. तब भी उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था.  बाद में विवाद बढ़ते देख आरोपियों को तृणमूल कांग्रेस से निष्कासित किया गया था.  आरोपी शाहजहां टीएमसी का बाहुबली नेता था.राज्य सरकार की कार्यशैली पर भी सवाल उठे थे.राज्य की कानून व्यवस्था व महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार की अनदेखी पर भी उठे थे.

स्थानीय पुलिस केंद्रीय एजेंसियों का नहीं करती सहयोग

 वहीं राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा के इशारे पर एजेंसियों द्वारा पार्टी के नेताओं को डराया जा रहा है. दूसरी ओर तृणमूल सुप्रीमो एनआईए द्वारा बम धमाके के आरोपी की गिरफ्तारी के लिये रात में जाने को लेकर सवाल उठा रही हैं।. उनकी दलील है कि ग्रामीण रात को आने वाले अनजान व्यक्ति को देखकर आक्रामक हो जाते हैं. ऐसे में सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या छापेमारी से पहले एनआईए ने स्थानीय पुलिस का सहयोग लिया था? या फिर राजनीतिक दबाव में काम कर रही स्थानीय पुलिस को सूचना देने से गोपनीयता भंग होने की आशंका से एनआईए ने छापे की पूर्व सूचना नहीं दी? दूसरी ओर एनआईए का कहना है कि सूचना दी गई थी लेकिन स्थानीय पुलिस का रवैया सहयोग करने वाला नहीं था. बताया जाता है कि जिस व्यक्ति को गिरफ्तार करने एनआईए गई थी वह तृणमूल कांग्रेस का नेता है. विगत में भी ममता बनर्जी अपने पार्टी कार्यकर्ताओं के समर्थन में खुलकर मैदान में आ जाती हैं.तृणमूल कांग्रेस और भाजपा नेताओं के बीच जारी टकराव के कारण केंद्र और राज्य के संबंधों में तनाव की स्थिति बनी. 

टीएमसी बंगाल में भ्रष्टाचार और हिंसा के लिए मुफ्त लाइसेंस चाहती है-पीएम

वहीं, पीएम मोदी ने आरोप लगाया कि टीएमसी बंगाल में भ्रष्टाचार और हिंसा के लिए मुफ्त लाइसेंस चाहती है. तो टीएमसी दावा किया कि बीजेपी उसके अहम नेताओं को बाहर रखने के लिए केंद्रीय एजेंसियों के उपयोग के माध्यम से चुनाव जीतने की कोशिश कर रही है. 2022 के भूपतिनगर विस्फोट मामले की जांच के सिलसिले में छापेमारी के दौरान पूर्वी मिदनापुर जिले में स्थानीय लोगों द्वारा राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक टीम पर हमला किए जाने के एक दिन बाद दो तरफा बयानबाजी हुई .

एनआईए अधिकारी पर हमले को टीएमसी ने उचित ठहराया था

एनआईए ने कहा कि भूपतिनगर में हमले में उसका एक अधिकारी घायल हो गया और एक वाहन क्षतिग्रस्त हो गया. इस हमले पर ममता बनर्जी ने कहा कि ग्रामीणों ने आत्मरक्षा में काम किया. क्योंकि जांच एजेंसी के अधिकारी शनिवार तड़के कई घरों में घुस गए थे. शनिवार की घटना 5 जनवरी को उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम पर हुए हमले की तरह थी, जब वे राशन वितरण घोटाले के सिलसिले में टीएमसी नेता शाहजहां शेख के घर की तलाशी लेने गए थे.


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