अपराधियों की सियासी आजादी : गुजरात में रिहा हुए थे 11 बलात्कार दोषी, अब बिहार में ‘हत्यारे’ पर मेहरबान हुए नीतीश

पटना. आईएएस अधिकारी की हत्या के दोषी बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए बिहार की नीतीश सरकार ने एक कानून में बदलाव किया. नीतीश सरकार के इस निर्णय के बाद विपक्षी दल भाजपा सहित कई अन्य राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों की ओर से इस पर आपत्ति जताई गई. कहा गया कि कानून बदलने से कई ऐसे अपराधियों की रिहाई का रास्ता साफ हो जाएगा जो बिहार में कानून-व्यवस्था के लिए खतरा बन सकते हैं. नीतीश सरकार अपने इस फैसले से विरोधियों के निशाने पर है. बिहार सरकार की जमकर आलोचना भी हो रही है. लेकिन सियासत के लिए अपराधियों की आजादी का फॉर्मूला कोई नया नहीं है. 

हाल के समय में ही ऐसी ही एक घटना गुजरात में देखने को मिली थी. इसमें बलात्कार के दोषी 11 लोगों को गुजरात की भाजपा सरकार ने रिहा करने का फैसला किया. गुजरात दंगों के समय 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद के करीब राधिकापुर गांव से बिलकीस बानो और उनका परिवार सांप्रदायिक दंगे से बचने के लिए गांव से पलायन कर रहा था तभी भीड़ ने उन पर हमला कर दिया था. भीड़ ने बिलकीस बानो की तीन साल की बेटी समेत 14 लोगों की हत्या कर दी थी. बच्ची के सिर को पत्थर पर पटककर उसकी हत्या की गई थी. बिलकीस बानो पांच महीने से गर्भवती थी लेकिन भीड़ ने उसके साथ बलात्कार किया और हिंसक हमले किए. उन्हें मरा हुआ जान कर भीड़ ने उन्हें नग्न और लहूलुहान हालत में छोड़ दिया.

हालांकि बिलकीस जिंदा बच गई. उन्होंने अपने खिलाफ हुए अत्याचार के खिलाफ क़ानूनी लड़ाई लड़ी. सीबीआई ने पूरे मामले की जांच की. 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई. वहीं पिछले वर्ष 2022 में गुजरात सरकार ने अपने फैसले से चौंका दिया. गुजरात सरकार ने फैसला किया कि इन अपराधियों ने पर्याप्त सज़ा काट ली है, कि उनमें से एक का रिश्तेदार बीमार है, वे अपने अच्छे आचरण के लिए मुक्त होने के हकदार हैं. बिलकीस के बलात्कार दोषियों की रिहाई के बाद उनका फूल-माला से स्वागत किया गया. वहीं इनकी रिहाई के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. इसी महीने सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस केम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की पीठ ने गुजरात सरकार के फैसले पर तीखी टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि ‘सेब की तुलना संतरे से नहीं की जा सकती’, इसी तरह नरसंहार की तुलना एक हत्या से नहीं की जा सकती. बिलकिस बानो केस के दोषियों की रिहाई के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 2 मई को अंतिम सुनवाई करेगा. बिलकीस के दोषियों की रिहाई से गुजरात की भाजपा सरकार की किरकिरी हुई. 

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वहीं अब बिहार में आईएएस अधिकारी जी. कृष्णैया की निर्दयता से की गई हत्या मामले में आनन्द मोहन को नियम बदल कर रिहा करने के नीतीश सरकार के फैसले से बिहार सरकार भी निशाने पर है. दरअसल, बिहार में अब तक जो कानून था उसके अनुसार किसी लोक अभियोजक की हत्या के मामले में दोषी व्यक्ति अगर सजा काट लेता है तब भी उसकी रिहाई का अंतिम फैसला राज्य सरकार को लेना होगा. इसी वजह से आनंद मोहन सजा काट लेने के बाद भी अब तक जेल में थे. लेकिन अब नीतीश सरकार ने अपने नए फैसले से आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता साफ कर दिया. 

यही वजह है कि नीतीश सरकार भी अब गुजरात की भाजपा सरकार की भांति की अपराधियों की सियासी रिहाई पर निशाने पर है. बसपा प्रमुख मायावती ने बिहार सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा है कि बिहार की नीतीश सरकार द्वारा, आन्ध्र प्रदेश (अब तेलंगाना) महबूबनगर के रहने वाले गरीब दलित समाज से आईएएस बने बेहद ईमानदार जी. कृष्णैया की निर्दयता से की गई हत्या मामले में आनन्द मोहन को नियम बदल कर रिहा करने की तैयारी देश भर में दलित विरोधी निगेटिव कारणों से काफी चर्चाओं में है. आनन्द मोहन बिहार में कई सरकारों की मजबूरी रहे हैं, लेकिन गोपालगंज के तत्कालीन डीएम श्री कृष्णैया की हत्या मामले को लेकर नीतीश सरकार का यह दलित विरोधी व अपराध समर्थक कार्य से देश भर के दलित समाज में काफी रोष है. चाहे कुछ मजबूरी हो किन्तु बिहार सरकार इस पर जरूर पुनर्विचार करे.