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भाजपा के सबसे बड़े मुस्लिम नेता का राजनीतिक भविष्य अधर में- मुख्तार अब्बास नकवी को लगा झटका, मोदी मंत्रिमंडल से भी कट सकता है पत्ता

भाजपा के सबसे बड़े मुस्लिम नेता का राजनीतिक भविष्य अधर में- मुख्तार अब्बास नकवी को लगा झटका, मोदी मंत्रिमंडल से भी कट सकता है पत्ता

DESK. भाजपा के सबसे बड़े मुस्लिम नेता के रूप में मुख़्तार अब्बास नकवी को जाना जाता है. लेकिन अब बड़ा सवाल है कि भाजपा में नकवी का भविष्य अब किस दिशा में जाएगा. यहां तक कि केंद्रीय मंत्रिमंडल से भी नकवी का पत्ता कटने के आसार बन रहे हैं. दरअसल, केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री मुख़्तार अब्बास नकवी अभी राज्यसभा के सांसद हैं उनका राज्यसभा सांसद का कार्यकाल 7 जुलाई को खत्म हो रहा है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने उनके नए कार्यकाल के लिए फिर से राज्यसभा नहीं भेजने का फैसला लिया. ऐसे में 7 जुलाई के बाद वह संसद के किसी भी सदन के सदस्य नहीं होंगे. उनकी संसद पहुंचने की उम्मीद रामपुर उपचुनाव पर टिकी थी, लेकिन यहां से भी उन्हें टिकट नहीं मिला.

शनिवार को भाजपा ने लोकसभा उपचुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की. इसमें उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ और रामपुर की सीट भी शामिल है. माना जा रहा था कि नकवी को रामपुर से उम्मीदवार बनाया जा सकता है. लेकिन भाजपा ने उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया. उनकी जगह घनश्याम लोधी को टिकट दे दिया गया. नकवी प्रयागराज के रहने वाले हैं, लेकिन उन्होंने अपना राजनीतिक कर्मक्षेत्र रामपुर को बनाया.

नकवी इस समय राज्यसभा सांसद हैं लेकिन उनका कार्यकाल अगले एक महीने में यानी 7 जुलाई को खत्म हो रहा है. इसके बाद अपना मंत्री पद बचाने के लिए उन्हें 6 महीने के अंदर संसद के किसी भी सदन का सदस्य होना होगा, और अगर वह इसमें कामयाब नहीं हो पाते हैं तो उन्हें मंत्री पद छोड़ना होगा.

चूकी नकवी ने पहले भी रामपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा था इसलिए उम्मीद थी कि उन्हें उम्मीदवार बनाया जाएगा. नकवी ने रामपुर से 1998 में लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं. हालांकि इसके बाद दो बार (1999 और 2009) में यहां से हार का सामना भी करना पड़ा है.

ऐसे में नकवी का भविष्य क्या होगा इसे लेकर कई प्रकार की कयासबाजी लगाई जा रही हैं. माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें संगठन के काम में लगा दे. वहीं इसी साल होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव में भी नकवी को उम्मीदवार बनाने की कयासबाजी लगाई जा रही है. 65 वर्षीय नकवी को अगर भाजपा उप राष्ट्रपति बनाती है तो यह पार्टी की ओर से अल्पसंख्यक कार्ड हो सकता है.  


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